छोटे किसान अपनाएं ये तरीका, जीरो खर्च में खेती से कमाएं दोगुनी आमदनी

उत्तर प्रदेश के किसान अब दूध के साथ गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर लाखों की कमाई कर रहे हैं. इससे खेती की लागत घट रही है और मिट्टी की गुणवत्ता भी बढ़ रही है. खर्च लगभग शून्य है.

Kisan India
नोएडा | Published: 29 Aug, 2025 | 01:02 PM

उत्तर प्रदेश में अब किसान खेती के साथ-साथ नई तकनीक अपनाकर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं. कई प्रगतिशील किसान अब सिर्फ दूध के लिए पशुपालन नहीं कर रहे, बल्कि गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर अच्छी खासी कमाई भी कर रहे हैं. खास बात ये है कि इसके लिए उन्हें कोई बड़ा निवेश नहीं करना पड़ता. थोड़ी सी जगह और थोड़ी सी मेहनत से किसान हर महीने 15,000 रुपये से 16,000 रुपये तक की अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं. इससे न केवल आमदनी बढ़ रही है बल्कि खेत की मिट्टी भी उपजाऊ बन रही है.

पशुपालन से सिर्फ दूध नहीं, अब बनेगा पैसा गोबर से

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ज्यादातर किसान अभी तक पशुपालन को सिर्फ दूध तक ही सीमित रखते थे. लेकिन अब जागरूकता बढ़ने से पशुपालक गोबर का भी सही इस्तेमाल करने लगे हैं. गोबर को फेंकने की बजाय उसका उपयोग वर्मी कंपोस्ट बनाने में किया जा रहा है. युवा किसान ज्ञानेश तिवारी बताते हैं कि सिर्फ पांच पशुओं से रोज करीब 150 किलो गोबर मिल जाता है, जो महीने भर में लगभग 45 क्विंटल हो जाता है. इसका 40 फीसदी हिस्सा यानी करीब 18 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट बनता है, जिसकी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है.

बिना लागत, हर महीने 15,000 रुपये की कमाई संभव

इस प्रक्रिया में खास बात ये है कि किसानों को कोई बड़ा खर्च नहीं करना पड़ता. वर्मी कंपोस्ट तैयार करने के लिए सिर्फ एक बार अच्छे नस्ल के केंचुए (वर्म्स) की जरूरत होती है. एक बार जब केंचुए छोड़ दिए जाते हैं, तो वे खुद ही बढ़ते हैं और बार-बार इस्तेमाल किए जा सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाजार में वर्मी कंपोस्ट की मांग तेज़ी से बढ़ रही है. किसान हर महीने लगभग 15,000 रुपये से 16,000 रुपये तक की कमाई कर सकते हैं. इससे पशुओं के खाने और देखभाल का खर्च भी आराम से निकल जाता है, और दूध से होने वाली पूरी आमदनी बच जाती है.

उपज में बढ़ोतरी और मिट्टी की सेहत में सुधार

वर्मी कंपोस्ट न सिर्फ कमाई का जरिया है, बल्कि इससे खेतों की मिट्टी भी ज्यादा उपजाऊ हो जाती है. इसका इस्तेमाल करने से फसलों की क्वालिटी बढ़ती है और उत्पादन भी ज्यादा होता है. इसके अलावा, यह खाद पूरी तरह जैविक होती है, जिससे रासायनिक खादों की निर्भरता कम होती है और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता. खेती में वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करने से मिट्टी की संरचना सुधरती है और लंबे समय तक उपज देने लायक बनती है.

केंचुए भी बन सकते हैं कमाई का साधन

वर्मी कंपोस्ट तैयार करने में इस्तेमाल होने वाले केंचुए भी किसानों के लिए अलग से कमाई का जरिया बनते जा रहे हैं. समय के साथ इनकी संख्या बढ़ती है और किसान इन्हें दूसरे किसानों को बेचकर भी पैसे कमा सकते हैं. एक किलो केंचुए की कीमत 300 रुपये से 500 रुपये तक होती है. इस तरह, बिना किसी बड़ी लागत के किसान खेती के साथ-साथ एक और मुनाफे वाला कारोबार कर सकते हैं.

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