चंदौली-मिर्जापुर के किसानों ने थामा आधुनिक खेती का हाथ, 1 एकड़ फसल से 1.5 लाख तक कमाई
अजात सिंह के खेती करने के इस तरीके की भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ केशव गौतम ने भी सराहना की. अजीत सिंह ने बताया कि इस तरह से वह प्रति एकड़ डेढ़ से दो लाख रुपए तक का फायदा कमा रहे हैं.
किसान अपने खेतों में अच्छे उत्पादन और आमदनी की उम्मीद में हर दिन नए-नए प्रयोग करते रहते हैं. इसीलिए कहा जाता है कि किसानों से बड़ा कोई वैज्ञानिक नहीं होता. किसानों के इन्हीं प्रयोगों और खेती करने के तरीकों को जानने और समझने के लिए केंद्र सरकार की ओर से 15 दिन के विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025 की शुरुआत हुई थी. जिसका उद्देश्य यही है कि कृषि वैज्ञानिक खेतों में उतर कर देश भर के किसानों से मिले और उनके द्वारा की जा रही खेती के तरीकों को समझे और प्रोत्साहित करें.
इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के चंदौली और मिर्जापुर के दो किसानों ने अपनी खेती के तरीक से वैज्ञानिकों को भी हैरान कर दिया. ये दोनों किसान न केवल अन्य किसानों से हटकर काम कर रहे हैं बल्कि अच्छी आमदनी भी कर रहे हैं.
तरबूज की खेती से अच्छा मुनाफा
विकिसत कृषि संकल्प अभियान 2025 के दौरान भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, वारामसी के वैज्ञानिक चंदौली के किसान दिलीप यादव से मिले . वहां वैज्ञानिकों ने देखा कि दिलीप अपनी सोच और सूझबूझ से तरबूज की खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं. दरअसल, दिलीप अपने खेत में तरबूज ऐसे समय कर रहे हैं जब बाजार में तरबूज खत्म हो रहा है. इसका कारण पूछने पर किसान दिलीप बताते हैं कि उनका मानना है जब बाजार से कोई भी उत्पाद खत्म होने लगता है तब अगर उनका उत्पाद बाजार में आएगा तो उसकी कीमत अच्छी मिलेगी.
Chandauli Farmer Dileep Yadav
दिलीप बताते हैं कि किसी भी फसल की अच्छी कीमत तभी मिलती है जब वो समय से पहले बाजार में आ जाए या फिर समय के बाद. इसलिए वे तरबूज की इस तरह से खेती करते हैं कि जब बाजार में तरबूज खत्म हो जाता है तो उनका तरबूज तैयार होता है. ऐसे में उन्हें अच्छा मुनाफा मिलता है.
खीरे की खेती 1.5 लाख कमाई
वहीं दूसरी और यूपी के ही जिले मिर्जापुर के कनेटी गांव के रहने वाले अजीत सिंह साल में दो बार खीरे की फसल लगाते हैं. यहीं नहीं वे अपने खेतों में मल्चिंग और ड्रिंप सिंचाई जैसी तकनीकों का भी इस्तेमाल करते हैं. खीरे के अलावा किसान अजीत सिंह टमाटर की फसल भी लगाते हैं. अजात सिंह के खेती करने के इस तरीके की भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ केशव गौतम ने भी सराहना की. अजीत सिंह ने बताया कि इस तरह से वह प्रति एकड़ डेढ़ से दो लाख रुपए तक का फायदा कमा रहे हैं.
सरकारी योजनाओं का उठाया लाभ
मिर्जापुर के किसान अजीत सिंह ने बताया कि ड्रिप सिंचाई सिस्टन लगाने के लिए उन्होंने सरकार की ओर से दी जा रही सब्सिडी का लाभ उठाया. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि वे किसानों के चलाई जा रही सभी योजनाओं के प्रति जागरुक भी हैं. किसान अजीत सिंह और दिलीप यादव से प्रेरित होकर गांव के अन्य किसान भी खेती के ऐसे तरीकों को अपना रहे हैं जिसमें कम लागत में भी उन्हें अच्छा मुनाफा हो सके.