भारत सरकार ने फसल क्षेत्र के अनुमान की प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल करने का फैसला लिया है. अब सैटेलाइट आधारित तकनीक से फसलों का आंकलन होगा, जो पारंपरिक ‘गिर्दावरी’ से अधिक तेज और 95 फीसदी तक सटीक माना गया है. डिजिटल क्रॉप सर्वे (DCS) को डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन के तहत 2024 में शुरू किया गया और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात व ओडिशा में खरीफ 2024 के लिए लागू किया गया, जिसका अच्छा रिजल्ट रहा.
मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर 2025 में पहली बार पूरे देश के लिए सैटेलाइट आधारित फसल उत्पादन के आंकड़े जारी किए जाएंगे. इनमें गेहूं-धान जैसे पारंपरिक फसलों के साथ स्ट्रॉबेरी और एवोकाडो जैसी नई फसलें भी शामिल होंगी. यह डेटा कृषि क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लाएगा. मंत्रालय ने 2024 में इस तकनीक का ट्रायल शुरू किया था और ‘डिजिटल क्रॉप सर्वे'(DCS) को डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन (DAM) के तहत लागू किया गया.
क्या है गिर्दावरी सिस्टम
यह सर्वे राज्यों के सहयोग से किया गया और इसका मकसद पुराने मैन्युअल ‘गिर्दावरी सिस्टम’ की जगह लेना है. दरअसल, ‘गिर्दावरी सिस्टम’ एक पारंपरिक व्यवस्था है जिसमें गांव का पटवारी खेतों का दौरा कर फसलों से जुड़ा डेटा इकट्ठा करता है और उसे रजिस्टर में दर्ज करता है. अब इसकी जगह सैटेलाइट और डिजिटल सिस्टम ले रहे हैं, जिससे डेटा ज्यादा तेज और सटीक होगा.
इन राज्यों में हो चुका है सर्वे
5 नवंबर 2024 को जारी एक आधिकारिक बयान में कृषि मंत्रालय ने कहा कि डिजिटल क्रॉप सर्वे के तहत उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और ओडिशा के सभी जिलों में खरीफ 2024 के लिए फसल क्षेत्र का अनुमान लगाया गया है. मंत्रालय के अनुसार, उत्तर प्रदेश में धान की फसल का रकबा काफी बढ़ा है.
रिकॉर्ड 3,322.98 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन
2024 के फाइनल फसल अनुमानों में मंत्रालय ने जिन प्रमुख फसलों का डेटा जारी किया है उनमें चावल, गेहूं, मोटा अनाज, मक्का, दालें, बाजरा, अरहर, चना, मूंगफली, सोयाबीन, सरसों, गन्ना, कपास और जूट शामिल हैं. 2023-24 में देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन 3,322.98 लाख मीट्रिक टन रहा, जो 2022-23 के 3,296.87 लाख मीट्रिक की तुलना में 26.11 लाख मीट्रिक अधिक है. यह अब तक का रिकॉर्ड उत्पादन माना जा रहा है.