अगर आप खेती में कम लागत में अधिक उत्पादन चाहते हैं तो नर्सरी प्रबंधन की वैज्ञानिक विधियों को अपनाना बेहद जरूरी है. खासकर तब, जब आप महंगे संकर बीजों का इस्तेमाल कर रहे हों. नर्सरी की शुरुआत अगर सही तरीके से की जाए तो आगे की पूरी फसल मजबूत, स्वस्थ और अधिक उत्पादन देने वाली बनती है. आइए जानते हैं कि नर्सरी प्रबंधन कैसे किया जाए जिससे कम खर्च में ज्यादा फायदा मिले.
बीज की मात्रा और सही बुआई
संकर बीज आम बीजों की तुलना में महंगे होते हैं, इसलिए इनका सही उपयोग बेहद जरूरी है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के कृषि अनुसंधान के मुताबिक, नर्सरी में बुआई के लिए 20-30 ग्राम बीज प्रति वर्ग मीटर की दर से प्रयोग करें ताकि 20-25 दिन में मजबूत और कई कल्लों वाली पौध तैयार हो सके. इसके अलावा, बीजों को बोने से पहले 12-15 घंटे पानी में भिगोकर रखें और फिर 4 ग्राम कोर्बेन्डाजिम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें. इसके बाद बीजों को 1-2 दिन तक बोरी में रखने से अंकुरण बेहतर होता है.
नर्सरी की तैयारी और खाद का संतुलन
ध्यान दें कि नर्सरी के लिए एक मीटर चौड़ी और सुविधानुसार लंबाई की गीली क्यारियां तैयार करें. वही्ं, जल निकासी की उचित व्यवस्था करें ताकि अधिक पानी न रुके. 15-20 किलो बीज के लिए लगभग 750 से 1000 वर्ग मीटर नर्सरी क्षेत्र की जरूरत होती है. इसके अलावा, प्रति 100 वर्ग मीटर में 250 किलो गोबर की खाद, 1 किलो नाइट्रोजन, 0.4 किलो फॉस्फोरस और 0.5 किलो पोटाश मिलाएं. इससे पौधों की जड़ों को पोषण मिलेगा और वे मजबूत बनेंगी.
सिंचाई और देखभाल
अंकुरित बीजों को एकसार तरीके से क्यारी में छितराएं और हल्की सिंचाई करें. यह ध्यान रखें कि क्यारी सूखने न पाए. इसके अलावा, बुआई के 15 दिन बाद 0.6 से 0.8 ग्राम नाइट्रोजन प्रति वर्ग मीटर की दर से सतह पर टॉप ड्रेसिंग करें. इससे पौधों की बढ़वार तेज होगी और उनमें हरियाली बनी रहेगी.
समय पर रोपण
अगर पौधों में कीट या बीमारी का असर दिखे तो तुरंत पादप सुरक्षा उपाय अपनाएं. सही समय पर यानी 20-25 दिन में जब पौध अच्छी तरह से विकसित हो जाए तो उसे मुख्य खेत में रोपित करें. पौध जितनी मजबूत होगी, आगे की फसल उतनी ही अधिक उपज देगी.