गायों में लंपी वायरस का खतरा बढ़ा, पशु में दिखें ये लक्षण तो तुरंत लगवाएं टीका
लंपी स्किन डिजीज एक वायरल संक्रमण है जो मवेशियों को प्रभावित करता है. यह मच्छरों और कीटों से फैलता है. समय पर पहचान, टीकाकरण और साफ-सफाई से इससे बचाव संभव है. सरकार सतर्क है और रोकथाम पर जोर दे रही है.
जहां एक ओर गांवों की सुबह गायों की रंभाने की आवाज से होती है, वहीं अब उस रंभाने में एक अनजाना डर शामिल हो गया है. राजस्थान समेत देश के कई राज्यों में एक बार फिर लंपी स्किन डिजीज (LSD) ने दस्तक दे दी है. यह बीमारी सीधे गायों को अपना शिकार बना रही है और मच्छरों व अन्य कीटों के जरिए तेजी से फैल रही है. पशुपालक चिंता में हैं, क्योंकि इस बीमारी का कोई खास इलाज नहीं है, और पशुओं की जान जाने तक की नौबत आ सकती है.
क्या है लंपी और कैसे फैलती है ये बीमारी?
लंपी स्किन डिजीज एक वायरल संक्रमण है, जो मवेशियों को प्रभावित करता है. यह बीमारी मच्छरों, मक्खियों, जूं, टिक और खून चूसने वाले अन्य कीटों के जरिए फैलती है. इसके अलावा यह बीमारी संक्रमित पशु से सीधे संपर्क, दूषित चारा या पानी और संक्रमित उपकरणों से भी फैल सकती है.
संक्रमण के बाद पशु के शरीर में तेज बुखार आता है, त्वचा पर गांठें बन जाती हैं, आंखों-नाक से पानी बहता है, थनों और मुंह पर घाव हो जाते हैं. धीरे-धीरे भूख कम हो जाती है और दूध उत्पादन पर भारी असर पड़ता है. अगर समय पर इलाज न हो तो पशु की मौत भी हो सकती है, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होता है.
सरकार अलर्ट, टीकाकरण और निगरानी तेज
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान और आसपास के राज्यों में मामले सामने आने के बाद पशुपालन विभाग तुरंत सतर्क हो गया है. सरकार ने फ्री टीकाकरण अभियान शुरू किया है और ग्रामीण इलाकों में विशेष निगरानी बढ़ा दी गई है. संक्रमित क्षेत्रों में जैव-सुरक्षा उपाय लागू किए जा रहे हैं, जैसे कि पशु मेलों पर रोक, पशुओं की आवाजाही पर नियंत्रण और संक्रमित पशुओं को अलग रखना.
इसके अलावा विभाग की टीमें गांव-गांव जाकर लक्षणों की पहचान कर रही हैं और लोगों को जागरूक कर रही हैं कि वे अपने पशुओं को समय पर टीका लगवाएं और आवश्यक सावधानियों को अपनाएं.
पशुपालकों के लिए जरूरी सावधानियां
लंपी से बचाव के लिए पशुपालकों को बेहद सतर्क रहना होगा। कुछ अहम सावधानियां इस प्रकार हैं-
- बीमार पशु को तुरंत अलग करें
- पशुशाला की नियमित सफाई करें
- कीटनाशकों का छिड़काव करें
- चारा और पानी को ढककर रखें
- बिना विशेषज्ञ की सलाह के इलाज न करें
टीकाकरण जरूर कराएं
इसके अलावा, पशुपालकों को चाहिए कि वे हर संदिग्ध लक्षण पर ध्यान दें और नज़दीकी पशु चिकित्सा केंद्र से तुरंत संपर्क करें.
रोकथाम ही है सबसे बेहतर उपाय
लंपी वायरस की कोई विशेष दवा नहीं है, इसलिए इसका सबसे अच्छा इलाज है-रोकथाम और देखभाल. पशुओं को स्वच्छ वातावरण में रखें, उन्हें पौष्टिक आहार दें और समय-समय पर उनकी चिकित्सकीय जांच कराते रहें.
विशेषज्ञों के अनुसार यदि लक्षणों को शुरुआती चरण में पहचान लिया जाए और पशु को समय पर देखभाल मिले, तो वह पूरी तरह से स्वस्थ हो सकता है. सरकार भी यही अपील कर रही है कि पशुपालक किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें.