कभी खेती-किसानी को सिर्फ गुजारे का जरिया माना जाता था, लेकिन अब समय बदल रहा है. भारत की खेती अब सिर्फ अपनी जरूरतें ही नहीं पूरी करेगी, बल्कि पूरी दुनिया को अन्न दे सकने की तैयारी में है. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को बताया कि देश का खाद्यान्न उत्पादन लगातार बढ़ रहा है और सरकार का लक्ष्य है कि भारत को फिर से दुनिया का फूड बास्केट बनाया जाए यानी एक दिन भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद्यान्न भंडार बने.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज इसका जिक्र करते हुए बताया कि भारत का खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है और यह सिर्फ शुरुआत है.
खाद्यान्न उत्पादन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है. कृषि मंत्री के मुताबिक, इस साल देश का कुल खाद्यान्न उत्पादन 106 लाख टन बढ़कर 1,663.91 लाख टन हो गया है. पिछले साल यानी 2023-24 में यह आंकड़ा 1,557.6 लाख टन था. यही नहीं, रबी सीजन में भी उत्पादन में इजाफा हुआ है, जहां पिछले साल 1,600.06 लाख टन था, वहीं इस बार 1,645.27 लाख टन तक पहुंच गया है.
इस साल के उत्पादन में ऐतिहासिक रिकॉर्ड बना है. खरीफ चावल का उत्पादन 1206.79 लाख मीट्रिक टन, गेहूं 1154.30 लाख मीट्रिक टन, मक्का 248.11 लाख मीट्रिक टन, मूंगफली 104.26 लाख मीट्रिक टन और सोयाबीन 151.32 लाख मीट्रिक टन हुआ है.यह सभी आंकड़े पहले के मुकाबले बहुत ज्यादा हैं.
अगर दालों और तेल बीजों को भी जोड़ लिया जाए, तो दालों का उत्पादन 221.71 लाख टन से बढ़कर 230.22 लाख टन और तिलहनी फसलों का उत्पादन 384 लाख टन से बढ़कर 416 लाख टन हो गया है।
शिवराज सिंह चौहान ने इसे किसानों की मेहनत और सरकार की योजनाओं का संयुक्त नतीजा बताया. उन्होंने कहा, “हम यहीं नहीं रुकना चाहते. हमारा लक्ष्य है कि हम न केवल अपने देश की जरूरतें पूरी करें, बल्कि दुनिया के देशों की मदद भी करें.”
एक राष्ट्र, एक कृषि और एक टीम” का मंत्र
कृषि मंत्री ने अपने भाषण में “एक राष्ट्र, एक कृषि और एक टीम” का मंत्र दिया. इसका मतलब है कि सभी कृषि संस्थानों, वैज्ञानिकों और किसानों को एकजुट करके एक साझा लक्ष्य की ओर काम करना. चौहान ने कहा, “अगर हम सब मिलकर लक्ष्य तय करें और एक ठोस योजना बनाएं, तो हम कृषि में बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं.” इस विचार से यह समझा जा सकता है कि किसानों, वैज्ञानिकों और सरकार को एक साथ आकर काम करना चाहिए ताकि कृषि क्षेत्र को बेहतर बनाया जा सके.
पुणे में स्थापित होगी राष्ट्रीय प्रयोगशाला
कृषि मंत्री ने पुणे में एक नई राष्ट्रीय प्रयोगशाला स्थापित करने की घोषणा की, जो स्वच्छ पौधा कार्यक्रम के तहत काम करेगी. इस प्रयोगशाला में पौधों की मूल प्रजातियों पर शोध होगा, जिससे किसानों को बेहतर और रोगमुक्त बीज मिल सकेंगे, जो कृषि उत्पादन को बढ़ाने में मदद करेंगे.
आईसीएआर और राज्य संस्थान मिलकर करेंगे काम
शिवराज सिंह चौहान ने जानकारी दी कि देशभर में ICAR (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) के 113 संस्थान हैं, जिनमें से 11 महाराष्ट्र में स्थित हैं. उन्होंने कहा कि इन संस्थानों के प्रमुखों की बैठक नागपुर में राष्ट्रीय मृदा सर्वेक्षण एवं भूमि उपयोग योजना ब्यूरो (NBSS & LUP) में बुलाई जाएगी.
इसका मकसद है खेती और वैज्ञानिक अनुसंधान के बीच की दूरी को खत्म करना. मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि सरकार “प्रयोगशालाओं और खेतों के बीच की खाई पाटने” के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.
किसानों को उच्च गुणवत्ता और तकनीकों का लाभ
शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को बेहतर गुणवत्ता वाले बीज, मिट्टी की जांच और उत्पादन की लागत में कमी के महत्व के बारे में बताया. उन्होंने स्वच्छ पौधा कार्यक्रम के बारे में भी बात की, जिसमें रोगमुक्त नर्सरी सुनिश्चित की जाएगी. इसके अलावा, किसानों को नैनो यूरिया, नैनो डीएपी और अन्य नई तकनीकों के फायदे के बारे में भी बताया जाएगा, ताकि वे अपनी फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता को बढ़ा सकें.
भारत की खेती को मिलेगा नया आयाम
भारत लंबे समय से कृषि प्रधान देश रहा है, लेकिन अब सरकार की योजना है कि भारत को वैश्विक खाद्य आपूर्ति का बड़ा केंद्र बनाया जाए. इसके लिए उत्पादन बढ़ाना, तकनीक लाना, वैज्ञानिक सोच अपनाना और किसानों को सशक्त बनाना प्राथमिकताएं हैं. कृषि मंत्री ने साफ कहा, “हमारा विजन है कि एक दिन भारत दुनिया का सबसे भरोसेमंद खाद्यान्न भंडार बने. हम आत्मनिर्भर भी बनें और जरूरतमंद देशों की मदद भी करें.”