भारत के ग्रामीण इलाकों में खेती के साथ-साथ पशुपालन भी किसानों की आय का एक मजबूत जरिया है. खासकर दुधारू पशुओं का पालन करने वाले किसानों के लिए यह एक स्थायी कमाई का रास्ता बन गया है. लेकिन ज्यादा दूध पाने के लिए सिर्फ अच्छे नस्ल के पशु ही नहीं, बल्कि उन्हें मिलने वाला आहार भी उतना ही जरूरी होता है. ऐसी ही एक चमत्कारी चीज है- सरसों की खली, जिसे खिलाते ही दूध की मात्रा में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिलती है. आज हम आपको बताएंगे कि कैसे ये सस्ती, आसानी से मिलने वाली खली आपके पशुओं को ताकतवर बना सकती है और आपके घर में समृद्धि ला सकती है.
क्या है इसकी असली पहचान
सरसों की खली, जिसे कुछ लोग काली खली या खुराक भी कहते हैं, दरअसल सरसों से तेल निकालने के बाद बचा हुआ हिस्सा होता है. यह गहरे रंग की होती है और देखने में बहुत खास नहीं लगती, लेकिन पोषण के मामले में यह खजाना है. खली में 35 से 40 प्रतिशत तक प्रोटीन पाया जाता है. इसके साथ ही इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम और कई जरूरी खनिज होते हैं जो पशुओं की सेहत और ताकत को बढ़ाते हैं.
दूध की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरसों की खली को अगर नियमित और सही मात्रा में खिलाया जाए तो दुधारू पशुओं के दूध में काफी बढ़ोतरी देखी जाती है. इससे न सिर्फ दूध की मात्रा बढ़ती है बल्कि उसकी गुणवत्ता भी बेहतर होती है. खली में मौजूद प्रोटीन और जरूरी मिनरल्स दूध में वसा (fat) और ठोस पदार्थ (solids) को बढ़ाते हैं, जिससे दूध ज्यादा गाढ़ा और पोषक हो जाता है. यही कारण है कि डेयरी उद्योग से जुड़े लोग भी इसे खास महत्व देते हैं.
रोगों से लड़ने की ताकत भी बढ़ाए
सरसों की खली का एक बड़ा फायदा यह भी है कि यह पचाने में आसान होती है. इसे खाने से पशुओं का पाचन तंत्र बेहतर रहता है और उनकी हड्डियां मजबूत होती हैं. इसके साथ ही, यह उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी बीमारियों से लड़ने की ताकत भी बढ़ाती है. खासकर सर्दियों में खली देने से पशु ज्यादा ऊर्जावान और स्वस्थ रहते हैं. यही वजह है कि गांवों में इसे एक तरह की प्राकृतिक दवा भी माना जाता है.
वजन बढ़ाने और ताकतवर बनाने में भी मददगार
खली में पाए जाने वाले अमीनो एसिड और मिनरल्स न सिर्फ दूध बढ़ाते हैं, बल्कि पशुओं के वजन और ताकत में भी सुधार करते हैं. ऐसे पशु जो खली खाते हैं, वे ज्यादा फुर्तीले और सक्रिय रहते हैं. इससे किसान दूध के अलावा, पशु बेचकर भी अच्छा पैसा कमा सकते हैं. हालांकि ध्यान रखें कि खली को कभी भी ज्यादा मात्रा में अकेले न खिलाएं. हरे चारे, भूसे या सूखे चारे के साथ मिलाकर देना सबसे सही तरीका होता है.
असरदार और हर जगह उपलब्ध
सरसों की खली एक सस्ती और आसानी से मिलने वाली चीज है. गांवों में मौजूद तेल मिलों से किसान इसे बहुत ही कम कीमत पर खरीद सकते हैं. यही कारण है कि यह पशु आहार अब ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनती जा रही है. कम लागत में अधिक लाभ देने वाली यह खली आज हजारों किसानों की आमदनी बढ़ा रही है. सरसों की खली ने पशुपालन को सिर्फ आसान ही नहीं, बल्कि ज्यादा लाभदायक पेशा भी बना दिया है.
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