बारिश से धान की बिगड़ी क्वालिटी, अब चावल भी पीला… कम उपज और दाम ने बढ़ाई चिंता
पंजाब में अनियमित बारिश और फफूंदी से धान प्रभावित हुआ है, जिससे चावल की गुणवत्ता और OTR कम हो रही है. फॉल्स स्मट और RBSDV वायरस ने कई इलाकों में फसल नुकसान किया. मिलरों ने केंद्र से तुरंत मानक ढील की मांग की है ताकि खरीदी सुचारू रहे और किसानों को नुकसान न हो.
Punjab News: पंजाब के लुधियाना जिले में चावल मिलों ने चेतावनी दी है कि बारिश से खराब हुई धान को जमा करने से चावल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों प्रभावित हो सकती हैं. मिलर्स के मुताबिक, हर 100 किलोग्राम धान से मिलने वाला चावल (OTR) मानक से काफी कम हो सकता है. दोराहा के मिलर जनक राज ने कहा कि अक्टूबर में अनियमित बारिश के कारण मंडियों में आ रही धान की बालियां हल्की और रंग फीका हो गया है. इस धान से चावल बनाने पर गुणवत्ता खराब होगी और उत्पादन कम होगा. उन्होंने कहा कि सामान्यत 100 किलोग्राम धान से 67 किलोग्राम चावल बनते हैं, लेकिन इस साल यह लगभग 60 किलोग्राम रह सकता है.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जगराओं के मिलर हरि ओम ने भी कहा कि बारिश और फफूंदी से प्रभावित धान के कारण चावल का रंग और बनावट खराब हो रही है, जिससे उत्पादन कम हो रहा है. अगर केंद्र जल्दी मानक में नहीं ढील देगा, तो मिलों को गुणवत्ता बनाए रखना मुश्किल होगा और नुकसान होगा. अनियमित बारिश से लुधियाना में धान की फसल प्रभावित हुई है, जिससे फसल गिर गई, धान का रंग बदल गया और फफूंदी की समस्या बढ़ गई.
फॉल्स स्मट रोग से लगभग 28,045 एकड़ धान प्रभावित
जिला कृषि विभाग के सर्वे के अनुसार, फॉल्स स्मट रोग से लगभग 28,045 एकड़ धान प्रभावित हुआ है, जिसमें औसत संक्रमण दर 7.18 फीसदी रही और अनुमानित नुकसान 2.15 क्विंटल प्रति एकड़ है. सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके हैं जगराओं (7,000 एकड़), पाखोवाल (5,200 एकड़), सिधवां बेट (4,500 एकड़) और मचोहा (3,000 एकड़). साथ ही, राइस ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस (RBSDV) 1,797 एकड़ में पाया गया, संक्रमण दर 9.27 फीसदी और अनुमानित नुकसान 2.78 क्विंटल प्रति एकड़ है, खासकर मच्छिवाड़ा और साहनेवाल ब्लॉकों में. यह वायरस पौधों पर मौजूद प्लांट-हॉपर कीटों से फैलता है, जिससे पौधे कम बढ़ते हैं और धान की बालियां छोटी और हल्की हो जाती हैं.
पंजाब की मंडियों से धान के नमूने लिए
स्थिति को संभालने के लिए पंजाब सरकार ने 22 अक्टूबर को केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रह्लाद जोशी को पत्र लिखा और मौजूदा खरीदी सीजन के लिए धान और चावल के मानक में तत्काल ढील देने की मांग की. राज्य ने कहा कि सितंबर और अक्टूबर में असाधारण बारिश के कारण फसल व्यापक रूप से खराब और रंग बदल चुकी है. जिला खाद्य आपूर्ति नियंत्रक (लुधियाना वेस्ट) सरताज सिंह चीमा के अनुसार, केंद्रीय तकनीकी टीम ने 13 से 15 अक्टूबर के बीच पंजाब की मंडियों से धान के नमूने लिए थे, लेकिन अब तक कोई रिपोर्ट नहीं आई है.
लुधियाना की मंडियों में लगभग 11.76 लाख मीट्रिक टन धान आ चुका है
उन्होंने बताया कि 7 नवंबर तक लुधियाना मंडियों में लगभग 11.76 लाख मीट्रिक टन धान आ चुका है, जो अनुमानित 16.55 लाख मीट्रिक टन का 71 फीसदी है, और 11.64 लाख मीट्रिक टन की खरीद भी हो चुकी है. उन्होंने यह भी कहा कि गुणवत्ता मानकों में ढील देने में और देरी किसानों और मिलरों को राहत देने के उद्देश्य को विफल कर सकती है और चावल की गुणवत्ता पर असर डाल सकती है. इस बीच, मिलरों ने केंद्र से तुरंत गुणवत्ता मानक और OTR में ढील की घोषणा करने का आग्रह किया है, ताकि खरीदी सुचारू रूप से हो और मौसम से प्रभावित फसलों के कारण किसानों और प्रोसेसर्स को नुकसान न उठाना पड़े.