Maharashtra flood: महाराष्ट्र में पिछले एक महीने से लगातार हो रही भारी बारिश और बाढ़ ने किसानों की कमर तोड़ दी है. कई जिलों में खेत जलमग्न हैं, फसलें बह गई हैं और हजारों किसानों की जमीन का कटाव हो गया है. इसी मुश्किल समय में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) ने किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए इस साल दिवाली न मनाने का ऐलान किया है.
किसानों के दुख में शामिल हुई NCP
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार ने बारामती में मीडिया से बात करते हुए कहा कि, “हमारे राज्य के कई किसान इस वक्त अपने जीवन के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं. उनकी फसलें बर्बाद हो गई हैं, खेत पानी में डूबे हैं और कुछ जगह तो जमीन ही बह गई है. जब किसान के पास खाने को कुछ नहीं, तब हम खुशियां कैसे मना सकते हैं?”
पवार ने बताया कि NCP के प्रदेश अध्यक्ष शशिकांत शिंदे और संगठन के अन्य पदाधिकारियों ने मिलकर यह निर्णय लिया है कि पार्टी इस बार दिवाली नहीं मनाएगी. उन्होंने कहा कि यह कदम किसानों के दुख में साझेदारी जताने के लिए उठाया गया है, ताकि उन्हें यह एहसास हो कि पूरा समाज उनके साथ खड़ा है.
“किसान की जमीन ही उसकी जान है”
शरद पवार ने कहा कि किसान के लिए उसकी जमीन सिर्फ खेती की जगह नहीं होती, बल्कि वही उसकी पहचान और जीवन का आधार होती है. जब वह जमीन कटाव या बाढ़ में चली जाती है, तो किसान की दुनिया उजड़ जाती है. उन्होंने कहा, “आज जब किसान अपनी जमीन और फसल दोनों गंवा चुका है, वह मानसिक रूप से टूटा हुआ है. ऐसे में त्यौहार की रोशनी उसके दर्द को और गहरा कर देगी.”
राज्य सरकार की मदद पर सवाल
शरद पवार ने राज्य सरकार की ओर से घोषित राहत राशि को “बहुत कम” बताया. उन्होंने कहा कि सरकार ने जो आर्थिक सहायता घोषित की है, वह किसानों के नुकसान की तुलना में बेहद छोटी है और उससे उनका पुनर्निर्माण संभव नहीं. पवार ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह बाढ़ से प्रभावित किसानों के लिए एक बड़ा राहत पैकेज जारी करे, ताकि वे फिर से खेती शुरू कर सकें और अपने परिवारों का भरण-पोषण कर सकें.
उन्होंने यह भी कहा कि संकट के समय सत्ता में बैठे लोगों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वे लोगों की मदद के लिए आगे आएं. “हम राजनीति नहीं करना चाहते, लेकिन जब जनता संकट में हो तो नेताओं का धर्म बनता है कि वे जनता के साथ खड़े रहें,”.
बाढ़ का असर और किसानों की हालत
राज्य के कई जिलोंजैसे सांगली, सतारा, कोल्हापुर, नांदेड़ और उस्मानाबाद में भारी बारिश और बाढ़ से लाखों हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो गई हैं. हजारों घरों में पानी घुस गया है और सैकड़ों परिवारों को अस्थायी शिविरों में रहना पड़ रहा है. कई किसानों ने कर्ज लेकर फसल बोई थी, लेकिन अब सब कुछ बह जाने से वे आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव में हैं.
“खुशियां बाद में भी मनाई जा सकती हैं”
शरद पवार ने कहा कि दिवाली जैसे त्योहार फिर आएंगे, लेकिन किसानों का दर्द अभी सबसे बड़ा है. “खुशियां तो बाद में भी मनाई जा सकती हैं, लेकिन इस समय जरूरी है कि हम मिलकर अपने किसानों का हौसला बढ़ाएं,”