मछली और सिंघाड़ा की कॉम्बो फार्मिंग दिला रही 3X मुनाफा, जानिए कैसे करें शुरुआत

Rural Business: किसान अब धान-गेहूं छोड़कर तालाब में मछली और सिंघाड़ा की खेती कर डबल मुनाफा कमा रहे हैं. सही योजना और देखभाल से सालभर निरंतर आय संभव है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है.

Kisan India
नोएडा | Published: 2 Oct, 2025 | 02:55 PM

Fish Farming: आज के जमाने में खेती-बाड़ी के तरीके बदल रहे हैं. किसान भाई अब सिर्फ एक फसल पर निर्भर नहीं रहते, बल्कि कई तरीकों से अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं. ऐसे में मछली पालन के साथ सिंघाड़ा की खेती करना एक बेहतरीन विकल्प बन गया है. खासतौर पर उन खेतों और तालाबों में जहां पानी की वजह से पारंपरिक खेती मुश्किल होती है, वहां सिंघाड़ा और मछली दोनों पालकर किसान डबल मुनाफा कमा रहे हैं. आइए जानते हैं इस कारोबार के बारे में विस्तार से और कैसे आप भी इसे अपनाकर अपनी जेब मोटी कर सकते हैं.

तालाब में सिंघाड़ा और मछली पालन का कमाल

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कई किसान ऐसे हैं जो अपने तालाबों और पोखरों में सिंघाड़ा और मछली दोनों पालते हैं. बरसात के मौसम में जब खेतों में ज्यादा पानी भर जाता है और फसल उगाना मुश्किल होता है, तब यह तरीका उनके लिए सोने पर सुहागा साबित होता है. पानी के ऊपर सिंघाड़ा उगता है, जो एक पौष्टिक और बाजार में मांग वाला फल है. वहीं उसी पानी में मछली पालन भी होता है, जिससे किसान को दोहरी कमाई होती है. गांवों में ऐसे सैकड़ों किसान हैं जो इस बिजनेस से खूब लाभ उठा रहे हैं. सिंघाड़ा और मछली दोनों की बिक्री से उन्हें अच्छा खासा पैसा मिल रहा है, जिससे उनकी जिंदगी बदल रही है.

ध्यान रखें ये बातें, वरना होगा नुकसान

मछली पालन और सिंघाड़ा की खेती एक साथ करना आसान है, लेकिन इसमें कुछ खास सावधानियां जरूरी हैं. तालाब के कुछ हिस्सों में सिंघाड़ा नहीं लगाना चाहिए ताकि दवा छिड़काव के दौरान मछलियां खुले हिस्से में चली जाएं और नुकसान न हो. सिंघाड़ा के फलन को मछली न खाए, इसके लिए सही मछली की प्रजाति का चयन जरूरी है. इन सावधानियों का पालन करने से सिंघाड़ा और मछली दोनों सुरक्षित रहते हैं और किसान का मुनाफा दोगुना हो जाता है. इसलिए ध्यान से काम लेना सफलता की कुंजी है.

सिंघाड़ा के साथ कौन-कौन सी मछलियां पालें?

मछली पालन करते समय हमेशा ऐसी मछलियां चुननी चाहिए जो सिंघाड़ा की फसल को नुकसान न पहुंचाएं. किसान और विशेषज्ञों के मुताबिक, गोल्डन मछली, सिल्वर मछली, विकेट मछली और बरारी मछली सिंघाड़ा के साथ पालन के लिए सबसे उपयुक्त हैं. ये मछलियां सिंघाड़ा की फसल को नहीं खातीं और अच्छे वजन में जल्दी बढ़ती हैं. इसके विपरीत, ग्रास मछली, रहु और कतला मछली सिंघाड़ा के फलन को नुकसान पहुंचा सकती हैं. इसलिए सिंघाड़ा के साथ इन मछलियों के पालन से बचना चाहिए ताकि फसल सुरक्षित रहे और बेहतर मुनाफा हो सके.

किसान सत्यता और अनुभव

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, किसान कई सालों से सिंघाड़ा के साथ मछली पालन कर रहे हैं. वे बताते हैं कि उनके पूर्वज भी इसी तरीके से खेती करते थे, इसलिए यह तरीका उनके परिवार की परंपरा बन चुका है. आज भी यह व्यवसाय उनकी आय का मुख्य स्रोत है. सत्य प्रकाश कहते हैं, मछली और सिंघाड़ा के बिजनेस में सावधानी बहुत जरूरी है. सही मछली का चुनाव करें, तालाब की सही देखभाल करें और सिंघाड़ा की अच्छी फसल उगाएं. उनके अनुभव से यह साफ होता है कि यह तरीका ग्रामीण इलाकों के किसानों के लिए बेहद लाभकारी साबित हो सकता है.

कैसे शुरू करें मछली और सिंघाड़ा का व्यवसाय?

अगर आप मछली और सिंघाड़ा के व्यवसाय को शुरू करना चाहते हैं, तो सबसे पहले अपने खेत या तालाब की पानी की स्थिति जांच लें कि वह सिंघाड़ा की खेती के लिए सही है या नहीं. तालाब के एक हिस्से में सिंघाड़ा लगाएं और बाकी हिस्से को मछली पालन के लिए खाली छोड़ दें. सही मछली के बीज खरीदकर तालाब में डालें. समय-समय पर तालाब की सफाई और दवा छिड़काव करें. सिंघाड़ा की उचित देखभाल भी जरूरी है ताकि वह अच्छे से बढ़ सके. बाजार की मांग के अनुसार मछली और सिंघाड़ा बेचकर आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

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Published: 2 Oct, 2025 | 02:55 PM

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