Cattle Care : सर्दियों ने दस्तक दे दी है और खेत-खलिहानों में ठंडी हवा के साथ एक नई चिंता भी घूमने लगी है–पशुओं का दूध अचानक कम हो जाना. ठंड में इंसान ही नहीं, मवेशी भी कांपते हैं और इसी वजह से उनकी भूख, पाचन और दूध देने की क्षमता पर असर पड़ता है. ऐसे समय में मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ 5 रुपये का एक देसी टॉनिक पशुपालकों की बड़ी मुश्किल हल कर सकता है. यह टॉनिक कोई महंगा सप्लिमेंट नहीं, बल्कि दो बेहद साधारण चीजों से बनता है–नमक और आटा. रिपोर्ट्स बताती हैं कि अगर पशुओं को पानी के साथ यह मिश्रण दिया जाए, तो दूध उत्पादन में खासा सुधार देखा जा सकता है और पाचन तंत्र भी मजबूत होता है.
ठंड में क्यों कम हो जाता है दूध?
सर्दियों में मवेशियों का शरीर ज्यादा ऊर्जा खर्च करता है ताकि वे खुद को गर्म रख सकें. इसी कारण उनका आहार पूरी तरह पच नहीं पाता और पोषक तत्व शरीर में कम पहुंचते हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस मौसम में हरा चारा भी कम मिलता है, जिससे जानवरों को संतुलित पोषण नहीं मिल पाता. जब शरीर में ऊर्जा, प्रोटीन और मिनरल्स की कमी होने लगती है, तो दूध उत्पादन स्वाभाविक रूप से गिर जाता है. कई पशुपालक इस स्थिति में काफी परेशान रहते हैं.
5 रुपये का देसी टॉनिक
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पशुओं को पानी पिलाते समय अगर थोड़ी मात्रा में साधारण नमक और गेहूं का आटा मिला दिया जाए, तो यह एक असरदार देसी टॉनिक का काम करता है. नमक शरीर में सोडियम और क्लोराइड की कमी पूरी करता है. आटा कैल्शियम और ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत माना जाता है. इन दोनों चीजों का घोल ठंड में मवेशियों के पाचन को सुधारता है, भूख बढ़ाता है और दूध बनने की प्रक्रिया को तेज करता है. सबसे खास बात–इस घोल की लागत 5 रुपये से भी कम आती है, लेकिन फायदा कई गुना मिलता है.
संतुलित मात्रा क्यों है जरूरी?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दूध देने वाले पशुओं के लिए रोजाना करीब 13 ग्राम साधारण नमक और 13 ग्राम गेहूं के आटे का घोल बेहद फायदेमंद माना जाता है. इंसानों की ही तरह मवेशियों में भी नमक की कमी से कई समस्याएं हो सकती हैं–
- भूख कम होना
- वजन घटना
- शरीर का कमजोर होना
- दूध में भारी कमी
अगर लंबे समय तक पशु को नमक न दिया जाए, तो वह कपड़ा, लकड़ी या मल जैसी गंदी चीजें चाटने लगता है. यह इस बात का संकेत है कि शरीर में नमक की भारी कमी है. नमक और आटा देने से न सिर्फ दूध बढ़ता है बल्कि जानवर की ताकत और भूख भी सुधर जाती है.
ठंड में आटे का महत्व बढ़ जाता है
सर्द मौसम में कैल्शियम की जरूरत और भी बढ़ जाती है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गेहूं का आटा इस समय सबसे अच्छा और सस्ता कैल्शियम स्रोत माना जाता है. आटे की कमी होने पर–
- दूध की मात्रा घटती है
- शरीर का पोषण संतुलन बिगड़ता है
- ऊर्जा कम होने लगती है
- नतीजे में दूध पतला और कम हो जाता है
नमक और आटा संतुलित मात्रा में देने से कैल्शियम और प्रोटीन शरीर में अच्छे से अवशोषित होते हैं, जिससे दूध की मात्रा और गुणवत्ता दोनों बेहतर होती हैं.
कम खर्च में ज्यादा कमाई का आसान तरीका
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, ठंड के मौसम में नमक और आटे का यह देसी टॉनिक हजारों पशुपालकों के लिए वरदान साबित हुआ है.
- इससे दूध उत्पादन बढ़ता है
- जानवर का पाचन सुधरता है
- शरीर मजबूत होता है
- बीमारी का खतरा कम होता है
- चारा पचने की क्षमता बेहतर होती है
सबसे बड़ा फायदा यह कि कम खर्च में बड़ा लाभ मिलता है. जब जानवर स्वस्थ रहता है और दूध ज्यादा देता है, तब किसान की कमाई भी बढ़ जाती है. कई पशुपालक इसे कम पैसों में ज्यादा फायदा” वाला फार्मूला मानते हैं.