गाय-भैंसों में दिखें थनैला रोग के लक्षण, तो सबसे पहले करें ये उपाय

थनैला रोग होने पर गाय के थन में सूजन और लालिमा आ जाती है, जिससे उसे काफी दर्द होता है. संक्रमित गाय का दूध गाढ़ा, बदबूदार या फटा हुआ हो सकता है.

Kisan India
Noida | Updated On: 16 Mar, 2025 | 08:20 AM

थनैला रोग (बोवाइन मास्टाइटिस) पशुओं में होने वाला एक गंभीर रोग होता है. इससे दूध के उत्पादन में भारी नुकसान पहुंचाता है. यह बीमारी मुख्य रूप से गाय-भैंसों के थनों में सूजन और इंफेक्शन के कारण होती है. यह इंफेक्शन शारीरिक चोट, अस्वच्छता या अलग प्रकार के बैक्टीरिया की वजह से हो सकता है. दुनियाभर में यह रोग डेयरी उद्योग के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है.

कैसे होता है मास्टाइटिस?

मास्टाइटिस यानी थनैला रोग मुख्य रूप से बैक्टीरिया, वायरस और फंगस के संक्रमण से होता है. इसके प्रमुख कारणों में स्टैफिलोकोकस ऑरियस, स्ट्रेप्टोकॉकस एगलेक्टियाए, ई. कोलाई, माइकोबैक्टीरियम बोविस जैसे बैक्टीरिया शामिल हैं.

इसके अलावा, थन पर चोट लगना, अस्वच्छ वातावरण और गाय-भैंसों की सही देखभाल न होना भी इस बीमारी को बढ़ावा देते हैं. अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह पशु के स्वास्थ्य और दूध उत्पादन पर बुरा असर डाल सकता है.

मास्टाइटिस के लक्षण

थनैला रोग होने पर गाय के थन में सूजन और लालिमा आ जाती है, जिससे उसे काफी दर्द होता है. संक्रमित गाय का दूध गाढ़ा, बदबूदार या फटा हुआ हो सकता है, और कभी-कभी उसमें खून के थक्के भी आ सकते हैं. इस बीमारी के कारण दूध उत्पादन कम हो जाता है या पूरी तरह बंद भी हो सकता है. प्रभावित गाय को बुखार आ सकता है और उसकी भूख कम हो जाती है. थन की सूजन के कारण उसे उठने-बैठने में दिक्कत होती है.

गंभीर मामलों में, गाय कमजोर हो जाती है, उसका वजन घटने लगता है, और कुछ स्थितियों में थन में मवाद बनने लगता है, जिससे उसकी जान को खतरा हो सकता है. इस बीमारी का समय रहते पता लगाने के लिए कैलिफोर्निया मास्टाइटिस टेस्ट (CMT) किया जाता है, जिससे शुरुआती चरण में ही संक्रमण का पता लगाकर सही इलाज किया जा सकता है.

कैसे करें बचाव?

थनैला रोग से बचाव के लिए स्वच्छता और उचित देखभाल आवश्यक है. पशुओं को हमेशा साफ और सूखी जगह पर रखें ताकि संक्रमण की संभावना कम हो. दूध निकालने से पहले प्रत्येक गाय के थनों को अलग-अलग कपड़े या टिशू से साफ करें.

दूध निकालने के बाद टीट डिपिंग करें, जिससे जर्मिसाइडल डिप का उपयोग करके बैक्टीरिया को खत्म किया जा सके. इसके अलावा, दूध दुहने के बाद गाय को तुरंत चारा खिलाएं ताकि वह खड़ी रहे और बैक्टीरिया थन में प्रवेश न कर सकें. इन सावधानियों का पालन करके मास्टाइटिस से बचाव किया जा सकता है और पशु स्वस्थ रह सकते हैं.

गाय-भैंसों का इलाज

अगर गाय-भैंसों में थनैला रोग के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत उचित उपचार करें. सूजन और दर्द को कम करने के लिए थन पर बर्फ से सेक करें. संक्रमित दूध को अलग निकालकर नष्ट करें, जिसमें 5% फिनॉल मिलाना सुरक्षित रहेगा. स्वस्थ और संक्रमित गायों को अलग-अलग दुहें, ताकि संक्रमण न फैले. पहले स्वस्थ गायों को दुहें और फिर बीमार गायों का दूध निकालें. सबसे महत्वपूर्ण, बिना देरी किए पशु चिकित्सक से परामर्श लें और उनकी सलाह के अनुसार एंटीबायोटिक दवाओं से इलाज शुरू करें. सही देखभाल और समय पर इलाज से गाय को जल्द स्वस्थ किया जा सकता है.

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Published: 15 Mar, 2025 | 07:04 PM

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