किसानों की बढ़ेगी कमाई, अब खेती के साथ एग्री-टूरिज्म भी.. शुरू होगा ‘एग्री-टेक स्मार्ट फार्म’

ओडिशा सरकार ने खेती में तकनीक और स्थायित्व लाने के लिए एग्री-टेक स्मार्ट फार्म (ATSF) योजना शुरू की है. चार जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत आधुनिक तकनीक, एग्रो-टूरिज्म और प्रोसेसिंग सुविधाएं विकसित होंगी.

Kisan India
नोएडा | Published: 13 Oct, 2025 | 10:43 AM

Odisha News: ओडिशा  सरकार ने खेती को आधुनिक और टिकाऊ बनाने के लिए एग्री-टेक स्मार्ट फार्म (ATSF) पहल शुरू करने का फैसला लिया है. यह योजना पहली बार पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत लागू की जा रही है, जिसमें नई तकनीकों को मौजूदा खेती से जोड़ा जाएगा ताकि एक सफल और लाभदायक मॉडल तैयार हो सके. खास बात यह है कि पहले चरण के लिए सेमिलिगुड़ा (कोरापुट), सुकींदा (जाजपुर), सखीगोपाल (पुरी) और चकुली (बरगढ़) जिले को पायलट चुना गया है. ये प्रोजेक्ट 600 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में फैले होंगे और इस पर करीब 66 करोड़ रुपये का निवेश होगा. सरकार को उम्मीद है कि इससे किसानों की कमाई बढ़ेगी.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे बड़ा फार्म 2.77 करोड़ रुपये की लागत से 352.58 हेक्टेयर में सेमिलिगुड़ा में बनेगा. जबकि सुकींदा में 21 करोड़ रुपये की लागत से 200 हेक्टेयर, सखीगोपाल में 10.74 करोड़ रुपये की लागत से 26.24 हेक्टेयर और चकुली में 21.29 करोड़ रुपये की लागत से 21.6 हेक्टेयर  का विकास किया जाएगा. इन फार्मों में माइक्रो-इरिगेशन सिस्टम, IoT सेंसर, ड्रोन, क्रॉप कैमरे, ग्रीनहाउस और हाइड्रोपोनिक  जैसी तकनीकें लगाई जाएंगी.

इन फसलों की होगी खेती

पूरा सिस्टम एक-दूसरे से जुड़ी इकाइयों के जरिए चलेगा. इसमें तकनीक आधारित खेती, फसल कटाई के बाद की व्यवस्था, नई तकनीकों का प्रदर्शन और एग्री-टूरिज्म को भी जोड़ा जाएगा, ताकि खेती को हर स्तर पर आधुनिक और टिकाऊ बनाया जा सके. अधिकारियों ने कहा कि ATSF साइटों का चयन स्थानीय जलवायु और फसलों के अनुसार बड़ी सोच के साथ किया गया है. सुकींदा में निर्यात के लिए पौधों और फूलों की खेती पर जोर होगा. सेमिलिगुड़ा का ट्रॉपिकल मौसम मल्टी-क्रॉप स्मार्ट फार्मिंग को सपोर्ट करेगा. सखीगोपाल, जो बागवानी के लिए जाना जाता है, वहां कागजी नींबू और नारियल  जैसी खास फसलें उगाई जाएंगी. साथ ही चकुली को ऑर्गेनिक और नेचुरल फार्मिंग के मॉडल के रूप में तैयार किया जाएगा.

सेवा आधारित बिजनेस भी चला सकेंगे

हर ATSF साइट पर फसल कटाई के बाद की आधुनिक सुविधाएं जैसे प्रोसेसिंग यूनिट, कोल्ड चेन, पैक हाउस आदि भी विकसित किए जाएंगे. निजी निवेशक चाहें तो ऑर्गेनिक खेती, तुलसी, कमल, गेंदे की खेती, टेक-आधारित डेयरी, रेशम उत्पादन और झींगा पालन जैसी गतिविधियों में भाग ले सकते हैं. वे ड्रोन स्प्रेइंग, सेंसर्स लगाने और उपकरण किराए पर देने जैसे सेवा आधारित बिजनेस भी चला सकेंगे.

25 फीसदी जमीन पर्यटन गतिविधियों के लिए होगी

इस योजना की खास बात है कि इसमें एग्रो-टूरिज्म को भी शामिल किया गया है. हर साइट की 25 फीसदी जमीन पर्यटन गतिविधियों के लिए रखी जाएगी. सखीगोपाल में धार्मिक और सांस्कृतिक थीम, सेमिलिगुड़ा में आदिवासी और इको टूरिज्म थीम, चकुली में खेती, संस्कृति और इको हेरिटेज थीम होगी. इन साइटों पर कॉटेज, ईको लॉज, एग्री ट्रेल्स, स्मृति दुकानों और पारंपरिक ओडिया खाने के स्टॉल भी बनाए जाएंगे. कृषि विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार पड्ही ने कहा कि यह मॉडल इसलिए अपनाया गया है, ताकि खेती में तेजी से टेक्नोलॉजी  आए और विशेषज्ञता का लाभ मिल सके.

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