गन्ना पर मंडरा रहा है मिलीबग का खतरा, रुक जाएगी फसल की ग्रोथ.. किसान ऐसे करें बचाव

गन्ने की फसल में मीलीबग के आक्रमण के कारण फसल की ग्रोथ रुक जाती है. साथ ही पैदावार में भी 20 से 30 फीसदी कमी आती है. कई बार इस कीट के कारण गन्ने में कालापन भी दिखने लगता है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 26 Jul, 2025 | 10:21 PM

मॉनसून सीजन में गन्ने की फसल पर मिलीबग कीट का खतरा बढ़ जाता है, जिसके कारण न केवल फसल बर्बाद हो जाती है बल्कि किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद की ओर से फसल को मिलीबग से बचाने के लिए एडवाइजरी जारी की गई है. गन्ना शोध परिषद, शहजहांपुर के निदेशक वीके शुक्ला ने किसानों को बचाव के उपाय बताए हैं. उन्होंने बताया कि इस कीट के आक्रमण से गन्ने की फसल की ग्रोथ रुक जाती है और पैदावार में 20 से 30 फीसदी कमी हो जाती है.

मीलीबग के लक्षणों की पहचान

मिलीबग को गुलाबी चीकटा भी कहा जाता है. इस कीट के कुछ लक्षण हैं जिनकी मदद से किसान इसकी पहचान कर सकते हैं. ये कीट देखने में गुलाबी रंग के होते हैं और आकार में या तो गोल या फिर चपटे होते हैं. वहीं काउन मिलिबग गन्ने की फसल की पत्तियों, तनों और लीफशीथ पर आक्रमण करते हैं. इस कीट के आक्रमण से फसल में पोक्का बोइंग रोग का संक्रमण हो जाता है जिससे गन्ने की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और गन्ने की पैदावार रुक जाती है.

इसके अलावा इन कीटों का एक और लक्षण है कि इनके प्रभाव के कारण गन्ने के तनों पर चिपचिपा शहद जैसा पदार्थ रिसने लगता है, जिसके कारण फसल पर ब्लैक सूटी मोल्ड का संक्रमण हो जाता है. गन्ना शोध परिषद, शहजहांपुर के निदेशक वीके शुक्ला ने बताया कि जुलाई से अगस्त के महीने में इस कीट का असर ज्यादा होता है.

गन्ने की फसल को होने वाले नुकसान

गन्ने की फसल में मीलीबग के आक्रमण के कारण फसल की ग्रोथ रुक जाती है. साथ ही पैदावार में भी 20 से 30 फीसदी कमी आती है. कई बार इस कीट के कारण गन्ने में कालापन भी दिखने लगता है. बता दें फसल में इस कीट का सबसे ज्यादा असर होता है, वहां  पर गन्ने की गांठों पर सफेद कपास जैसा पदार्थ दिखने लगता है और गन्ने के जोड़ों पर कीटों का गुच्छा दिखने लगता है. मिलीबग के संक्रमण का कारण है फसल में ज्यादा नमी का होना, कई बार फसल का सही रखरखाव न होने के कारण भी मिलाबग का खतरा बढ़ जाता है.

बचाव के लिए करें दवा का छिड़काव

यूपी गन्ना परिषद, शाहजहांपुर द्वारा बताए गए उपाय के अनुसार गन्ने से प्रभावित लीफशीथ को हटाकर अलग कर दें. इसके बाद प्रति हेक्टेयर की दर से 200 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस.एल या फिर 625 लीटर पानी में 1.25 लीटर डाइमेथोयेट 30 प्रतिशत ई.सी. को मिलाएं या फिर 500 से 1000 लीटर पानी में 1500 मिलीलीटर मोनोकोटोफ़स 36 एसएल को मिलाकर फसल पर छिड़काव करें.

निम्नलिखित फसलों में से किस फसल की खेती के लिए सबसे कम पानी की आवश्यकता होती है?

Poll Results

गन्ना
0%
धान (चावल)
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बाजरा (मिलेट्स)
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केला
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