Shrimp Consumption: भारत की एक्वाकल्चर इंडस्ट्री दुनिया में सबसे बड़ी में से एक है, जिसकी सालाना निर्यात क्षमता लगभग 40,000 करोड़ रुपये है. इसके बावजूद देश में झींगे की घरेलू खपत बेहद कम है. हाल ही में झींगा पालन उद्योग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मत्स्य पालन मंत्री राजीव रंजन सिंह को एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें घरेलू बाजार को मजबूत बनाने और किसान-उपभोक्ता के बीच संबंध बनाने की योजना पेश की गई है.
घरेलू बाजार में झींगे की खपत
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, देश में सालाना 10 लाख टन झींगा उत्पादन होता है, लेकिन प्रति व्यक्ति खपत मात्र 100 ग्राम है. वहीं अमेरिका, थाईलैंड और जापान में प्रति व्यक्ति झींगे की खपत 2-3 किलो है. भारत में मछली की कुल प्रति व्यक्ति खपत 5-6 किलो के मुकाबले झींगे का हिस्सा सिर्फ 2 प्रतिशत से भी कम है. इंडुकुरी मोहन राजू, प्रॉन फार्मर्स फेडरेशन के अध्यक्ष के अनुसार, “उत्पादन तो बहुत है, लेकिन कमजोर सप्लाई चैन, गुणवत्ता में असंगति और उपभोक्ताओं में जागरूकता की कमी के कारण घरेलू मांग पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाई है.”
प्रस्तावित योजना: SHMU यूनिट्स
उद्योग ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्री को “Shrimp Handling and Marketing Units” (SHMUs) की स्थापना का सुझाव दिया है. इन यूनिट्स का उद्देश्य किसान और उपभोक्ता के बीच सीधा संबंध बनाना और घरेलू बाजार को मजबूत करना है. प्रत्येक यूनिट की लागत लगभग 50 रुपये करोड़ आंकी गई है और शुरूआती निवेश 1,000 करोड़ रुपये से इसे लागू किया जा सकता है.
इस योजना के तहत अगले पांच वर्षों में 200 यूनिट्स स्थापित की जा सकती हैं, जिससे किसानों की आय स्थिर होगी और घरेलू बाजार में झींगे की खपत बढ़ेगी. योजना के अनुसार यह किसान-केन्द्रित और सरकार-समर्थित पहल होगी, जो निर्यात पर देश की अत्यधिक निर्भरता को कम करेगी और घरेलू झींगा विपणन को एक सफलता की कहानी बना देगी.
किसानों और उपभोक्ताओं के लिए लाभ
यह पहल न केवल किसानों की आमदनी को स्थिर करेगी, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए झींगा सुलभ और किफायती बनेगा. SHMU यूनिट्स की मदद से आपूर्ति श्रृंखला मजबूत होगी, गुणवत्ता नियंत्रित होगी और उपभोक्ताओं में झींगे के प्रति जागरूकता बढ़ेगी. उद्योग का मानना है कि यह योजना राष्ट्रीय झींगा उत्पादन का लगभग 50 प्रतिशत घरेलू बाजार में समायोजित कर सकती है.
झींगा उद्योग के लिए यह समय निर्णायक है. अमेरिका में आयात पर 50 प्रतिशत टैक्स के कारण निर्यात प्रभावित हुआ है. घरेलू बाजार को विकसित करके न केवल आर्थिक नुकसान कम किया जा सकता है, बल्कि किसानों की आय भी सुनिश्चित होगी.