कृत्रिम गर्भाधान को सफल बनाएगी नई तकनीक, पशुओं का बांझपन होगा खत्म

रेक्टो-प्रजनन विधि से कृत्रिम गर्भाधान की सफलता दर में बड़ा सुधार देखने को मिला रहा है. यह विधि पारंपरिक तकनीकों की तुलना में अधिक सटीक, सुरक्षित साबित हो रही है.

नोएडा | Updated On: 4 Jun, 2025 | 03:11 PM

कृषि और पशुपालन में कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) तकनीक ने किसानों के लिए पशुओं की प्रजनन प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाया है. पिछले कुछ दशकों में इस क्षेत्र में कई बदलाव हुए हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण बदलाव है रेक्टो-विजाइनल विधि (Recto Vaginal Method) का व्यापक रूप से अपनाया जाना. इस विधि के इस्तेमाल से पशुओं में बांझपन की समस्या को दूर करने में मदद मिल रही है. हिमाचल प्रदेश सरकार के पशुपालन विभाग के मुताबिक यह नई विधि पारंपरिक प्रजनन विधि की तुलना में अधिक सफल और सुरक्षित मानी जाती है.

कृत्रिम गर्भाधान की पहली विधि

पहले कृत्रिम गर्भाधान विजाइनल विधि द्वारा किया जाता था. इसमें सीमन को विजाइनल स्पैकुलम की मदद से कृत्रिम गर्भाधान केथेटर ( खोखली और लचीली ट्यूब) के जरिये पशु की गर्भाशय ग्रीवा में डाला जाता था. यह तरीका सीमित सफलताओं वाला था और कई बार असुविधाजनक भी साबित होता था. हालांकि, पशु प्रजनन विशेषज्ञों ने इस विधि की जगह अब रेक्टो-विजाइनल विधि को अपनाना शुरू कर दिया है, जो पूरी दुनिया में मान्यता प्राप्त हो चुकी है. इस विधि में तकनीशियन अपने बाएं हाथ को चिकना कर पशु के गुदा में डालता है और गर्भाशय ग्रीवा को पकड़कर दूसरे हाथ से कृत्रिम गर्भाधान गन को प्रजनन अंग में डालता है. गन को गर्भाशय तक पहुंचाकर सीमन छोड़ दिया जाता है.

रेक्टो-प्रजनन विधि के फायदे

रेक्टो-विजाइनल विधि के कई महत्वपूर्ण लाभ हैं , जो इसे पारंपरिक विजाइनल विधि से बेहतर बनाते हैं. सबसे पहले, गुदा में हाथ डालकर तकनीशियन पशु के प्रजनन अंगों का बेहतर निरीक्षण कर सकता है. इससे गर्भधारण की सही स्थिति और गर्मी का सही पता चल जाता है. दूसरी बात, कई बार गर्भधारण किए पशु भी गर्मी में आ जाते हैं, जिससे अज्ञानता में दोबारा गर्भाधान हो सकता है. इस विधि से पशु का गर्भ परीक्षण भी संभव होता है, जिससे व्यर्थ गर्भाधान और गर्भपात से बचाव होता है. तीसरा, सीमन को उचित स्थान पर छोड़ने से इसकी बर्बादी कम होती है और गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है.

स्वस्थ्य की दृष्टि से बेहतर विधि

रेक्टो-विजाइनल विधि न केवल प्रजनन प्रक्रिया को अधिक वैज्ञानिक बनाती है, बल्कि इससे किसान की आर्थिक हानि भी कम होती है. जब सीमन सही जगह डाला जाता है, तभी गर्भधारण सफल होता है, जिससे पशु का उत्पादन और स्वस्थ्य बेहतर होता है. इस विधि की मदद से किसान अधिक उत्पादक और स्वस्थ पशु पाल सकते हैं, जो उनके आय स्रोत को मजबूत बनाता है.

भविष्य में रेक्टो-प्रजनन विधि की भूमिका

भारत में पशुपालन क्षेत्र में सुधार के लिए रेक्टो-विजाइनल विधि का प्रचार-प्रसार बढ़ाना जरूरी है. कृषि विभाग और पशु चिकित्सा विशेषज्ञ इस तकनीक को अपनाने के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम चला रहे हैं. आने वाले सालों में इस विधि के व्यापक इस्तेमाल से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. इतना ही नहीं, इस विधि को अपनाने से दूध का उत्पादन भी बेहतर होगा.

Published: 3 Jun, 2025 | 05:44 PM