धान के खेत में तेजी से पांव पसार रहा ये खतरनाक रोग, समय रहते करें कंट्रोल ..नहीं तो चौपट हो जाएगी फसल

जब धान की फसल खेतों में खड़ी हो, उस समय किसानों के लिए बहुत जरूरी है कि वे अपनी फसल का खास खयाल रखें, क्योंकि ये समय धान की फसल के लिए बेहद ही संवेदनशील होता है. बरसात, नमी, उमस और गर्मी के कारण धान की फसल पर कई तरह के रोगों का खतरा बढ़ जाता जो सीधे फसल की पैदावार पर बुरा असर डालता है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 13 Sep, 2025 | 11:30 PM

Paddy Farming: सितंबर का महीना धान की फसल के लिए बेहद ही संवेदनशील होता है, क्योंकि इन दिनों धान में बालियां लगने लगती हैं. लेकिन इसी के साथ फसल में कई तरह के कीट और रोगों के संक्रमण का खतरा भी मंडराने लगता है. इस महीने में बारिश के बाद उसम बढ़ जाती है, जिस कारण धान की फसल में बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट रोग का खतरा बढ़ जाता है, जिसे हिंदी में पत्ती झुलसा रोग भी कहते हैं. अगर इस रोग को समय रहते कंट्रोल न किया जाए तो ये तेजी से फैसला है और पूरी फसल को अपनी चपेट में लेकर उसे नष्ट कर देता है. ऐसी स्थिति में न केवल फसल बर्बाद होती है, बल्कि किसानों के सामने भी भारी संकट खड़ा हो जाता है. ऐसे में बेहद जरूर है कि किसान समय रहते इस रोग की पहचान करें और फसल को सुरक्षित रखने के उपाय करें.

इन लक्षणों से करें रोग की पहचान

जैसा कि इस रोग का नाम है बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट, ये रोग धान की फसल में सीधे पत्तियों पर हमला करता है. इस रोग के कुछ लक्षण हैं, जिनकी मदद से किसान समय रहते रोग की पहचान कर सकते हैं. लीफ ब्लाइट के संक्रमण के शुरुआती दिनों में पत्तियों के सिरों या किनारों में पीली धारियां पड़ने लगती हैं जो कि आगे जाकर धीरे-धारे भूरे रंग में बदलने लगती हैं और बाद में सूख जाती हैं. इस रोग के संक्रमण की एक पहचान ये भी है कि इसके प्रकोप के कारण पत्तियां नीचे की ओर झुक जाती हैं और कुछ दिनों बाद पौधे से टूट कर गिरने लगती हैं. किसानों को ध्यान देना होगा कि नमी और उमस के कारण ये रोग बहुत तेजी से पूरे खेत में फैलता है.

50 फीसदी तक कम हो सकती है पैदावार

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लीफ ब्लाइट या पत्ती झुलसा रोग के प्रकोप के कारण धान के पौधे कमजोर होने लगते हैं और उनकी ग्रोथ रुक जाती है. जिन पौधों में इस रोग का संक्रमण होता है उनमें बालियों की संख्या कम हो जाती है और जो बालियां आती भी हैं वे आकार में छोटी और कमजोर होती हैं. साथ ही रोग के असर के कारण धान के दाने कई बार सूखे या फिर काले निकलते हैं. बता दें कि अगर ये रोग पूरे खेत में फैल जाता है तो फसल से मिलने वाली पैदावार में 50 फीसदी तक की कमी आ सकती है. अगर समय रहते फसल को बचाने के उपाय न किए जाएं, तो किसानों के सामने बहुत बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो जाता है.

ऐसे करें फसल का बचाव

धान की फसल को बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट से बचाने के लिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे रोपाई करते समय धान की उन्नत किस्मों का चुनाव करें जिनके अंदर रोगों से लड़ने की क्षमता हो. साथ ही अगर फसल में इस रोग का संक्रमण नजर आने लगे तो सबसे पहले संक्रमित पौधे को जड़ से हटाकर अलग कर दें, ताकि रोग पूरी फसल में न फैले. किसानों को ध्यान रखना होगा कि खेत में जलभराव न हो, क्योंकि खेत में भरा हुआ पानी इस रोग को फैलने में मदद करता है. इसके अलावा किसान 500 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर की दर से 100 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन और 500 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड को मिलाकर फसल पर इस घोल का छिड़काव कर सकते हैं. अगर जरूरत महसूस हो तो 6 से 7 दिन के अंतर पर दोबारा इस घोल का स्प्रे कर दें.

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Published: 13 Sep, 2025 | 11:30 PM

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