गाय का दूध घटा देती हैं ये 10 तकलीफें, पहचानने में देरी बन सकती है नुकसान की वजह

गायों को स्वस्थ रखना डेयरी व्यवसाय के लिए बेहद जरूरी है. समय पर बीमारियों की पहचान और इलाज से दूध उत्पादन बढ़ता है और नुकसान से बचा जा सकता है. साफ-सफाई, टीकाकरण और देखभाल ही बचाव का उपाय है.

नोएडा | Published: 11 Sep, 2025 | 05:16 PM

गायों का अच्छा स्वास्थ्य न केवल उनके दूध उत्पादन के लिए जरूरी है, बल्कि उनके संपूर्ण जीवन और व्यवहार पर भी असर डालता है. जब गाय बीमार होती हैं, तो वो खाना कम खाती हैं, दूध कम देती हैं और कमजोर हो जाती हैं. अगर समय रहते बीमारियों को पहचाना न जाए, तो नुकसान बड़ा हो सकता है. इसलिए जरूरी है कि हर पशुपालक गायों में होने वाली आम बीमारियों को पहचाने और सही इलाज करें.

खुरपका-मुंहपका (FMD)- एक संक्रामक बीमारी

ये बीमारी ज्यादातर गर्मी या बारिश के मौसम में फैलती है. गाय के मुंह, जीभ और खुरों में छाले पड़ जाते हैं, जिससे वो खाना पीना छोड़ देती है. इससे कमजोरी और बुखार भी आता है.

क्या करें?- गाय को बाकी जानवरों से अलग रखें, साफ-सफाई का पूरा ध्यान दें और टीकाकरण समय पर कराएं.

थनैला (Mastitis)- थनों की बीमारी

थन में सूजन आना, दूध में खून या पीला द्रव्य आना इसके लक्षण हैं. गाय बेचैन रहती है और बुखार भी आ सकता है.

क्या करें?- थनों की रोज सफाई करें, डॉक्टर की सलाह से एंटीबायोटिक दें और संक्रमित गाय का दूध बाकी दूध से अलग रखें.

लंगड़ापन (Laminitis)- चलने में दिक्कत

गाय अगर ठीक से चल नहीं पा रही है, बार-बार बैठ रही है और खुरों में सूजन है, तो ये लंगड़ापन हो सकता है. इसका असर सीधे दूध उत्पादन पर पड़ता है.

क्या करें?- गाय को साफ-सुथरी और सूखी जगह पर रखें, सही पोषण दें और पशु चिकित्सक से इलाज कराएं.

दूध ज्वर (Milk Fever)- बछड़ा पैदा होने के बाद की बीमारी

ये बीमारी बछड़े के जन्म के तुरंत बाद होती है. गाय कमजोर हो जाती है, उसका शरीर ठंडा हो जाता है और चलने-फिरने में दिक्कत होती है.

क्या करें?- गाय को कैल्शियम का इंजेक्शन दें, संतुलित आहार दें और बछड़े के जन्म के बाद गाय की निगरानी रखें.

बचेरी (Bloat)- पेट में गैस बनना

गाय का पेट फूला हुआ नजर आता है, वो बेचैनी से बार-बार लेटती और उठती है, सांस लेने में तकलीफ होती है.

क्या करें?- गाय को जरूरत से ज्यादा हरा चारा न दें, पेट की मालिश करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

ब्रुसेलोसिस (Brucellosis)- गाय के प्रजनन तंत्र की बीमारी

इस बीमारी में गाय का बार-बार गर्भपात हो जाता है, दूध कम हो जाता है और बछड़ा कमजोर पैदा होता है.

क्या करें?- संक्रमित गाय को अलग रखें, साफ-सफाई का ध्यान दें और समय-समय पर टीकाकरण कराएं.

रेबीज (Rabies)- जानलेवा संक्रमण

अगर गाय अचानक आक्रामक हो जाए, मुंह से झाग निकलने लगे या पानी से डरने लगे तो ये रेबीज हो सकता है. ये बीमारी कुत्ते या अन्य जानवरों के काटने से फैलती है.

क्या करें?- समय पर रेबीज का टीका लगवाएं, संदिग्ध पशु को अलग करें और तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें.

पाचन तंत्र की समस्या-खाना न पचना

गाय अगर भूख नहीं खा रही है, बार-बार डकार ले रही है या मल त्याग में परेशानी है तो यह पाचन की समस्या हो सकती है.

क्या करें?- गाय को संतुलित और सही मात्रा में चारा दें, पेट की हल्की मालिश करें और जरूरत पड़ने पर दवा दें.

गलघोंटू (Hemorrhagic Septicemia)- गले की सूजन वाली बीमारी

इस बीमारी में गाय के गले में सूजन आ जाती है, सांस लेने में दिक्कत होती है और कभी-कभी अचानक मौत भी हो सकती है.

क्या करें?- टीकाकरण जरूर कराएं, संक्रमित पशु को अलग करें और लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करें.

लम्पी स्किन डिजीज- चमड़ी पर गांठें

ये हाल के वर्षों में तेजी से फैलने वाली बीमारी है. गाय के शरीर पर गांठें बन जाती हैं, बुखार आता है और दूध कम हो जाता है.

क्या करें?- गाय को साफ रखें, बीमार गाय को बाकी पशुओं से दूर रखें और तुरंत पशु चिकित्सक से इलाज करवाएं.