Seeds Bill: घटिया बीजों से किसानों को बचाने के लिए सरकार सख्त, जानिए नए कानून में क्या होंगे बदलाव?

यह नया बिल करीब 60 साल पुराने ‘सीड्स एक्ट 1966’ और ‘सीड्स कंट्रोल ऑर्डर 1983’ की जगह लेगा. कृषि मंत्रालय का कहना है कि अब समय आ गया है कि देश के बीज उद्योग को आधुनिक जरूरतों के अनुसार बदला जाए.

नई दिल्ली | Published: 14 Nov, 2025 | 09:38 AM

Seeds Bill 2025: भारत में बीज उद्योग लंबे समय से एक बड़ी समस्या से जूझ रहा है, वो है नकली और घटिया बीजों की बिक्री. किसान भरोसे के साथ बीज खरीदता है, लेकिन जब खेत में फसल उग ही न पाए या नतीजा उम्मीद के विपरीत निकले, तो उसकी पूरी मेहनत और निवेश डूब जाता है. इसी चिंता को दूर करने के लिए केंद्र सरकार अब एक नया ‘बीज विधेयक’ लाने की तैयारी कर रही है. यह प्रस्तावित कानून बीजों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने, नकली बीज बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई करने और किसानों को सुरक्षित विकल्प उपलब्ध कराने के उद्देश्य से तैयार किया गया है.

सरकार ने इस विधेयक का प्रारूप जारी कर दिया है और अगले एक महीने के भीतर आम जनता और उद्योग से सुझाव मांगे हैं. आगामी संसद सत्र में इस विधेयक को आगे बढ़ाने की तैयारी है.

पुराना कानून होगा खत्म, नए नियमों से मिलेगी पारदर्शिता

यह नया बिल करीब 60 साल पुरानेसीड्स एक्ट 1966’ और ‘सीड्स कंट्रोल ऑर्डर 1983’ की जगह लेगा. कृषि मंत्रालय का कहना है कि अब समय आ गया है कि देश के बीज उद्योग को आधुनिक जरूरतों के अनुसार बदला जाए.

सरकार का उद्देश्य है कि किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उचित कीमत पर मिलें, बाजार में मानकों की निगरानी कड़ी हो और नकली बीज बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई की जा सके.

मसौदे में यह भी साफ किया गया है कि बीजों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और तकनीक-सहायक बनाया जाएगा.

छोटी गलतियों पर जेल नहीं, पर बड़ी लापरवाही पर भारी जुर्माना

नई व्यवस्था की सबसे खास बात यह है कि छोटे या “तथाकथित मामूली” अपराधों को अब अपराध की श्रेणी से बाहर रखा गया है. यानी, अब छोटी गलतियों या प्रशासनिक त्रुटियों पर जेल या कोर्ट-कचहरी का झंझट नहीं होगा. इसका मकसद व्यापारियों पर अनावश्यक बोझ कम करना और बिजनेस को आसान बनाना है.

लेकिन वहीं गंभीर उल्लंघनों के लिए सख्त दंड का प्रावधान रखा गया है. बड़ी लापरवाही या धोखाधड़ी जैसे मामलों में 10 लाख से लेकर 30 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.

अगर कोई व्यापारी पहले भी सजा पा चुका हो और फिर पांच साल के भीतर वही गलती दोबारा करे, तो उसका बीज कारोबार का लाइसेंस रद्द भी किया जा सकता है या उसे तीन साल की जेल हो सकती है.

किस तरह के अपराध किस श्रेणी में आएंगे?

मसौदा बिल के मुताबिक, मामूली गलतियां, जैसे दुकान पर लाइसेंसदिखाना, पैकेट पर लेबललगाना या रिकॉर्ड अपडेटकरनाट्रिवियलश्रेणी में माना जाएगा. इन मामलों में पहले लिखित चेतावनी दी जाएगी और फिर अगली बार 50,000 रुपये तक का जुर्माना लग सकता है.

वहीं, गुणवत्ता से जुड़े मामलों-जैसे बीज की गलत ब्रांडिंग, तय दर से ज्यादा कीमत वसूलना या निम्न स्तर के बीज बेचना ‘माइनर’ अपराध माना गया है, जिन पर 1 से 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा.

सबसे बड़ी श्रेणी है ‘मेजर’, जिसमें नकली बीज बेचना, अवैध या बिना पंजीकरण वाले बीज बेचना या किसानों को धोखा देना आता है. ऐसे मामलों में कड़ी सजा का प्रावधान है.

नकली बीज की परिभाषा बदली, जिम्मेदारी सप्लायर की

सरकार ने “स्प्यूरियस सीड” की नई परिभाषा भी दी है. अब वह हर बीज जिसे उसकी किस्म के अनुसार उगना चाहिए लेकिन न उगे या उसकी शुद्धता न्यूनतम मानकों से नीचे हो, उसे नकली बीज माना जाएगा.

एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि नकली बीज बेचने की जिम्मेदारी अब खुदरा दुकानदार की जगह सप्लायर पर ज्यादा होगी. इससे किसानों को सही उत्पाद दिलाने की जिम्मेदारी ऊपर के स्तर तक सुनिश्चित होगी.

बीज रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में भी बदलाव

अभी तक बीज पंजीकरण की प्रक्रिया मुख्य रूप से ICAR के नियंत्रण में थी, लेकिन उद्योग से जुड़े लोग चाहते थे कि यह प्रक्रिया पारदर्शी और तेज हो. अब मसौदा बिल में “रजिस्ट्रेशन सब-कमेटी” के गठन का प्रस्ताव है, जो बीज की नई किस्मों की जांच करेगी और पंजीकरण को आगे बढ़ाएगी. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे निजी बीज कंपनियों को अपनी किस्में बाजार में जल्दी और आसानी से लाने में मदद मिलेगी.

किसानों के हितों को केंद्र में रखकर बना मसौदा

कृषि मंत्रालय का कहना है कि यह विधेयक किसानों की सुरक्षा और अधिकारों को मजबूत करने के लिए लाया जा रहा है. उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध होने से किसानों की पैदावार बढ़ेगी और फसल खराब होने का जोखिम कम होगा. नकली बीजों पर रोक लगने से किसानों के नुकसान भी कम होंगे और बीज बाजार में विश्वास बढ़ेगा.

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