चलो टीका लगवाएं, पशुधन बचाएं- गांव की गलियों में अब यही गूंज सुनाई देती है. एक ओर जहां दुनिया सतत विकास की ओर कदम बढ़ा रही है, वहीं भारत का दिल-मध्य प्रदेश-अपने पशुधन की देखभाल में एक नई मिसाल कायम कर रहा है. पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार की पहल पर चलाए गए इस अभूतपूर्व टीकाकरण अभियान ने न केवल बीमारियों पर लगाम लगाई है, बल्कि किसानों के चेहरे पर भी सुकून की मुस्कान लौटाई है.
अभियान की अद्भुत सफलता: आंकड़े जो बोलते हैं
MP Leads the Way!
With 11.65 crore vaccinations and 73 lakh farmers covered, Madhya Pradesh is setting the gold standard in livestock care.
Let’s vaccinate, not hesitate!#FMD #AnimalCare #HealthyCattle #RuralDevelopment #FMDVaccination pic.twitter.com/bkBbTmcsFO— Dept of Animal Husbandry & Dairying, Min of FAH&D (@Dept_of_AHD) August 6, 2025
मध्य प्रदेश ने अब तक 11.65 करोड़ पशु टीकाकरण का रिकॉर्ड बनाया है, जो देशभर में सबसे अग्रणी प्रदर्शन है. इससे 73 लाख से अधिक किसान परिवार सीधे तौर पर लाभान्वित हुए हैं. यह आंकड़े सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि उस मेहनत, समर्पण और जन-सहयोग के प्रतीक हैं, जो इस अभियान की आत्मा बने.
इस उपलब्धि का श्रेय राज्य सरकार, जमीनी स्तर के पशु चिकित्सकों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और जागरूक किसानों के तालमेल को जाता है. महामारी और बीमारियों से जूझते पशुधन को सुरक्षित कर, मध्य प्रदेश ने यह सिद्ध कर दिया कि सतत प्रयासों और जनसहभागिता से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं.
बीमारियों पर लगा ब्रेक: सुरक्षित पशुधन, सुरक्षित किसान
गांवों में फैली मुंह-खुर (FMD) जैसी खतरनाक बीमारियों से हर साल हजारों पशु प्रभावित होते थे. अब नियमित और समयबद्ध टीकाकरण से इन रोगों की रोकथाम हो रही है. FMD- मुक्त भारत मिशन के अंतर्गत चल रही इस योजना ने पशुओं की मृत्यु दर को कम किया है और दुग्ध उत्पादन में भी उल्लेखनीय वृद्धि की है. स्वस्थ पशुधन का सीधा असर किसान की आमदनी पर पड़ता है और यही कारण है कि अब पशुपालन, सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि लाभकारी व्यवसाय बनता जा रहा है.
किसानों के चेहरे पर लौटी मुस्कान
इस योजना का सबसे बड़ा लाभ मिला है राज्य के छोटे और सीमांत किसानों को, जो अपनी दो-चार गाय-भैंस के सहारे आजीविका चलाते हैं. पहले बीमारी की स्थिति में पूरा परिवार आर्थिक संकट में आ जाता था. अब समय पर टीकाकरण से पशु स्वस्थ रहते हैं, जिससे न केवल दूध उत्पादन बढ़ा है, बल्कि दवाइयों पर होने वाला खर्च भी घटा है. किसानों का आत्मविश्वास बढ़ा है और वे अब सरकारी योजनाओं में बढ़-चढ़कर भागीदारी कर रहे हैं. महिला स्वयं सहायता समूह भी इस मुहिम का हिस्सा बनकर समाज को नया दिशा दे रही हैं.
हिचकिचाओ मत, टीका लगाओ-बदल रही सोच
पशुओं के टीकाकरण को लेकर समाज में लंबे समय तक संकोच रहा. लेकिन सरकार द्वारा चलाए गए जन-जागरूकता अभियान- जैसे ‘चलो टीका लगवाएं, पशुधन बचाएं’ और ‘हिचकिचाओ मत, टीका लगाओ’- ने इस सोच को बदल दिया है. गांव-गांव में रैलियां, पोस्टर, नुक्कड़ नाटक और मोबाइल वैन द्वारा लोगों को जानकारी दी जा रही है. युवाओं और स्कूलों को भी इस मुहिम से जोड़ा गया है, जिससे यह सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि जनांदोलन बन गया है.