भारत के दो प्रमुख राज्य मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र ने मिलकर विश्व की सबसे बड़ी ग्राउंडवॉटर रीचार्ज परियोजना ‘तापी बेसिन मेगा रीचार्ज परियोजना’ को हरी झंडी दी है. इस ऐतिहासिक कदम से 3.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा संभव हो सकेगी. भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस परियोजना के एमओयू पर हस्ताक्षर किए. दशकों से लंबित यह योजना अब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में मूर्त रूप ले रही है.
सबसे बड़ी वॉटर रीचार्ज योजना की नींव
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसे विश्व की सबसे बड़ी ग्राउंडवॉटर रीचार्ज परियोजना बताया. उन्होंने बताया कि यह परियोजना न केवल निमाड़ अंचल में भूजल स्तर को ऊंचा करेगी, बल्कि लाखों किसानों के लिए वरदान साबित होगी. इससे मध्यप्रदेश के 1.23 लाख और महाराष्ट्र के 2.37 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की सुविधा विकसित की जाएगी. इस परियोजना के तहत ‘बजाडा जोन’ में जल संचयन और भंडारण की संरचनाएं बनेंगी जो ताप्ती नदी के समांतर भूजल रिचार्ज करेंगी.
दशकों से अटकी योजनाओं को पीएम मोदी सरकार ने दी गति
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि बीते 25 वर्षों से मध्यप्रदेश की कई अंतर्राज्यीय परियोजनाएं सिर्फ कागजों में सजी थीं. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल जैसी योजनाओं को भी मंजूरी मिली और अब तापी बेसिन योजना को भी ठोस रूप दिया गया है. इस परियोजना को राष्ट्रीय सिंचाई परियोजना घोषित करने का अनुरोध केंद्र सरकार से किया जाएगा ताकि 90 प्रतिशत खर्च केंद्र उठाए.
एमओयू पर हस्ताक्षर और नियंत्रण मंडल की ऐतिहासिक बैठक
कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में एमओयू पर हस्ताक्षर हुए. इससे पहले वल्लभ भवन में ‘मध्यप्रदेश महाराष्ट्र अंतर्राज्यीय नियंत्रण मंडल’ की 28वीं बैठक में परियोजना पर विस्तार से चर्चा हुई. साथ ही डांगुरली बैराज, बाघ नदी पर वियर निर्माण और लावाघोघरी-तोतलाडोह जल विनिमय योजना पर भी सैद्धांतिक सहमति बनी. इस विषय में अक्टूबर में अगली बैठक महाराष्ट्र में होगी.
चार प्रमुख जल संरचनाएं
- परियोजना के तहत चार मुख्य जल संरचनाएं प्रस्तावित हैं-
- खरिया गुटीघाट वियर- 8.31 टीएमसी जलभराव क्षमता वाली यह संरचना दो राज्यों की सीमा पर बनेगी.
- दाएं तट की नहर (221 किमी)- इससे मध्यप्रदेश के 55,089 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी.
- बाएं तट की नहर (135.64 किमी)- इसमें से 100.42 किमी मध्यप्रदेश में बनेगी, जिससे 44,993 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी.
- बाईं तट की दूसरी नहर- टनल के माध्यम से 123.97 किमी लंबी नहर बनाई जाएगी.
मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र की साझेदारी से नया जल मॉडल तैयार
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि वर्षों से अटकी परियोजनाएं अब केंद्र सरकार के प्रयासों से मूर्त रूप ले रही हैं. उन्होंने कहा कि तापी बेसिन योजना दुनिया की सबसे बड़ी रीचार्ज स्कीम होगी. यह परियोजना दोनों राज्यों के किसानों की जिंदगी बदलने वाली साबित होगी. साथ ही उन्होंने भविष्य में शिक्षा, उद्योग और जल प्रबंधन में भी संयुक्त प्रयासों की बात कही.