महाराष्ट्र में 3 महीने के अंदर 767 किसानों ने की आत्महत्या, सबसे ज्यादा इस जिले में मौत के मामले

जनवरी से मार्च 2025 के बीच महाराष्ट्र में 767 किसानों ने आत्महत्या की, जिनमें सबसे ज्यादा मामले विदर्भ से थे. राज्य सरकार मृत किसानों के परिवारों को 1 लाख रुपये की मदद देती है, पर कई पात्र किसान वंचित रह गए.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 2 Jul, 2025 | 10:38 PM

महाराष्ट्र में तीन महीने के अंदर 700 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है. इसकी जानकारी खुद राज्य सरकार ने दी है. महाराष्ट्र सरकार ने विधानसभा में कहा है कि जनवरी से मार्च 2025 के बीच राज्य में 767 किसानों ने आत्महत्या की, जिनमें से सबसे ज्यादा मामले विदर्भ क्षेत्र से सामने आए हैं. कांग्रेस विधायकों ने सरकार से इस बढ़ती समस्या पर सवाल पूछा और विदर्भ में आत्महत्या कर रहे किसानों को लेकर चिंता जताई. उन्होंने यह भी पूछा कि सरकार मृत किसानों के परिवारों को किस तरह की मदद दे रही है और मौजूदा 1 लाख रुपये की आर्थिक मदद को बढ़ाने की मांग भी रखी.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस पर पुनर्वास मंत्री और एनसीपी विधायक मकरंद पाटिल ने लिखित जवाब सदन में पेश किया और भरोसा दिलाया कि महाराष्ट्र सरकार किसानों को हरसंभव मदद दे रही है. सरकार की मौजूदा योजना के तहत आत्महत्या करने वाले किसान के परिवार को 1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है. सरकार द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, इन तीन महीनों में हुई 767 आत्महत्याओं में से 376 किसान सरकार की मदद के पात्र थे, जबकि 200 किसानों के परिवारों को कोई सहायता नहीं मिल सकी, क्योंकि वे सरकार द्वारा तय किए गए मानदंडों पर खरे नहीं उतरे.

76 परिवारों को आर्थिक सहायता दी गई

महाराष्ट्र विधानसभा में पुनर्वास मंत्री मकरंद पाटिल ने जानकारी दी कि पश्चिम विदर्भ के जिले यवतमाल, अमरावती, अकोला, बुलढाणा और वाशिम में जनवरी 2025 से मार्च 2025 के बीच 257 किसानों ने आत्महत्या की. इनमें से सिर्फ 76 मृतक किसानों के परिवारों को आर्थिक सहायता दी गई, जबकि 74 आवेदन अस्वीकृत कर दिए गए. मराठवाड़ा के हिंगोली जिले में भी इसी तीन महीने की अवधि में 24 किसानों की आत्महत्या के मामले सामने आए हैं.

सहायता राशि बढ़ाने की मांग

कांग्रेस विधायकों ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह किसानों को समय पर मदद नहीं पहुंचा पा रही है. उन्होंने कहा कि कई पात्र किसानों को मामूली कारणों के आधार पर सहायता से वंचित कर दिया गया है. इसके साथ ही उन्होंने मृत किसानों के परिवारों को दी जाने वाली 1 लाख रुपये की सहायता राशि बढ़ाने की मांग दोहराई, लेकिन सरकार ने साफ किया कि इस सहायता राशि को बढ़ाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है. हालांकि सरकार ने यह भी कहा कि किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं.

केंद्र सरकार देती है 6000 रुपये की सहायता

राज्य सरकार उन किसानों को मुआवजा दे रही है जिनकी फसलें अकाल बारिश या प्राकृतिक आपदाओं के कारण खराब हो जाती हैं. इसके अलावा, प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत केंद्र सरकार किसानों को 6000 रुपये सालाना देती है और राज्य सरकार भी गरीब व जरूरतमंद किसानों को 6000 रुपये सालाना की अतिरिक्त मदद कर रही है.

किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाएं

नोट में आगे बताया गया है कि सरकार किसानों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर भी गंभीर है. तनाव और निराशा से जूझ रहे किसानों के लिए काउंसलिंग सेशन आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि आत्महत्या की घटनाएं रोकी जा सकें. साथ ही, सरकार ने किसानों की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी बढ़ाया है. इसके अलावा, राज्य सरकार का फोकस ज्यादा से ज्यादा जमीन को सिंचाई के दायरे में लाने और किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाएं लागू करने पर है.

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Published: 2 Jul, 2025 | 10:36 PM

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