अमरूद के पौधे होंगे दोगुनी तेजी से तैयार, सीखें कटिंग और निपिंग की आसान तकनीक

अमरूद का पौधा अपनी पूरी क्षमता तभी दिखाता है जब उसे सही तरीके से आकार दिया जाए और समय-समय पर कटिंग, निपिंग और प्रूनिंग की जाए. ये तकनीकें पौधे को मजबूत बनाती हैं, नई शाखाओं को बढ़ावा देती हैं और फलों की संख्या व गुणवत्ता दोनों बढ़ाती हैं.

नई दिल्ली | Published: 6 Dec, 2025 | 09:47 AM

Farming Tips: अमरूद भारत का एक बेहद लोकप्रिय और लाभकारी फल है, लेकिन इसकी खेती या घर पर पौधा लगाने वालों को अक्सर यह शिकायत रहती है कि पौधा तो बढ़ रहा है लेकिन फल कम लग रहे हैं. असल में, अमरूद का पौधा अपनी पूरी क्षमता तभी दिखाता है जब उसे सही तरीके से आकार दिया जाए और समय-समय पर कटिंग, निपिंग और प्रूनिंग की जाए. ये तकनीकें पौधे को मजबूत बनाती हैं, नई शाखाओं को बढ़ावा देती हैं और फलों की संख्या व गुणवत्ता दोनों बढ़ाती हैं.

कटिंग से पौधा जल्दी और बेहतर फल देता है

अमरूद पौधा बीज से लगाना संभव है, लेकिन बीज से उगे पौधे को फल देने में कई साल लग सकते हैं और अक्सर फल की गुणवत्ता भी असमान होती है. इसके विपरीत, कटिंग से तैयार किए गए पौधे जल्दी फल देते हैं और उनमें मूल पौधे की ही विशेषताएं बनी रहती हैं. कटिंग के लिए स्वस्थ टहनी चुनकर उसे मिट्टी और रेत के मिश्रण में लगाना एक सरल और असरदार तरीका है. कुछ हफ्तों में यह जड़ पकड़ लेता है और नई कोंपलें निकलने लगती हैं, जो आगे चलकर जल्दी फल देती हैं.

निपिंग क्यों जरूरी है?

अमरूद के पौधे में अगर निपिंग न की जाए तो पौधा सिर्फ ऊपर की ओर बढ़ता रहेगा और फल कम आएंगे. निपिंग का मतलब है नई कोपलों को हल्के से तोड़ देना, जिससे पौधा साइड में शाखाएं निकालता है और झाड़ीदार बनता है. इससे धूप हर हिस्से तक पहुंचती है और हवा का सही प्रवाह बना रहता है. जब पौधे की ऊर्जा गलत दिशा में खर्च न होकर शाखाओं और फलों पर लगती है तो पौधा मजबूत होता है और फल ज्यादा लगते हैं.

कटाई (प्रूनिंग) का सही समय और महत्व

अमरूद के पौधे की कटाई साल में दो बार करना सबसे अच्छा माना जाता है. पहली कटाई जनवरी–फरवरी के आसपास की जाती है, जब पौधा आराम की अवस्था में होता है. इस समय की कटाई नई और मजबूत कलियों को जन्म देती है, जो आगे चलकर बेहतर फल देती हैं. दूसरी कटाई सितंबर–अक्टूबर में, यानी बरसात के ठीक बाद करनी चाहिए. बरसात में पौधा तेजी से बढ़ता है और कई अनचाही शाखाएं निकल आती हैं. इन्हें हटाने से पौधा अगले सीजन के लिए बिल्कुल तैयार हो जाता है.

कटाई कैसे करें?

कटाई करते समय यह ध्यान रखना जरूरी है कि मुख्य मोटी शाखाओं को नुकसान न पहुंचे. केवल सूखी, बीमार, एक-दूसरे से रगड़ खाने वाली और अंदर की ओर बढ़ रही शाखाओं को हटाया जाता है. कटाई के बाद पौधे पर हल्का रोगनाशक स्प्रे करने से बीमारी की आशंका कम हो जाती है. साथ ही, ताजा गोबर खाद या ऑर्गेनिक खाद डालने से पौधे को नई ऊर्जा मिलती है और नई शाखाएं तेजी से निकलती हैं.

निपिंग और प्रूनिंग के फायदे

नियमित निपिंग और प्रूनिंग से पौधा मजबूत, घना और संतुलित बनता है. हवा और धूप बेहतर तरीके से पहुंचती है, जिससे फसल पर कीड़ों का जोखिम कम होता है. फल का आकार बड़ा होता है, मिठास बढ़ती है और उनकी बनावट भी बेहतर होती है. इन तकनीकों के कारण पौधे की कुल पैदावार बढ़ जाती है और किसान या गार्डनर को अधिक मुनाफा मिलता है.

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