कपास के लिए बड़ा खतरा बनी गुलाबी सुंडी, कृषि वैज्ञानिकों ने बताए बचाव के उपाय

गुलाबी सुंडी से कपास की फसल बचाने के लिए हिसार में प्री-सीजन मीटिंग हुई, जिसमें प्रकोप को 76% से 26% तक कम करने की सफलता पर चर्चा हुई. कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को कीट से फसल बचाने के उपाय बताए.

धीरज पांडेय
Noida | Published: 4 Apr, 2025 | 12:40 PM

पिछले साल गुलाबी सुंडी ने अपने प्रकोप से कपास किसानों की नींद उड़ाई थी, लेकिन इस बार इससे बचने के लिए पहले से ही मोर्चा संभालने की तैयारी कर ली गई है. इससे बचाव के लिए हिसार में आज (3 अप्रैल) को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में बीटी कपास में गुलाबी सुंडी के प्रबंधन पर प्री-सीजन रिव्यू मीटिंग आयोजित हुई. इस बैठक की अध्यक्षता कुलपति प्रो.बी.आर. काम्बोज ने की,जिसमें वैज्ञानिकों, कृषि अधिकारियों और किसानों ने मिलकर इस खतरे से बचाव के उपायों पर चर्चा की.

पिछले साल की तुलना में कम प्रकोप

मीटिंग के दौरान कुलपति प्रो. बी. आर. काम्बोज ने बताया कि 2023 की अपेक्षा 2024 में गुलाबी सुंडी का प्रकोप 76 फीसदी से घटकर 26 फीसदी रह गया है, जो वैज्ञानिकों की सलाह और किसानों की मेहनत का ही नतीजा है. हालांकि विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि अगर इस साल सतर्कता नहीं बरती गई, तो यह फिर से फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकती है.

कपास किसान इन बातों का रखें ध्यान

मीटिंग में किसानों को सलाह दी गई कि वे नरमे की बन्छटियों (कपास के बचे हुए पौधे) को खेत में न रखें. इसमें ध्यान देने की बात यह है कि बुआई से पहले इन्हें अच्छी तरह झाड़कर हटाएं और अधखिले टिंडे व सूखे कचरे को नष्ट करें, ताकि गुलाबी सुंडी दोबारा हमला न कर सके. इसके अतिरिक्त कृषि वैज्ञानिकों ने समन्वित कीट प्रबंधन (आईपीएम) अपनाने पर जोर दिया.

अधिकारियों और कर्मचारियों की तैनाती

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. आर.पी. सिहाग ने बताया कि किसानों के खेतों में गुलाबी सुंडी के प्रकोप की निगरानी के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी और समय-समय पर निरीक्षण कर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सुंडी के प्रकोप को बढ़ने से पहले ही रोका जाए.

किसानों ने भी साझा किए अनुभव

बैठक में राशी सीड्स, अंकुर सीड्स, अजीत सीड्स, बायो सीड्स और रैलीस सीड्स जैसी बीज कंपनियों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए. इस दौरान प्रमुख कपास उत्पादक जिलों के किसानों ने अपने अनुभव साझा किए और बताया कि वे पिछले साल किस तरह से सुंडी के प्रकोप से बचे हैं.

सावधानी ही बचाव

प्रो. काम्बोज ने कहा कि इस साल भी एडवाइजरी को ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचाया जाएगा. गुलाबी सुंडी से निपटने के लिए जागरूकता और सतर्कता ही एक मात्र सबसे बड़ा हथियार है. इसलिए किसान पहले से तैयारी करें, ताकि इस बार नुकसान की नौबत न आए.

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Published: 4 Apr, 2025 | 12:40 PM

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