आंधी-तूफान में डटकर खड़ी रहती हैं गेहूं की ये किस्में, 25 तारीख से पहले कर लें बुवाई.. पैदावार से भर जाएगा घर
पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश में गेहूं की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है. जबकि बिहार, झारखंड और पूर्वी यूपी में अभी धान की कटाई ही शुरू हुई है. ऐसे में किसान PBW RS1 और PBW 550 किस्मों की बुवाई नवंबर के अंत तक कर सकते हैं.
Wheat Farming: पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश में गेहूं की बुवाई लगभग पूरी हो गई है. लेकिन बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में किसान अभी धान की कटाई ही कर रहे हैं. इसके बाद इन राज्यों के किसान गेहूं की बुवाई शुरू करेंगे. लेकिन कई ऐसे किसान हैं, जो गेहूं की किस्मों को लेकर असमंजस में हैं. वे फैसला नहीं कर पा रहे हैं कि गेहूं की कौन सी किस्म की बुवाई की जाए, जिससे अधिक पैदावार हो और आंधी-तूफान से फसल को नुकसान भी नहीं पहुंचे. लेकिन अब ऐसे किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. आज हम गेहूं की कुछ ऐसी किस्मों के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसकी बुवाई करने पर कम लागत में अधिक पैदावार होगी और तेज हवा चलने पर पौधे भी जमीन पर नहीं गिरेंगे.
कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक, अगेती गेहूं बुवाई के लिए 25 नवंबर तक का समय सबसे बेस्ट होता है. लेकिन 15 जनवरी तक भी किसान पछेती किस्मों की बुवाई कर सकते हैं. पर खास बात यह है कि कई किसान अभी भी कई पुरानी किस्में बोते हैं, लेकिन अब कई नई उन्नत वैरायटी भी उपलब्ध हैं, जो कम पानी में भी बंपर पैदावार देती हैं. इनमें HI 1650, HI 1655, HI 1634, HI 1636, DBW 187, DBW 303, DBW 316 और JW 513 प्रमुख हैं. इस किस्मों की बुवाई करने पर किसानों को सिंचाई करने के लिए अधिक पानी की जरूरत नहीं पड़ेगी. यानी किसान कम लगात में ही अच्छी कमाई कर सकते हैं.
बायो-फोर्टीफाइड हैं ये किस्में
कृषि एक्सपर्ट के अनुसार, इनमें से DBW 303, DBW 316, JW 513 और HI 1650 को बायो-फोर्टीफाइड माना गया है. ये किस्में वजनदार, चमकदार दाने देती हैं और प्रोटीन, आयरन व जिंक से भरपूर होती हैं. इनसे बनी रोटियां भी ज्यादा नरम और स्वादिष्ट होती हैं. बड़ी बात यह है कि इन किस्मों के पौधे तेज हवा चलने और आंधी में भी जमीन पर नहीं गिरते हैं. ऐसे कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि हर गेहूं में प्रोटीन होता है, लेकिन नई बायो-फोर्टीफाइड किस्मों में जिंक और आयरन की मात्रा काफी ज्यादा है. जिन लोगों को इन पोषक तत्वों की कमी के कारण दवाइयां या सप्लीमेंट लेने पड़ते हैं, वे अगर इस तरह का गेहूं खाएं तो उन्हें अतिरिक्त गोलियां नहीं लेनी पड़ेंगी. इससे खर्च भी बचेगा और जरूरी पोषण सीधे भोजन से ही मिल जाएगा.
15 जनवरी तक कर सकते हैं इसकी बुवाई
कृषि जानकारों का कहना है कि पंजाब-हरियाणा के किसान PBW RS1 और PBW 550 किस्मों की बुवाई नवंबर के अंत तक कर सकते हैं, जबकि PBW 771 और PBW 752 को दिसंबर के अंत तक बोया जा सकता है. इसके साथ ही PBW 757 किस्म 15 जनवरी तक बोने के लिए उपयुक्त मानी गई है. जो किसान अभी तक गेहूं नहीं बो पाए हैं, वे इन देर से बोई जाने वाली किस्मों का उपयोग कर सकते हैं.
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