Sahiwal Cow: कम चारा और ज्यादा दूध, डेयरी कारोबार में किसानों की पहली पसंद बनी ये गाय

साहीवाल गाय अपनी उच्च दूध उत्पादन क्षमता, कम खर्च और गर्मी सहनशीलता के कारण डेयरी फार्मिंग के लिए बेहद लाभकारी है. यह गाय प्रतिदिन 15-20 लीटर तक दूध देती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर होती है.

नोएडा | Updated On: 11 Aug, 2025 | 04:55 PM

भारत में दूध उत्पादन के लिए साहीवाल नस्ल की गाय को बेहद खास और भरोसेमंद माना जा रहा है. यह नस्ल मूल रूप से पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के साहिवाल क्षेत्र से है, लेकिन भारत के किसानों में इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है. यह गाय कम चारा खाकर भी ज़्यादा दूध देती है और मुश्किल मौसम में भी खुद को ढाल लेती है. यही वजह है कि साहिवाल को “देशी नस्लों की क्वीन” भी कहा जाने लगा है.

कैसे पहचानें साहीवाल गाय?

साहीवाल नस्ल की गाय दिखने में आकर्षक और पहचानने में आसान होती है. इसका रंग हल्के भूरे से लेकर गहरे लाल-भूरे तक हो सकता है, और कुछ गायों के शरीर पर सफेद धब्बे भी होते हैं. इसका शरीर मजबूत, लंबा और चौड़ा होता है, जिसमें अच्छी मांसपेशियां पाई जाती हैं. इसके कान लंबे और लटके हुए होते हैं, जबकि आंखें बड़ी, चमकदार और सतर्कता दर्शाने वाली होती हैं. इसकी पीठ पर हल्का कूबड़ और त्वचा ढीली व चिकनी होती है, जो इसे गर्म मौसम में भी आसानी से जीवित रहने में मदद करती है. यह नस्ल गर्म क्षेत्रों के लिए उपयुक्त मानी जाती है.

विशेषताएं जो बनाएं इसे खास

कितनी है इसकी कीमत और कहां उपलब्ध है?

साहीवाल गाय की कीमत कई कारकों पर निर्भर करती है, जिनमें उसकी उम्र, स्वास्थ्य स्थिति, दूध देने की क्षमता और प्रजनन इतिहास प्रमुख हैं. आमतौर पर एक स्वस्थ और दूध उत्पादन में अच्छी साहिवाल गाय की कीमत 50,000 रुपये से 2,00,000 रुपये तक हो सकती है. यदि गाय प्रतिदिन 15 से 20 लीटर तक दूध देती है, तो उसकी कीमत और अधिक बढ़ जाती है. अच्छी नस्ल की गायें, जिनका स्वास्थ्य बेहतर हो और जो लंबे समय तक दूध दे सकें, वे किसानों के लिए अधिक लाभकारी होती हैं. इस कारण साहिवाल गाय डेयरी व्यवसाय के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प बन चुकी है.

सरकारी प्रयास और बढ़ती मांग

भारत सरकार और कृषि अनुसंधान संस्थान जैसे ICAR, साथ ही विभिन्न राज्य सरकारें साहिवाल नस्ल को बढ़ावा दे रही हैं. कई जगह कृत्रिम गर्भाधान और नस्ल सुधार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. डेयरी सेक्टर में मुनाफे की संभावना देखते हुए अब किसान इस नस्ल को पालने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं.

Published: 11 Aug, 2025 | 04:39 PM

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