गोवा के किसानों को मिली नई धान किस्म, खारे पानी और जलभराव में भी होगी बेहतर फसल
सरकार ने एक नई किस्म ‘गोवा धान-5’ (Goa Dhan-5) को तैयार किया है, जो खारे पानी, जलभराव और तेज हवाओं से भी लड़ सकेगा. अगर इस साल के खरीफ सीजन में इसका प्रदर्शन अच्छा रहा, तो इसे 2026 से पूरे राज्य में किसानों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.
धान की खेती करने वाले गोवा के किसानों के लिए एक राहत भरी खबर है. सरकार ने एक नई किस्म ‘गोवा धान-5’ (Goa Dhan-5) को तैयार किया है, जो खारे पानी, जलभराव और तेज हवाओं से भी लड़ सकेगा. अगर इस साल के खरीफ सीजन में इसका प्रदर्शन अच्छा रहा, तो इसे 2026 से पूरे राज्य में किसानों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा. कृषि मंत्री रवि नाइक ने विधानसभा में यह जानकारी दी. इस नई किस्म से गोवा के समुद्रतटीय और बाढ़ प्रभावित इलाकों के किसानों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है.
क्या है गोवा धान-5 और क्यों है यह खास?
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा विकसित यह धान की नई किस्म पहले की चार किस्मों गोवा धान-1, 2 (2017 में रिलीज), और गोवा धान-3, 4 (2019 में रिलीज) से और बेहतर है. हालांकि पहले की किस्में भी खारे पानी को सहन करने वाली थीं, लेकिन गोवा धान-5 में कुछ अतिरिक्त खूबियां भी जोड़ी गई हैं.
इन खूबियों की वजह से बना किसानों की पहली पसंद
- यह किस्म 10 से 15 दिनों तक आंशिक या पूरी तरह से जलमग्न (पानी में डूबे) रहने की स्थिति को भी सह सकती है.
- यह विशेषकर गोवा के बाढ़ग्रस्त और समुद्र के पास के खेतों के लिए बहुत उपयोगी है.
- इसका तना (culm) मजबूत होता है, जिससे यह तेज हवाओं और बारिश में गिरने (lodging) से बचता है.
- सामान्य खेतों में इसकी उपज लगभग 6 टन प्रति हेक्टेयर तक होती है.
- जबकि खारे पानी वाले खेतों में भी यह 4 से 4.5 टन प्रति हेक्टेयर उपज देती है.
कहां चल रहा है इसका परीक्षण?
राज्य के कृषि मंत्री रवि नाइक ने बताया कि यह किस्म अभी खेतों में दूसरे साल के परीक्षण (on-farm trials) में है और इसे मिनी-किट कार्यक्रम (Minikit Programme) के तहत कुछ किसानों के खेतों में उगाया जा रहा है.
गोवा के ये गांव शामिल
इस धान को 40 से ज्यादा किसान गोवा के अमोना, चोराओ, नेउरा, शिरोडा और कुंबरजुआ जैसे गांवों में उगा रहे हैं. अब तक की रिपोर्ट्स काफी उत्साहजनक रही हैं.
अगर इस खरीफ सीजन में इस किस्म का प्रदर्शन अच्छा रहता है, तो इसे राज्य किस्म रिलीज समिति (State Variety Release Committee – SVRC) के सामने औपचारिक रूप से मंजूरी के लिए भेजा जाएगा.
फिर क्या होगा?
अगर समिति हरी झंडी देती है, तो 2026 खरीफ सीजन तक इसके बीज राज्य के सभी किसानों को उपलब्ध करवा दिए जाएंगे. इससे खासकर उन किसानों को राहत मिलेगी, जिनके खेत बाढ़ या खारे पानी से बार-बार खराब हो जाते हैं.
किसानों को मिलेगी राहत
गोवा जैसे तटीय राज्य में धान की खेती करना हमेशा चुनौती भरा रहा है. लेकिन गोवा धान-5 जैसी किस्में किसानों को प्राकृतिक चुनौतियों से लड़ने की ताकत देंगी. अगर सब कुछ योजना के अनुसार हुआ, तो 2026 से गोवा के किसान ज्यादा उपज, कम नुकसान और बेहतर भविष्य की ओर बढ़ेंगे.