कपास किसानों के लिए मुश्किल भरा साल, ‘मोंथा’ तूफान और बारिश से घटा उत्पादन, गिरे दाम

जहां देश के कई हिस्सों में मानसून के बाद सामान्य मौसम की उम्मीद थी, वहीं अत्यधिक बारिश और चक्रवात ‘मोंथा’ ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया. इस साल कपास की पैदावार में भारी गिरावट देखने को मिल रही है.

नई दिल्ली | Published: 12 Nov, 2025 | 09:04 AM

cotton production: भारत के कपास किसानों के लिए यह सीजन निराशाजनक साबित हो रहा है. जहां देश के कई हिस्सों में मानसून के बाद सामान्य मौसम की उम्मीद थी, वहीं अत्यधिक बारिश और चक्रवात ‘मोंथा’ ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया. इस साल कपास की पैदावार में भारी गिरावट देखने को मिल रही है. कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) के अनुसार, 2025-26 सीजन में देश का कुल कपास उत्पादन करीब 2 प्रतिशत घटकर 305 लाख गांठ रहने का अनुमान है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 312 लाख गांठ था.

बारिश और तूफान से फसल को भारी नुकसान

सितंबर और अक्टूबर में लगातार हुई बारिश और ‘मोंथा’ तूफान ने कपास के खेतों में भारी तबाही मचाई. जिन इलाकों में फसल कटाई शुरू होने वाली थी, वहां पानी भर जाने से पौधे सड़ गए और कई जगहों पर पूरी फसल बर्बाद हो गई. किसानों का कहना है कि उन्होंने उर्वरक, कीटनाशक और मजदूरी पर काफी खर्च किया, लेकिन फसल आधी भी नहीं बची. इस नुकसान ने न केवल किसानों की आमदनी पर असर डाला है, बल्कि आने वाले महीनों में बाजार में कपास की कीमतों पर भी दबाव बना दिया है.

खेती का क्षेत्र घटा, पैदावार उम्मीद से कम

सीएआई के अध्यक्ष अतुल एस. गणात्रा ने बताया कि इस बार खरीफ सीजन में कपास की खेती का क्षेत्रफल करीब 2.6 प्रतिशत घटकर 110 लाख हेक्टेयर रह गया. शुरुआती दौर में मौसम सामान्य था और किसानों को उम्मीद थी कि उत्पादन 330–340 लाख गांठ तक पहुंच जाएगा, लेकिन सितंबर-अक्टूबर की अनियमित बारिश और तेज हवाओं ने सारी गणना बिगाड़ दी. उन्होंने बताया कि “कई राज्यों में खेत जलमग्न हो गए, जिससे फूल और फलिया दोनों नष्ट हो गईं. नतीजतन, कुल उत्पादन पिछले वर्ष से कम रहने वाला है.”

कौन से राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित हुए

राजस्थान, हरियाणा और पंजाब जैसे उत्तरी राज्यों में मौसम ने कुछ राहत दी और यहां उत्पादन में हल्की बढ़ोतरी दर्ज हुई है. लेकिन गुजरात और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा. तेलंगाना की स्थिति और भी खराब है, जहां उत्पादन घटकर 48.75 लाख से 43 लाख गांठ तक सिमटने की संभावना है. वहीं कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में बुवाई क्षेत्र बढ़ने से मामूली सुधार देखने को मिला है.

आयात से पूरी होगी घरेलू कमी

भले ही घरेलू उत्पादन घटा हो, लेकिन कपास का आयात इस बार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है. सीएआई का अनुमान है कि अक्टूबर से दिसंबर 2025 के बीच लगभग 30 लाख गांठ कपास का आयात किया जाएगा, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक है. पूरे वित्तीय वर्ष में आयात 45 लाख गांठ तक पहुंचने की संभावना है. विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार द्वारा कपास पर आयात शुल्क शून्य करने से मिलों ने विदेशी कपास की बड़ी मात्रा में बुकिंग की है, जिससे घरेलू बाजार में आपूर्ति संतुलित रह सकती है.

कीमतों में गिरावट से किसानों की मुश्किलें बढ़ीं

फसल की आवक शुरू होते ही बाजार में कपास के दाम गिरने लगे हैं. देशभर में रोज़ाना करीब 1.3 लाख गांठ की आवक हो रही है, जो आने वाले हफ्तों में 1.5 लाख गांठ तक पहुंच सकती है. फिलहाल बाजार में कच्चे कपास की कीमतें ₹6,000–₹7,500 प्रति क्विंटल चल रही हैं, जबकि सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹8,100 प्रति क्विंटल है. इससे किसानों में नाराजगी और चिंता दोनों बढ़ गई हैं, क्योंकि लागत बढ़ने के बावजूद उन्हें उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा.

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