पंजाब में 2022 से 2024 के बीच पराली को लेकर 7000 FIR दर्ज, पर नहीं हुई कोई बड़ी कार्रवाई
पंजाब में 2022-2024 के बीच 7,000 से ज्यादा पराली जलाने की एफआईआर दर्ज हुईं, लेकिन ज्यादातर लंबित या मामूली जुर्माने के साथ निपटाई गईं. ठेका प्रथा, पड़ोसी खेत से आग का फैलना और किसान यूनियनों के दबाव से कई केस बंद किए गए. 2024 से मामले धारा 223 के तहत दर्ज हो रहे हैं.
Punjab News: पंजाब में 2022 से 2024 के बीच पराली जलाने के मामलों में करीब 7,000 एफआईआर दर्ज की गईं, लेकिन ज्यादातर मामलों में कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई. अधिकांश केस या तो मामूली जुर्माने के साथ निपटा दिए गए या किसान यूनियनों के दबाव में बंद कर दिए गए. 2024 में 5,783 एफआईआर दर्ज की गईं, जबकि 2023 में 1,144 और 2022 में सिर्फ 44 मामले दर्ज हुए थे. इस साल 4 नवंबर तक 972 केस दर्ज हुए हैं. ये कार्रवाई पराली जलाने की उस प्रथा को रोकने के लिए की जा रही है, जिससे हर साल अक्टूबर-नवंबर में उत्तर भारत के कई हिस्सों में जहरीला धुआं फैल जाता है और प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस और अभियोजन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, ज्यादातर एफआईआर पर आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई और वे थानों में लंबित हैं या नाममात्र के जुर्माने के साथ खत्म कर दी गईं. पटियाला, संगरूर, मुक्तसर, मोगा और फरीदकोट जैसे जिलों में पिछले तीन साल में दर्ज 1,875 मामलों में से एक भी केस अदालत तक नहीं पहुंचा. वहीं, अमृतसर, तरनतारण, बठिंडा और फिरोजपुर जिलों में करीब 3,000 केस दर्ज हुए, लेकिन उनमें से 100 से भी कम अदालत पहुंचे.
पराली जलाने की घटनाएं सैटेलाइट से दर्ज की गईं
नासा के FIRMS डेटा के मुताबिक, इन तीन सालों में क्रमशः 46,752 (2022), 31,325 (2023) और 9,099 (2024) पराली जलाने की घटनाएं सैटेलाइट से दर्ज की गईं. पटियाला जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ज्यादातर केस रुके हुए हैं, कुछ को 500 से 1,000 रुपये के जुर्माने के साथ निपटाया गया है, जबकि कई एफआईआर किसान यूनियनों के दबाव में वापस ले ली गईं.
5,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं
2024 से सभी पराली जलाने के मामलों में एफआईआर भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) की धारा 223 के तहत दर्ज की जा रही है. यह धारा अधिकारियों द्वारा जारी सार्वजनिक आदेशों की अवहेलना करने पर सजा का प्रावधान करती है. पराली जलाने के मामले में यह आदेश जिलाधिकारियों द्वारा फसल अवशेष जलाने पर रोक के लिए जारी किए जाते हैं. इस धारा के तहत अधिकतम सजा छह महीने की जेल, 5,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.
अधिकतम 1,000 रुपये का जुर्माना है
2024 से पहले ऐसे मामले भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 188 के तहत दर्ज होते थे, जिसमें अधिकतम 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता था. कई मामलों में जांच पूरी होने से पहले ही बंद कर दी गई. एक डीआईजी स्तर के अधिकारी ने बताया कि किसानों ने दावा किया कि आग उनके खेत में नहीं, बल्कि पड़ोसी खेत से फैल गई थी, इसलिए कई केस खत्म कर दिए गए. एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा कि पंजाब में जमीन ठेके पर देने (ठेका प्रथा) की प्रथा आम है, जो अक्सर बिना किसी लिखित समझौते के होती है. कई बार एफआईआर जमीन मालिक के नाम पर दर्ज हुई, जबकि असली खेती करने वाला कोई और व्यक्ति था. इस वजह से भी कई मामलों को बंद कर दिया गया.