अंडों में प्रतिबंधित दवा का शक, FSSAI ने मंगाए देशभर से ब्रांडेड और लोकल अंडों के सैंपल
इस पूरे विवाद के बीच अंडा उत्पादक कंपनियों की ओर से भी सफाई सामने आई है. कुछ कंपनियों ने अपने लैब टेस्ट रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए दावा किया है कि उनके अंडों में किसी भी तरह की प्रतिबंधित दवा या कीटनाशक नहीं पाए गए हैं.
हाल के दिनों में अंडों की गुणवत्ता को लेकर उठे सवालों ने आम लोगों की चिंता बढ़ा दी है. खासकर बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए खाद्य पदार्थों की सुरक्षा बेहद अहम हो जाती है. इसी बीच अंडों में प्रतिबंधित दवाओं की मौजूदगी की आशंका सामने आने के बाद खाद्य सुरक्षा नियामक संस्था एफएसएसएआई (FSSAI) ने बड़ा कदम उठाया है. अब देशभर में अंडों के सैंपल की जांच के आदेश दिए गए हैं, ताकि यह साफ हो सके कि लोगों की थाली तक पहुंचने वाले अंडे कितने सुरक्षित हैं.
अंडों में नाइट्रोफ्यूरान की आशंका से बढ़ी चिंता
दरअसल, हाल ही में कुछ रिपोर्ट्स और शिकायतों के बाद यह आशंका जताई गई कि अंडों में नाइट्रोफ्यूरान नामक प्रतिबंधित एंटीबायोटिक के अवशेष हो सकते हैं. नाइट्रोफ्यूरान ऐसी दवाएं हैं, जिनका इस्तेमाल भोजन देने वाले जानवरों और पोल्ट्री में पूरी तरह प्रतिबंधित है. इसके बावजूद, अवैध तरीके से इनके उपयोग की आशंका समय-समय पर सामने आती रही है. यही वजह है कि इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए FSSAI ने पूरे देश में जांच के निर्देश जारी किए हैं.
FSSAI ने क्यों दिए देशव्यापी जांच के आदेश
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देश दिया है कि वे अलग-अलग राज्यों से ब्रांडेड और बिना ब्रांड वाले दोनों तरह के अंडों के सैंपल इकट्ठा करें. इन सैंपल्स को देशभर की चुनिंदा प्रयोगशालाओं में भेजा जाएगा, जहां नाइट्रोफ्यूरान समेत अन्य प्रतिबंधित तत्वों की जांच की जाएगी. अधिकारियों का कहना है कि यह कदम एहतियात के तौर पर उठाया गया है, ताकि उपभोक्ताओं का भरोसा बना रहे और किसी भी संभावित खतरे को समय रहते रोका जा सके.
स्वास्थ्य पर क्या हो सकता है असर
डॉक्टरों का मानना है कि नाइट्रोफ्यूरान जैसे रसायन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकते हैं, खासकर बच्चों के लिए. विशेषज्ञों के अनुसार, लंबे समय तक ऐसे तत्वों के संपर्क में रहने से लिवर पर बुरा असर पड़ सकता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है और विकास से जुड़ी समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं. बच्चों के शरीर के अंग और इम्यून सिस्टम पूरी तरह विकसित नहीं होते, इसलिए वे ऐसे रसायनों के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं. इसी वजह से अंडों जैसे रोजमर्रा के खाद्य पदार्थों की शुद्धता बेहद जरूरी हो जाती है.
कंपनियों की सफाई और उपभोक्ताओं को भरोसा
इस पूरे विवाद के बीच अंडा उत्पादक कंपनियों की ओर से भी सफाई सामने आई है. कुछ कंपनियों ने अपने लैब टेस्ट रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए दावा किया है कि उनके अंडों में किसी भी तरह की प्रतिबंधित दवा या कीटनाशक नहीं पाए गए हैं. कंपनियों का कहना है कि वे उच्च गुणवत्ता मानकों का पालन करती हैं और उपभोक्ताओं की सेहत उनके लिए सर्वोपरि है. इसके लिए उन्होंने पारदर्शिता के तहत जांच रिपोर्ट अपनी वेबसाइट पर भी उपलब्ध कराई है.
क्या होगा आगे?
FSSAI की यह जांच आने वाले दिनों में साफ कर देगी कि अंडों में नाइट्रोफ्यूरान की आशंका कितनी सही है. अगर किसी भी स्तर पर गड़बड़ी पाई जाती है, तो सख्त कार्रवाई की जा सकती है. वहीं, उपभोक्ताओं को भी सलाह दी जा रही है कि वे भरोसेमंद और प्रमाणित स्रोतों से ही अंडे खरीदें.