धान के खेत में भूरा माहू का आतंक… रस चूसकर फसल कर रहे चौपट, समय रहते किसान कर लें बचाव

Paddy Disease: बरसात के बाद धान की फसल में बालियों के पकने का समय है. किसान अपनी लहलहाती फसल को देखकर खुश होते हैं. लेकिन इन दिनों फसल में बालियों के आने के साथ-साथ कीटों के आने का खतरा भी बढ़ जाता है. ऐसा ही एक खतरनाक कीट है भूरा माहू.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Updated On: 25 Sep, 2025 | 04:42 PM

Paddy Farming: देशभर में धान की खेती करने वाले किसानों के लिए ये समय बेहद ही संवेदनशील और महत्वपूर्ण है क्योंकि ये समय फसल में बालियों के आने का होता है. खेतों में लहलहाती हुई धान की फसल देखकर किसानों के चेहरे पर भी मुस्कान आ जाती है और वे फसल कटाई की तैयारियां करने लगते हैं. लेकिन इन दिनों धान में बालियां आने के साथ-साथ फसल में एक खतरनाक कीट के आने का खतरा भी बढ़ जाता है. इस कीट का नाम है भूरा माहू, जिसे अंग्रेजी में Brown Plant Hopper कहते हैं. ये कीट धान के पौधों का रस चूसकर उन्हें पूरी तरह से चौपट कर देता है. ऐसे में किसानों के लिए बहुत जरूरी है कि वे समय रहते इस कीट से फसल का बचाव करें.

धान की फसल में क्यों लगता है ये कीट

बरसात के दिनों के बाद धान की फसल (Paddy Crop) में नमी रह जाती है या फिर खेत में पानी जमा हो जाता है, जो कि फसल में भूरे माहू (Brown Plant Hopper) के लगने का मुख्य कारण होता है. साथ ही अगर फसल को जरूरत से ज्यादा मात्रा में यूरिया दे दी जाए तो पौधे बहुत कोमल हो जाते हैं, जो कि भूरा माहू को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. ये एक ऐसी कीट है जो तेजी से फैलता है, इस कारण से अगर धान के पौधों को बहुत पास-पास लगाया गया हो, तो भी इस कीट का संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है.

इन लक्षणों से करें भूरा माहू की पहचान

धान की फसल में भूरा माहू की पहचान करने का मुख्य लक्षण पत्तियों के सिरे का पीला पड़ना है, जो कि आगे जाकर नारंगी-पीली होकर भूरी और जली हुई दिखने लगती हैं. ये कीट सबसे पहले पत्तियों पर हमला करता है इसके बाद फसल के निचले हिस्से में मिट्टी की सतह से ठीक ऊपर पौधों पर चिपक कर उनका रस चूसता और उन्हें कमजोर करता है. बता दें कि, कीट के प्रभाव से सूखी हुई पत्तियों पर गोल आकार के धब्बे दिखने लगते हैं जो धीरे-धीरे फैलकर आपस में मिल जाते हैं और बड़ा आकार ले लेते हैं. अगर किसान समय रहते इस कीट से बचाव के उपाय नहीं करते हैं तो समय के साथ पौधे कमजोर होकर सूखने लगते हैं और उनकी ग्रोथ रूक जाती है, जिसका सीधा असर फसल उत्पादन (Crop Production) पर पड़ता है.

Paddy Crop

धान की फसल का रस चूसता है भूरा माहू कीट (Photo Credit- Canva)

बचाव के आसान उपाय

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, धान की फसल को भूरा माहू से बचाने के लिए सबसे पहले संक्रमित पौधों को हटाकर अलग कर दें. साथ ही पौधों की रोपाई के समय ध्यान रखें कि पौधों के बीच में कम से कम 1 फीट की दूरी हो. साथ ही किसान जैविक तरीकों से भी फसल का बचाव कर सकते हैं. इसके लिए 5 मिलीलीटर नीम तेल (Neem Oil) को प्रति लीटर पानी में मिलाकर फसल पर उसका छिड़काव कर सकते हैं. इसके अलावा किसान चाहें तो मेटाराइजीएम एनिसोप्ली जैसे जैविक कीटनाशक (Organic Pesticides) का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

केमिकल दवाओं का करें इस्तेमाल

धान की फसल में अगर भूरा माहू का प्रकोप बहुत ज्यादा होने लगे तो तुरंत केमिकल कीटनाशकों का इस्तेमाल करें. फसल पर बदल – बदल कर कीटनाशकों का छिड़काव करें. इसके लिए प्रति एकड़ की दर से फसल पर 160 ग्राम पाइमेट्रोजीन 50 फीसदी डब्ल्यूजी का छिड़काव करें. या फिर प्रति एकड़ की दर से एसिफेट के 250 ग्राम का छिड़काव करें. किसानों को ये सलाह दी जाती है कि वे फसल पर इन दवाओं का छिड़काव शाम के समय करें, जब कीट सबसे ज्यादा एक्टिव होते हैं.

Published: 25 Sep, 2025 | 04:35 PM

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