सरसों का तेल क्यों है दुधारू पशुओं की सेहत का राज? किसान जरूर जानें इसके बड़े फायदे
सरसों का तेल दुधारू पशुओं के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. इससे पशुओं की ताकत बढ़ती है, पाचन सुधरता है, भूख बढ़ती है और दूध उत्पादन में भी तेजी आती है. किसानों के अनुभव बताते हैं कि नियमित रूप से सरसों का तेल देने से गाय-भैंस मौसमी बीमारियों से भी काफी हद तक बची रहती हैं.
Dairy Animals : गांवों में एक कहावत खूब मशहूर है कि जिस घर में सरसों का तेल हो, वहां बीमारी और कमजोरी टिकती नहीं. यही बात दुधारू पशुओं पर भी पूरी तरह लागू होती है. सरसों का तेल न सिर्फ इंसानों की सेहत मजबूत करता है, बल्कि गाय-भैंस के लिए भी एक बेहद कारगर घरेलू नुस्खा माना जाता है. सही तरीके से दिया जाए तो इससे दूध उत्पादन बढ़ता है, दर्द दूर होता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और पशु पूरे मौसम में फिट रहता है. इसी वजह से आज किसान सरसों के तेल का इस्तेमाल पुरानी परंपरा की तरह नहीं, बल्कि वैज्ञानिक सोच के साथ कर रहे हैं.
सरसों का तेल बढ़ाता है दूध
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दूध देने वाले पशुओं में सरसों का तेल सबसे ज्यादा इसलिए उपयोग किया जाता है क्योंकि यह उनके पाचन और ऊर्जा स्तर को बेहतर बनाता है. किसानों का अनुभव है कि गेहूं के आटे और सरसों के तेल का बराबर मिश्रण दूध बढ़ाने में बहुत असरदार होता है. इस मिश्रण को शाम के समय चारा खिलाने के बाद देना चाहिए और इसके बाद पानी नहीं पिलाना चाहिए. ऐसा करने से पाचन सही रहता है और तेल की गर्म तासीर शरीर में जल्दी असर करती है. कुछ दिनों में फर्क साफ दिखने लगता है-पशु ज्यादा दूध देता है और पहले से ज्यादा सक्रिय भी नजर आता है.
दर्द में राहत और बीमारी से बचाव में सरसों का तेल बेहद कारगर
अगर पशु थका हुआ हो, चलने में दर्द हो रहा हो या किसी वजह से शरीर में सूजन हो, तो सरसों का तेल राहत देने में खास भूमिका निभाता है. यह तेल शरीर की अंदरूनी जकड़न को खोलता है और मांसपेशियों में गर्माहट पहुंचाता है. मानसून के समय जब बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, उस दौरान सरसों का तेल पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है. इसे खिलाने से शरीर में एक तरह की प्राकृतिक ढाल बनती है, जो छोटे-मोटे संक्रमणों से सुरक्षा देती है. किसानों का कहना है-इलाज से बेहतर बचाव है, और बचाव में सरसों का तेल सबसे सस्ता और आसान उपाय है.
पाचन में सुधार और भूख बढ़ाने में भी बेहद फायदेमंद
सरसों का तेल पाचन प्रक्रिया को तेज और संतुलित बनाता है, जिससे गाय-भैंस को पेट संबंधी बीमारियां नहीं लगतीं. इसका सीधा असर दूध की गुणवत्ता और मात्रा दोनों पर पड़ता है. अक्सर देखा जाता है कि बीमारी या मौसम के असर से पशु की भूख कम हो जाती है. ऐसे समय में सरसों का तेल न सिर्फ पेट को आराम देता है बल्कि भूख भी बढ़ाता है. जब पशु मन से चारा खाता है, तभी उसकी ताकत और दूध उत्पादन दोनों अच्छे बने रहते हैं.
कब और कैसे दें सरसों का तेल?
सरसों का तेल सालभर उपयोगी है, लेकिन हर मौसम में इसका असर थोड़ा अलग होता है.
- गर्मी में:- शरीर को लू और तेज गर्मी से बचाता है.
- सर्दियों में:- ठंड से बचाव और शरीर में गर्माहट बनाए रखता है.
- मानसून में:- संक्रमण, खांसी-बुखार और जुकाम जैसी समस्याओं से बचाता है.
- थकान में:- शरीर की थकावट हटाकर ऊर्जा लौटाता है.
कुल मिलाकर, सरसों का तेल दुधारू पशुओं के लिए एक ऐसी देसी दवा है जिसका असर तुरंत और फायदा दीर्घकालिक होता है. यह कम लागत वाला, लेकिन बड़े फायदे देने वाला घरेलू उपाय है जिसे हर किसान अपनी दिनचर्या में आसानी से शामिल कर सकता है.