मंत्री के मंच पर पहुंचते ही किसानों ने वापस लिया आंदोलन, अब गन्ना उगाने वाले को मिलेगा उचित रेट
बेलगावी के गुर्लापुर गांव में दस दिन चले गन्ना किसानों के आंदोलन के बाद सरकार ने कीमत 3,300 रुपये प्रति टन तय की. शुगर मंत्री शिवानंद पाटिल ने किसानों को राहत पैकेज और अतिरिक्त मदद का भरोसा दिया. किसानों की एकता और शांतिपूर्ण प्रदर्शन से आंदोलन सफल हुआ.
Sugarcane Farmers: कर्नाटक के बेलगावी जिले के मुदलगी तालुक के गुर्लापुर गांव में दस दिन चले विरोध के बाद गन्ना किसानों ने आंदोलन समाप्त कर दिया. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सरकार ने गन्ने की कीमत 3,300 रुपये प्रति टन तय कर दी थी. किसानों ने आंदोलन खत्म करने का फैसला उस समय आया जब राज्य के शुगर मंत्री शिवानंद पाटिल शनिवार को विरोध स्थल पहुंचे और किसानों के नेताओं को आधिकारिक कीमत की सूचना दी. इससे हाल के समय के सबसे बड़े किसान आंदोलनों में से एक समाप्त हुआ. पाटिल ने आदेश सौंपते समय, खुश किसानों ने उन्हें और जिला अधिकारियों पर फूल बरसाकर धन्यवाद जताया. उनके साथ राज्य कृषि आयोग के अध्यक्ष अशोक दलवाई, बेलगावी के डिप्टी कमिश्नर मोहम्मद रोशन, मुरघराजेंद्र स्वामीजी और किसान नेता कुरुबुर शांतकुमार भी मौजूद थे.
किसानों को संबोधित करते हुए शुगर मंत्री पाटिल ने कहा कि ईथेनॉल जैसे सह-उत्पादों की बाजार दरों में उतार-चढ़ाव के कारण कीमत तय करना मुश्किल था. उन्होंने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि कर्नाटक को सिर्फ 35 फीसदी ईथेनॉल कोटा मिला, जबकि गुजरात को 113 फीसदी मिला. जबकि कर्नाटक की उत्पादन क्षमता अधिक है. पाटिल ने किसानों के लिए 600 करोड़ रुपये का राहत पैकेज भी घोषित किया और वियजापुर और बागलकोट जिलों के गन्ना किसानों के लिए अतिरिक्त मदद का भरोसा दिलाया.
14 फीसदी ब्याज के रूप में जुर्माना मिलना चाहिए
किसान नेता चुनप्पा पुजारी ने याद दिलाया कि आंदोलन तब शुरू हुआ जब शुगर मिलों ने गन्ने की कीमत तय किए बिना क्रशिंग शुरू कर दी थी. उन्होंने मंत्री पाटिल की सराहना की कि उन्होंने मुख्यमंत्री सिद्दरमैया से चर्चा के बाद अपनी बात निभाई और मिलों में वेटब्रिज की अनियमितताओं पर कड़ी निगरानी की मांग की. उन्होंने कहा कि गन्ना की आपूर्ति के 14 दिन के भीतर भुगतान होना चाहिए, नहीं तो किसानों को 14 फीसदी ब्याज के रूप में जुर्माना मिलना चाहिए.
एकता के कारण आंदोलन सफल हुआ
बेलगावी के डिप्टी कमिश्नर मोहम्मद रोशन ने कहा कि किसानों की मेहनत और एकता के कारण आंदोलन सफल हुआ. उन्होंने कहा कि अब प्रशासन की जिम्मेदारी है कि सरकार की हर घोषणा जमीन पर लागू हो. बेलगावी के पुलिस अधीक्षक डॉ. भिमाशंकर गुलेड ने किसानों के अनुशासित प्रदर्शन की सराहना की और कहा कि शांतिपूर्ण विरोध लोकतंत्र में सबसे शक्तिशाली हथियार है. पुलिस हमेशा कानूनन आयोजित लोकतांत्रिक आंदोलनों के साथ खड़ी रहेगी.
15 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति
वहीं, आज सुबह खबर सामने आई थी कि केंद्र सरकार ने मौजूदा 2025-26 सीजन में 15 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति देने का फैसला किया है. खास बात यह है कि शीरे (molasses) पर लगी 50 फीसदी निर्यात शुल्क को हटा दिया गया है. सरकार के इस फैसले से चीनी की एक्स-मिल कीमतों में सुधार की उम्मीद है, क्योंकि इस साल देश में चीनी उत्पादन अधिक होने की संभावना से कीमतों पर दबाव बना हुआ था. चीनी उद्योग लंबे समय से सरकार से 20 लाख टन निर्यात की अनुमति देने की मांग कर रहा था.दरअसल, यह जानकारी केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रह्लाद जोशी ने दी.