गर्भावस्था के दौरान बकरियों की देखभाल में अगर थोड़ी भी लापरवाही हो जाए तो इसका असर न सिर्फ मां पर, बल्कि उसके बच्चे पर भी पड़ता है. इस पूरे समय आहार सबसे अहम भूमिका निभाता है. अगर संतुलित और साफ आहार के साथ कुछ जरूरी सावधानियां बरती जाएं तो जोखिम काफी हद तक कम किया जा सकता है. इसलिए गर्भावस्था में बकरी के आहार पर खास ध्यान देना जरूरी है.
1. आहार में हो पोषण का पूरा संतुलन
गर्भवती बकरी को सिर्फ एक तरह का आहार देना नुकसानदेह हो सकता है. उसके आहार में हरा चारा, सूखा चारा, अनाज, दानेदार आहार और खनिज मिश्रण का संतुलन होना चाहिए. जैसे बरसीम, लुजर्न, गाजर, हरी पत्तियां और भूसा साथ में मिलाकर दिया जा सकता है. इससे मां और बच्चे दोनों को जरूरी प्रोटीन, विटामिन और मिनरल मिलते हैं, जिससे शिशु का विकास बेहतर होता है.
2. आहार की सफाई पर रहे पूरी नजर
आहार अगर गंदा या बासी हुआ तो संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. इससे डायरिया, गैस और कब्ज जैसी समस्याएं हो सकती हैं जो गर्भवती बकरी के लिए खतरनाक बन सकती हैं. इसलिए जो भी चारा दिया जाए वह ताजा और साफ होना चाहिए. ध्यान दें कि बासी और सड़ा हुआ चारा तुरंत हटा दें ताकि संक्रमण की संभावना न रहे.
3. अचानक आहार बदलने से बचें
गर्भावस्था में बकरी का पाचन तंत्र थोड़ा संवेदनशील हो जाता है. ऐसे में अगर आहार में अचानक बदलाव किया गया तो गैस, अपच और कब्ज जैसी दिक्कतें आ सकती हैं. इसलिए किसी भी नए चारे या सप्लीमेंट को धीरे-धीरे और सीमित मात्रा में ही शुरू करें, ताकि शरीर को उसे पचाने का समय मिल सके.
4. डॉक्टर की सलाह से दें सप्लीमेंट्स
गर्भावस्था के दौरान कई बार बकरी को अतिरिक्त सप्लीमेंट्स की जरूरत पड़ती है. लेकिन इसे अपनी मर्जी से न दें. इसके लिए पशु चिकित्सक से सलाह लेकर ही विटामिन, कैल्शियम, फॉस्फोरस और खनिज वाले सप्लीमेंट्स शुरू करें. इससे बच्चे की हड्डियां मजबूत बनती हैं और मां को प्रसव के समय परेशानी कम होती है.
5. पानी की कमी न होने दें
गर्भवती बकरी को हर समय साफ और ताजा पानी मिलना चाहिए. वहीं, गर्मियों में तो पानी की जरूरत और भी बढ़ जाती है. ध्यान दें कि पानी की कमी से शरीर में कमजोरी आ सकती है, जिससे प्रसव में दिक्कतें आती हैं. इसलिए, पानी का बर्तन रोज साफ करें और उसमें ताजा पानी भरें.