भारत में धान उगाएंगे बिल गेट्स, आजमगढ़ से की खेती की शुरुआत

इस प्रोजेक्ट के तहत हाइब्रिड धान की 27 नई किस्मों पर रिसर्च की जा रही है. यहां वैज्ञानिकों ने छोटे-छोटे भूखंडों पर हर किस्म की अलग-अलग जांच शुरू की है. खेतों के ये टुकड़े 5 मीटर लंबे और 2 मीटर चौड़े हैं. फिलहाल नर्सरी तैयार हो चुकी है और जल्द ही रोपाई भी शुरू हो जाएगी.

नई दिल्ली | Published: 12 Jul, 2025 | 09:03 AM

जब माइक्रोसॉफ्ट जैसे टेक्नोलॉजी दिग्गज के संस्थापक और दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शुमार बिल गेट्स भारत के एक छोटे से गांव में खेती की बात करते हैं, तो यह खबर किसी सपने से कम नहीं लगती. लेकिन ये सपना अब हकीकत बन चुका है. बिल गेट्स अब भारत के पूर्वी उत्तर प्रदेश, यानी आजमगढ़ जिले से धान की खेती का नया अध्याय शुरू कर रहे हैं. उनका मकसद साफ है ऐसी धान की किस्में तैयार करना जो ज्यादा उपज दें, कम लागत में हों और मौसम की मार भी झेल सकें.

आजमगढ़ के कोटवां से शुरू हुआ रिसर्च प्रोजेक्ट

हिन्दुस्तान की खबर के अनुसार, आजमगढ़ के कोटवां स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सहयोग से एक अनोखा प्रोजेक्ट शुरू हुआ है. इस प्रोजेक्ट के तहत हाइब्रिड धान की 27 नई किस्मों पर रिसर्च की जा रही है. यहां वैज्ञानिकों ने छोटे-छोटे भूखंडों पर हर किस्म की अलग-अलग जांच शुरू की है. खेतों के ये टुकड़े 5 मीटर लंबे और 2 मीटर चौड़े हैं. फिलहाल नर्सरी तैयार हो चुकी है और जल्द ही रोपाई भी शुरू हो जाएगी.

किसानों के लिए होगी खेती की क्रांति

इस रिसर्च का उद्देश्य सिर्फ नई किस्में विकसित करना नहीं है, बल्कि किसानों के जीवन को बेहतर बनाना है. खासकर पूर्वांचल के उन किसानों के लिए, जो हर साल कभी सूखा, कभी बाढ़ और कभी कीटों से परेशान रहते हैं. अगर इस रिसर्च से कोई बेहतर किस्म सामने आती है, तो उसे सीधे किसानों तक पहुंचाया जाएगा. इससे उनकी पैदावार बढ़ेगी, लागत घटेगी और आमदनी में सुधार होगा.

गेट्स और खेती का पुराना रिश्ता

आपको जानकर हैरानी होगी कि बिल गेट्स सिर्फ तकनीक के जादूगर नहीं हैं, बल्कि खेती से भी उनका गहरा नाता है. वो अमेरिका के सबसे बड़े निजी खेती भूमि मालिक हैं, जिनके पास करीब 2.7 लाख एकड़ जमीन है. वहां वो आलू जैसी फसलें उगवाते हैं जो नामी ब्रांड्स में जाती हैं. उनका फाउंडेशन दुनियाभर में किसानों के लिए रिसर्च, बीज विकास, जलवायु स्मार्ट खेती और नई तकनीकों के प्रयोग पर काम करता रहा है.

देशभर में फैल सकता है पूर्वांचल मॉडल

अगर कोटवां का यह प्रयोग सफल होता है, तो यह मॉडल पूरे देश में लागू किया जा सकता है. इससे पूर्वांचल ही नहीं, पूरे भारत के किसानों को नई किस्में मिलेंगी, जो जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बावजूद बेहतर फसल देंगी. यही नहीं, इससे भारत की खाद्य सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी और किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में एक ठोस कदम माना जा सकता है.