पशुओं के पेट के कीड़ों का इलाज है बड़ा आसान, ये तरीका अपनाएं और स्वस्थ रहेंगे आपके मवेशी
सर्दी हो या गर्मी, कई बार पशु अच्छे से खाते हुए भी कमजोर दिखने लगते हैं. इसका कारण पेट में मौजूद कीड़े होते हैं, जो चारा हजम कर जाते हैं और दूध उत्पादन घटा देते हैं. ऐसे में एक खास दवा इन कीड़ों को जल्दी खत्म कर देती है और पशु की सेहत फिर से ठीक होने लगती है.
Animal Health : गांवों में अक्सर लोग कहते हैं कि पशु बोले नहीं, लेकिन सबसे ज्यादा दर्द वही सहते हैं. यह बात तब और सच लगती है जब कोई गाय या भैंस अच्छे से खाते पीते हुए भी कमजोर होती जाती है, दूध कम देती है और वजन घटने लगता है. असल में, कई बार इसकी जड़ में एक छोटी-सी लेकिन खतरनाक समस्या होती है–पेट में कीड़े. ये कीड़े चुपचाप चारा हजम कर जाते हैं और पशु को अंदर से निर्बल बना देते हैं. ऐसे में अब एक खास दवा की काफी चर्चा है, जो पेट के कीड़ों से लेकर जूं-ढेरे तक सबका सफाया कर देती है.
पेट के कीड़े क्यों बन जाते हैं पशुपालकों की बड़ी समस्या?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पशुओं के पेट में कीड़े होना एक आम समस्या है, लेकिन इसके नुकसान बहुत गंभीर होते हैं. ये कीड़े पशुओं के खाने का 20 से 30 प्रतिशत हिस्सा अपने अंदर सोख लेते हैं. इससे दूध उत्पादन तेजी से घट जाता है, शरीर की चमक कम हो जाती है और पशु कमजोर दिखने लगता है. कई बार पशुपालक समझ नहीं पाते कि चारा बढ़ाने के बाद भी दूध कम क्यों हो रहा है. पेट में कीड़े होने पर गोबर पतला व बदबूदार हो जाता है, आंखों में गीलापन दिखता है और पशु की भूख भी कम हो जाती है. यदि समय रहते इलाज न किया जाए तो ये कीड़े लगातार बढ़ते रहते हैं, जिससे पशु का पूरा विकास रुक जाता है.
मिनवर्म
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पशुपालकों के बीच इन दिनों मिनवर्म नाम की दवा काफी लोकप्रिय हो गई है क्योंकि यह दो शक्तिशाली तत्वों का मिश्रण है–एलबेन्डाजोल और आइवरमेक्टिन. एलबेन्डाजोल उन सभी प्रकार के पेट के कीड़ों को खत्म करता है जो चारा हजम होने में बाधा डालते हैं, जबकि आइवरमेक्टिन शरीर पर रहने वाले मच्छर, मक्खी, जूं, चीचड़ और ढेरे को भी खत्म करता है. इसका मतलब है कि एक ही दवा अंदर और बाहर दोनों तरह के कीड़ों पर असर दिखाती है. मिनवर्म की खुराक भी सरल है– एक मिलीलीटर दवा चार से पांच किलो शरीर-वजन के लिए दी जाती है. यह छोटे, बड़े और कई पशुओं के लिए अलग-अलग पैक में उपलब्ध है. हां, ध्यान रहे कि यह दवा गाभिन पशुओं को नहीं देनी चाहिए.
कीड़ों का इलाज न करवाने पर हर महीने होता है बड़ा आर्थिक नुकसान
अगर पशु के पेट में कीड़े लंबे समय तक रहें तो यह पशुपालक को हर महीने हजारों रुपये का नुकसान दे सकते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, एक औसत पशु प्रतिदिन लगभग छह किलो दाना, दस किलो सूखा चारा और पांच किलो हरा चारा खाता है. इनमें से कीड़े 20–30 प्रतिशत तक चारा अंदर ही हजम कर जाते हैं, जिससे एक महीने में करीब 4000 रुपये का चारा बेकार हो सकता है. वहीं मिनवर्म की कीमत सिर्फ 83 रुपये है, जिससे एक बड़े पशु का इलाज पूरा हो जाता है. यही वजह है कि समय पर दवा देने से पशु की सेहत भी सुधरती है और किसान का खर्च भी बचता है.