सेहत का खजाना है अंजीर, घर में उगाने के आसान तरीके जानकर आप भी करें शुरुआत

अगर आप अंजीर को गमले में उगाना चाहते हैं, तो शुरुआत में 12 से 18 इंच का गमला चुनें. पौधे की बढ़त के अनुसार हर दो-तीन साल में गमला बदलना फायदेमंद रहता है. मिट्टी ऐसी होनी चाहिए जिसमें पानी जमा न हो और जिसमें जैविक खाद की मात्रा अच्छी हो.

नई दिल्ली | Published: 15 Dec, 2025 | 08:24 AM

अगर आप अपने घर के बगीचे में ऐसा पौधा लगाना चाहते हैं जो देखने में खूबसूरत हो, सेहत के लिए फायदेमंद हो और स्वादिष्ट फल भी दे, तो अंजीर का पेड़ एक बेहतरीन विकल्प है. अंजीर को अंग्रेजी में फिग (Fig) कहा जाता है और यह फल अपने मीठे स्वाद, मुलायम गूदे और पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण खास पहचान रखता है. भारत में इसे अंजीर, अंजूरा, डुमर और सिमैयत्ती जैसे नामों से जाना जाता है. खास बात यह है कि अंजीर का पेड़ न सिर्फ फल देता है, बल्कि इसकी पत्तियां भी कई औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं.

स्वाद और सेहत का अनोखा मेल

अंजीर का वैज्ञानिक नाम फाइकस कैरिका (Ficus carica) है. इसका फल देखने में आंसू के आकार जैसा होता है और इसे ताजा भी खाया जाता है और सुखाकर भी इस्तेमाल किया जाता है. अंजीर का गूदा हल्का मीठा होता है, जबकि इसके छोटे-छोटे बीज खाने में हल्की कुरकुराहट देते हैं. इसमें फाइबर, आयरन, कैल्शियम और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. यही वजह है कि इसे पाचन के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. इसके अलावा अंजीर की पत्तियां ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में भी सहायक मानी जाती हैं.

घर पर अंजीर का पौधा कैसे उगाएं

अंजीर का पौधा गर्म जलवायु में अच्छी तरह बढ़ता है, लेकिन थोड़ी देखभाल के साथ इसे सामान्य तापमान वाले इलाकों में भी उगाया जा सकता है. इसे उगाने के दो आसान तरीके हैं—बीज से और कलम (कटिंग) से.

बीज से अंजीर उगाने के लिए सबसे पहले बीजों को हल्के गुनगुने पानी में एक दिन के लिए भिगो दें. इससे अंकुरण की संभावना बढ़ जाती है. इसके बाद इन्हें अच्छी जल निकास वाली मिट्टी में बोएं. मिट्टी को नम रखें और गमले को ऐसी जगह रखें जहां तेज धूप न हो, लेकिन पर्याप्त रोशनी मिलती रहे.

कटिंग से अंजीर उगाना ज्यादा आसान और तेज तरीका माना जाता है. इसके लिए किसी स्वस्थ अंजीर के पेड़ से 10 से 12 इंच लंबी कलम लें. नीचे की पत्तियां हटा दें और इसे अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में लगा दें. नियमित रूप से पानी दें और पौधे को धूप वाली जगह रखें. जब पौधा तीन से चार फीट का हो जाए, तो इसे जमीन में या बड़े गमले में शिफ्ट किया जा सकता है.

गमला, मिट्टी और धूप का सही चुनाव

अगर आप अंजीर को गमले में उगाना चाहते हैं, तो शुरुआत में 12 से 18 इंच का गमला चुनें. पौधे की बढ़त के अनुसार हर दो-तीन साल में गमला बदलना फायदेमंद रहता है. मिट्टी ऐसी होनी चाहिए जिसमें पानी जमा न हो और जिसमें जैविक खाद की मात्रा अच्छी हो. गोबर की सड़ी खाद या कंपोस्ट मिलाने से मिट्टी ज्यादा उपजाऊ बनती है. मिट्टी का पीएच स्तर 6 से 8 के बीच होना सबसे बेहतर माना जाता है.

अंजीर के पौधे को रोजाना कम से कम पांच से छह घंटे की सीधी धूप चाहिए. जितनी ज्यादा धूप मिलेगी, पौधे की बढ़त और फलन उतना ही बेहतर होगा.

पानी, मौसम और देखभाल का सही तरीका

अंजीर का पौधा ज्यादा पानी पसंद नहीं करता. इसे तभी पानी दें जब ऊपर की मिट्टी सूखी लगे. जरूरत से ज्यादा पानी देने पर पत्तियां पीली पड़ सकती हैं. गर्म और सूखे मौसम में यह पौधा अच्छी तरह बढ़ता है. फल आने के समय पानी थोड़ा बढ़ाया जा सकता है, लेकिन ध्यान रखें कि मिट्टी गीली न रहे.

सर्दियों में अंजीर का पौधा सुप्त अवस्था में चला जाता है. इस दौरान पानी कम देना चाहिए और ठंडी हवाओं से पौधे को बचाना जरूरी होता है. समय-समय पर छंटाई करने से नई शाखाएं निकलती हैं और पौधे का आकार भी संतुलित रहता है. जड़ों से निकलने वाली अनचाही शाखाओं को हटाना जरूरी होता है, क्योंकि ये मुख्य पौधे का पोषण छीन लेती हैं.

रोग, कीट और उनसे बचाव

अंजीर के पौधे में कभी-कभी पत्तियों पर धब्बे, जंग जैसी बीमारी या कीट लग सकते हैं. एफिड्स, थ्रिप्स और स्पाइडर माइट्स जैसे कीट इसकी पत्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं. इन्हें रोकने के लिए पानी की तेज धार से पत्तियां धोना या पौधे के आसपास लकड़ी की राख डालना फायदेमंद होता है.

कब और कैसे करें अंजीर की तुड़ाई

भारत में अंजीर के पेड़ को फल देने में लगभग तीन से पांच साल का समय लग सकता है. आमतौर पर जून से सितंबर के बीच फल तैयार होते हैं. उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में साल भर फल देखने को मिल सकते हैं. जब फल नरम हो जाए और रंग बदलने लगे, तब उसे तोड़ लेना चाहिए.

कुल मिलाकर, अंजीर का पौधा घर के बगीचे के लिए एक शानदार विकल्प है. थोड़ी सी देखभाल के साथ यह न सिर्फ आपके आंगन की शोभा बढ़ाता है, बल्कि सेहत से भरपूर स्वादिष्ट फल भी देता है.

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