नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के 97वें स्थापना दिवस पर एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने देश के पशुपालन क्षेत्र में नई ऊर्जा भर दी. ICAR से जुड़ी देशभर की संस्थाओं ने अपने इनोवेशन और तकनीकी उपलब्धियों को पेश किया. लेकिन जिस संस्थान ने सबका ध्यान खींचा, वह था केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर.
अविकानगर संस्थान ने भेड़ पालन के क्षेत्र में कई नवीन तकनीकों और अनुसंधानों का प्रदर्शन कर न केवल वाहवाही बटोरी, बल्कि राष्ट्रीय कृषि विज्ञान पुरस्कार 2025 भी अपने नाम किया. इस सम्मान के साथ संस्थान की टीम ने यह साबित कर दिया कि नई तकनीक और वैज्ञानिक सोच से ग्रामीण पशुपालन को नई दिशा दी जा सकती है.
राष्ट्रीय मंच पर अविकानगर की दमदार मौजूदगी
16 जुलाई 2025 को पूसा, नई दिल्ली स्थित भारत रत्न डॉ. सी. सुब्रमण्यम सभागार, एनएएससी परिसर में आयोजित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) स्थापना दिवस के मौके पर अविकानगर संस्थान ने सभी श्रेणियों में सक्रिय भागीदारी निभाई. इस दौरान कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी की मौजूदगी में संस्थान के नई तकनीकों की जमकर सराहना हुई. कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी और डी.जी डॉ. एम.एल. जाट भी कार्यक्रम में शामिल हुए.

नई दिल्ली में ICAR स्थापना दिवस पर अविकानगर संस्थान की भव्य भागीदारी
नई तकनीकों से चमका अविकानगर संस्थान
इस अवसर पर अविकानगर संस्थान को तीन नई तकनीकों के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से प्रमाण पत्र मिले. इनमें भेड़ों के लिए मोबाइल कृत्रिम गर्भाधान प्रयोगशाला (अवि-मेल), सम्पूर्ण पशु आहार (अवि-बटिका) और नवजात मेमनों के लिए दुग्ध प्रतिपूरक (मेमनाप्राश) शामिल हैं. इसके अलावा, भेड़ों की ताकत बढ़ाने के लिए हर्बल फीड सप्लीमेंट अविशक्ति का भी विमोचन किया गया. ये सभी तकनीकें पशुपालकों की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं, जो भेड़ पालन को आसान और लाभकारी बनाएंगी.

राष्ट्रीय कृषि विज्ञान पुरस्कार 2025
युवा वैज्ञानिक को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विनोद विष्णु कदम को पशु विज्ञान क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रीय कृषि विज्ञान पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया. यह पुरस्कार उनके पशुधन अनुसंधान और तकनीकी नवाचारों के लिए दिया गया, जिससे संस्थान को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली.
व्यवसायिक उड़ान के लिए तैयार भेड़ पालन तकनीकें
कार्यक्रम में तीन तकनीकों के लिए अनुबंध (MoU) भी हस्ताक्षरित किए गए. दुग्ध प्रतिपूरक तकनीक को मुंबई की ‘भारत लाइवस्टॉक एंटरप्राइज एंड इनोवेशन्स प्राइवेट लिमिटेड’ को सौंपा गया. वहीं, मोटे ऊन से बनी रजाई और पौध रोपण थैली की तकनीकें पुणे की ‘सेंटर फॉर सस्टेनेबल क्राफ्ट्स एंड रिसर्च’ संस्था को हस्तांतरित की गईं. इन समझौतों से ग्रामीण उद्योग, ऊन आधारित उत्पादों और छोटे पशुपालन व्यवसायों को नई दिशा और व्यावसायिक मजबूती मिलने की संभावना जताई जा रही है.
संस्थान का गौरव और बधाई संदेश
अविकानगर संस्थान के निदेशक डॉ. अरुण कुमार तोमर ने इस उपलब्धि को संस्थान के सभी वैज्ञानिकों, अधिकारियों और कर्मचारियों की सामूहिक मेहनत का परिणाम बताया. उन्होंने पूरे अविकानगर परिवार को इस ऐतिहासिक सफलता के लिए हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई दी.