गेहूं-ज्वार-चना की 3 नई किस्मों को मिली मंजूरी, कई तरह के रोगों से लड़ने में सक्षम

अकोला के कृषि विश्वविद्यालय की तीन नई फसल किस्मों को केंद्र की मंजूरी मिली है. ये किस्में किसानों के लिए फायदेमंद साबित होंगी,

धीरज पांडेय
नोएडा | Updated On: 28 May, 2025 | 07:30 PM

खेती को मुनाफे का सौदा बनाने की दिशा में एक और अहम कदम उठाया गया है. पीटीआई के मुताबिक,महाराष्ट्र के अकोला जिले में स्थित डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित तीन नई फसल किस्मों को केंद्र सरकार की मंजूरी मिल गई है. इनमें गेहूं, ज्वार और चना शामिल हैं. इसके अलावा समिति ने तीन पुरानी किस्मों को भी क्षेत्र विस्तार के लिए मंजूरी दी है. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इन नई किस्मों से किसानों की पैदावार बढ़ेगी और खेती में आने वाले जोखिमों में भी कमी आएगी.

अकोला विश्वविद्यालय की बड़ी सफलता

कृषि के क्षेत्र में नई तकनीकों को बढ़ावा देते हुए अकोला स्थित डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय ने एक अहम उपलब्धि हासिल की है. विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. शरद गडख ने जानकारी दी कि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की फसल गुणवत्ता अधिसूचना समिति ने विश्वविद्यालय द्वारा विकसित तीन नई फसल किस्मों को मंजूरी दी है. गेहूं, ज्वार और चने की इन किस्मों को अब राष्ट्रीय स्तर पर किसानों तक पहुंचाया जाएगा.

इन नई किस्मों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये कम समय में पकती हैं, रोग प्रतिरोधी हैं और कम पानी में भी अच्छी उपज देती हैं. ऐसे में किसानों को उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ-साथ क्वलिटी भी बेहतर मिलेगी. इससे उनकी आमदनी में सुधार होगा और खेती को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में मदद मिलेगी.

सोयाबीन और मूंगफली की किस्में भी लिस्टेड

सिर्फ नई फसलें ही नहीं, समिति ने तीन पुरानी किस्मों को भी क्षेत्र विस्तार के लिए मंजूरी दी है. इनमें सोयाबीन की दो किस्में और मूंगफली की एक किस्म शामिल हैं. अब ये किस्में और बड़े क्षेत्र में उगाई जा सकेंगी, जिससे फसल विविधता को बढ़ावा मिलेगा और किसान अपनी जमीन का अधिकतम उपयोग कर पाएंगे.

खेती को बनाएंगे मुनाफे वाला व्यवसाय

कुलपति डॉ. गडख ने कहा कि विश्वविद्यालय का लक्ष्य केवल शोध करना नहीं, बल्कि आधुनिक कृषि तकनीकों, समयानुकूल फसलों और यंत्रों के माध्यम से खेती को लाभ का व्यवसाय बनाना है. जल्द ही इन नई किस्मों के बीज बाजार में उपलब्ध होंगे ताकि किसान उनका लाभ उठा सकें. यह कदम कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और नवाचार को बढ़ावा देने वाला साबित हो सकता है.

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Published: 28 May, 2025 | 07:30 PM

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