धान खरीदी में गड़बड़झाला, पंजाब के 3 जिलों में जांच शुरू.. नप सकते हैं बड़े-बड़े अधिकारी
पंजाब सरकार ने अमृतसर, तरनतारण और फाजिल्का जिलों में धान खरीद में गड़बड़ी की जांच शुरू की है. बाढ़ से फसल नष्ट होने के बावजूद खरीद पिछले साल जितनी ही हुई. फाजिल्का में राजस्थान से गैर-बासमती धान की तस्करी का खुलासा हुआ है. सरकार ने सख्त निगरानी और ‘शर्तीय खरीद’ के निर्देश दिए हैं.
Punjab Agriculture News: पंजाब में धान खरीदी में हो रही कालाबाजारी को रोकने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार सख्त हो गई है. सरकार ने अमृतसर, तरनतारण और फाजिल्का जैसे बाढ़ प्रभावित जिलों में धान की खरीद पर जांच शुरू की है. दरअसल, इन जिलों में इस साल अब तक खरीदी गई धान की मात्रा पिछले साल के बराबर है, जबकि हाल ही में आई बाढ़ से बड़ी मात्रा में फसल नष्ट हो गई थी.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, खाद्य और आपूर्ति विभाग ने तीनों जिलों के डिप्टी कमिश्नरों को निर्देश दिया है कि अब आगे से धान की ‘शर्तीय खरीद’ तभी की जाए, जब एसडीएम या जिला खाद्य आपूर्ति नियंत्रक किसान की पहचान और फसल की वास्तविकता की पुष्टि कर लें. अमृतसर में पिछले साल 3.02 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी गई थी और इस साल अब तक 2.98 लाख मीट्रिक टन खरीदी हो चुकी है. तरनतारण में पिछले साल 9.29 लाख मीट्रिक टन और इस साल 9.02 लाख मीट्रिक टन, जबकि फाजिल्का में दोनों साल 2.14 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हुई है.
बाढ़ से फसलों को पहुंचा था नुकसान
कृषि विभाग के अनुसार, हाल की बाढ़ में अमृतसर में 61,256 एकड़, तरनतारण में 23,308 एकड़ और फाजिल्का में 33,123 एकड़ फसल पूरी तरह नष्ट हो गई थी. अधिकारियों ने माना है कि फाजिल्का जिले में राजस्थान से सस्ती गैर-बासमती धान की बड़े पैमाने पर तस्करी हो रही है. किसान, कुछ आढ़तियों और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से इस धान को स्थानीय उत्पादन दिखाकर सरकारी एजेंसियों को बेच रहे हैं. यह सस्ती धान सरकारी खरीद एजेंसियों को 2,389 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बेची जा रही है.
अवैध गतिविधि पर नजर रख रहे अधिकारी
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पहले भी फाजिल्का में इस गड़बड़ी को रोकने के लिए एफआईआर दर्ज की गई थी. इसके बाद पंजाब पुलिस और मंडी बोर्ड के अधिकारियों की मदद से इस अवैध गतिविधि पर नजर रखी जा रही है. अमृतसर और तरनतारण के अधिकारियों का कहना है कि इन जिलों में धान की खरीद बढ़ने की वजह यह है कि किसानों ने इस बार बासमती की जगह गैर-बासमती किस्में बोई हैं. किसानों का कहना है कि पिछले साल बासमती धान के दाम अच्छे नहीं मिले थे, इसलिए उन्होंने इस बार सरकारी खरीद में आने वाली गैर-बासमती फसलें उगाईं.
बारिश और ओलावृष्टि से फसल नुकसान
वहीं, कुछ देर पहले खबर सामने आई थी कि बारिश और ओलावृष्टि से मुक्तसर और बठिंडा जिले में फसलों को नुकसान हुआ है, जहां खड़ी बासमती और नई बोई गई गेहूं की फसल चौपट हो गई. साथ ही कई मंडियों में पहले से कटी हुई फसलें भी भीग गईं. कुछ इलाकों में 15 से 30 मिनट तक पड़े ओलों ने सड़कों और धान के ढेरों को सफेद परत से ढक दिया.