दलदली से ब्लू क्रैब तक, 1500 रुपये किलो तक बिक रहा केकड़ा, जानें कैसे करें पालन
बाजार में समुद्री और मीठे पानी के केकड़ों की मांग लगातार बढ़ रही है, खासकर होटलों, रेस्टोरेंट्स और निर्यात के क्षेत्र में. यही वजह है कि किसान और युवा उद्यमी इसे एक लाभदायक बिजनेस मॉडल मानकर तेजी से अपना रहे हैं.
आज के समय में खेती-बाड़ी और पारंपरिक मछली पालन से इतर कई ऐसे विकल्प सामने आ रहे हैं, जिनसे किसान कम खर्च में ज्यादा लाभ कमा सकते हैं. इन्हीं में से एक है केकड़ा पालन. मछली पालन के बाद सबसे ज्यादा तेजी से अपनाया जाने वाला व्यवसाय यही है. बाजार में समुद्री और मीठे पानी के केकड़ों की मांग लगातार बढ़ रही है, खासकर होटलों, रेस्टोरेंट्स और निर्यात के क्षेत्र में. यही वजह है कि किसान और युवा उद्यमी इसे एक लाभदायक बिजनेस मॉडल मानकर तेजी से अपना रहे हैं.
क्या है केकड़ा पालन?
केकड़ा पालन का मतलब है तालाबों, कृत्रिम जलाशयों या सीमेंट टैंकों में केकड़ों को नियंत्रित तरीके से पालना और बाजार के हिसाब से बड़ा करना. केकड़े मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है-
- समुद्री केकड़े
- मीठे पानी के केकड़े
मीठे पानी के केकड़े स्वाद और गुणवत्ता में बेहतर माने जाते हैं. इसी कारण इनकी बाजार में ज्यादा कीमत मिलती है.
सबसे ज्यादा डिमांड वाले केकड़े
भारत में अलग-अलग तरह के केकड़ों की डिमांड है, लेकिन कुछ प्रजातियां बेहद लोकप्रिय हैं:
मड क्रैब (दलदली केकड़ा): यह भारत में सबसे ज्यादा पाला जाने वाला केकड़ा है. होटल, रेस्टोरेंट और विदेशी बाजारों में इसकी मांग लगातार बनी रहती है.
ब्लू स्विमिंग क्रैब: यह समुद्री पानी का केकड़ा है. अपने स्वादिष्ट और मुलायम मांस के कारण इसकी बाजार में अच्छी खपत होती है. अब लोग इसका पालन भी करने लगे हैं.
ग्रीन क्रैब: इसका मांस नरम, मीठा और पोषक तत्वों से भरपूर होता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी बड़ी डिमांड है.
कैसे करें केकड़ा पालन की शुरुआत?
तालाब या जलाशय तैयार करना: यदि आपके पास पर्याप्त जमीन है तो छोटे-छोटे तालाब बनाकर शुरुआत कर सकते हैं. जगह कम है तो सीमेंट टैंक का विकल्प भी बेहतर है.
बेहतर क्वालिटी के केकड़े चुनें: अच्छे प्रजनन और तेजी से बढ़ने के लिए बाजार से 50-100 ग्राम वजन वाले केकड़े खरीदें. इन्हें एक-दूसरे से अलग रखने के लिए जाल या बांस की डिवाइडर लगाएं.
साफ पानी का इंतजाम: केकड़ों की ग्रोथ के लिए पानी का साफ और संतुलित होना जरूरी है. समय-समय पर पानी बदलते रहें और ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा बनाए रखें.
सही भोजन देना: केकड़ों को मछली के टुकड़े, झींगे, घोंघे, शेलफिश का पाउडर या उबला हुआ चिकन दिया जाता है. संतुलित और नियमित भोजन से उनका वजन जल्दी बढ़ता है.
लागत और मुनाफा
केकड़ा पालन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें लागत कम आती है लेकिन मुनाफा बहुत अधिक होता है. एक तालाब में 500-1000 केकड़ों की ब्रीडिंग की जा सकती है. औसतन 5-6 महीने में केकड़े मार्केट साइज तक पहुंच जाते हैं.
कीमत: बाजार में केकड़ों की कीमत 800 रुपये से लेकर 1500 रुपये प्रति किलो तक रहती है.
निर्यात: विदेशों में इनकी बहुत ज्यादा मांग है, जिससे एक्सपोर्ट करने वाले किसानों और कंपनियों को कई गुना ज्यादा दाम मिल जाते हैं.
किसानों और युवाओं के लिए सुनहरा विकल्प
आज के समय में युवा उद्यमी पारंपरिक खेती से हटकर नए प्रयोग कर रहे हैं. केकड़ा पालन उनकी आय बढ़ाने का एक बेहतर जरिया साबित हो सकता है. सरकार भी मत्स्य पालन और केकड़ा पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है, जिनसे सब्सिडी और ट्रेनिंग का फायदा उठाया जा सकता है.