कहते हैं डूबते को तिनके का सहारा काफी होता है, ऐसे में मुश्किल समय के दौरान इंसान को किसी का साथ मिल जाए तो उसका जीवन बदल सकता है. ऐसा ही कुछ हुआ छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव में रहने वाली श्रीमती प्रतिमा बाई सिदार और सहोद्रा बाई के साथ, जिन्हें केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत खुद का घर मिला. सर पर छत आई तो दोनों महिलाएं अपने आंसुओं को नहीं रोक पाईं. उन्होंने इसके लिए प्रदेश के छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और प्रधानमंत्री मोदी का बहुत आभार व्यक्त किया. इस दौरान जब सहोद्रा बाई धनवार को अपने घर की चाबी मिली, तो ऐसे लगा कि वो केवल चाबी नहीं बल्कि उनके आत्मसम्मान और सुरक्षित भविष्य की शुरुआत थी
सरकारी योजना ने सहोद्रा बाई को बनाया सशक्त
छत्तीसगढ़ के जनपद पंचायत बम्हनीडीह के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत पुछेली खपरीडीह में धरती आबा जनजातीय उत्कर्ष अभियान के दौरान जब सहोद्रा बाई धनवार को मंच से प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अंतर्गत निर्मित पक्के घर की चाबी सौंपी गई तो उन्होंने मुस्कराते हुए सहजता से कहा, ‘चाबी तो दे दी आपने, लेकिन ताला नहीं दिया’.उनके इस मासूम भरे सवाल से सबके चेहरे पर मुस्कान आ गई. बता दें कि पीएम आवास योजना के तहत पक्के मकान के साथ-साथ उज्ज्वला योजना, महतारी वंदन, पेंशन योजना और मनरेगा से 90 दिन की मजदूरी जैसे योजनाओं का लाभ पाकर उनका जीवन सशक्त और आत्मनिर्भर बन गया है. उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने घर के सामने एक पेड़ मां के नाम भी लगाया है, इसके साथ ही जल सरंक्षण को बढ़ावा देने के लिए अपने घर में सोखता गड्ढे का भी निर्माण किया है.
पारंपरिक लोककलाओं से सजाया घर
समाचार एजेंसी प्रसार भारती के अनुसार, सहोद्रा बाई के पति का निधन 5 साल पहले हो चुका है और उनकी तीन बेटियां हैं जिनकी शादी हो चुकी है. सहोद्रा बाई ने योजना के तहत मिले घर को छत्तीसगढ़ की जनजातीय कला, वाद्य यंत्र, पारंपरिक नृत्य, और अन्य पारंपरिक लोककला से जुड़ी चित्रकारी से घर की दीवारों को उकेरा है और अपने घर को जीवंत संस्कृति का प्रतीक बना दिया है. संस्कृति को जीवित रखने की उनकी ये कोशिश न केवल कलात्मक है, बल्कि अब वह अन्य ग्रामीणों के लिए भी प्रेरणा बन चुकी हैं. उनके घर की सजावट पूरे जनपद पंचायत में चर्चा का विषय है.
60 साल की प्रतिमा बाई के घर आईं खुशियां
सहोद्रा बाई की तरह ही एक और महिला हैं प्रतिमा बाई सिदार जिन्हें 60 साल की उम्र में अपना खुद का पक्का मकान मिला है.प्रतिमा बाई ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किए हैं लेकिन आज सरकारी योजना से मदद मिलने के कारण उनके जीवन में सुधार आया है, खुशियां आई हैं. उनके चेहरे पर आत्मविश्वास की जो चमक है, वह प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) की सफलता का प्रतीक बन गई है. पति के निधन के बाद उन्होंने अकेले ही पूरे परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाई. लेकिन अब उनके संघर्षों पर विराम लग गया है, प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत उन्हें स्थायी प्रतीक्षा सूची में स्थान मिला और पहली किस्त मिली, तो मानो उनकी जिंदगी ने एक नई करवट ली. सहोद्रा बाई की तरह ही प्रतिमा बाई को भी अलग-अलग सरकारी योजनाओं का लाभ मिला जिससे आज उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार आया है.