3 लाख किसानों के साथ धोखा.. 642 FPO को बांटे गए 78 करोड़, पूर्व सीएम का आरोप

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने FPO योजना में हुए घोटाले को लेकर बीजेपी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा सिर्फ कागजी रहा और 78 करोड़ रुपये माफिया ले गए. RTI से खुलासा हुआ कि किसानों को योजना का लाभ नहीं मिला, सिर्फ नाम इस्तेमाल हुआ.

नोएडा | Updated On: 19 Sep, 2025 | 03:49 PM

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने बीजेपी सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा है कि किसानों के साथ बीजेपी सरकार में हर स्तर पर अन्याय हो रहा है.किसान एक तरफ खाद, बीज और MSP के लिए परेशान हैं, वहीं दूसरी तरफ उनके नाम पर चल रही योजनाओं का फायदा माफिया उठा रहे हैं.  उनका कहना है कि सरकार और माफिया के इस गठजोड़ का नुकसान सीधे किसानों को हो रहा है और उनकी हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा किया था, लेकिन हकीकत में इस वादे की आड़ में 642 FPO को 78 करोड़ रुपये बांट दिए गए. कई किसानों को बिना जानकारी के इन FPO का निदेशक दिखा दिया गया, जबकि असल में यह पैसा कुछ चुनिंदा लोगों के बीच बांट लिया गया. इस योजना के जरिए करीब तीन लाख किसानों के साथ धोखा किया गया. ऐसे में मैं सरकार से मांग करता हूं कि इस घोटाले की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए और दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जाए.

किसानों की आय दोगुनी करने का वादा

दरअसल, कमलनाथ ने एक्स पर दैनिक भास्कर अखबार की एक खबर को शेयर करते हुए राज्य सरकार को घेरा है. दैनिक भास्कर की इस खबर के मुताबिक, केंद्र और राज्य सरकारें लगातार किसानों की आय दोगुनी करने का वादा कर रही हैं. इसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार  ने FPO (फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन) योजना शुरू की थी. इसके तहत 300 से 500 किसानों के समूह बनाकर उन्हें एक कंपनी की तरह काम करने का मौका दिया जाना था. किसान इस कंपनी के शेयर होल्डर बनते, मिलकर उपज बेचते और बीज-खाद जैसी चीजें थोक में खरीद सकते थे.

एफपीओ से 3 लाख किसानों को जोड़ा गया

लेकिन मध्य प्रदेश में इस योजना में बड़ा घोटाला हुआ है. यहां 642 एफपीओ बनाए गए और करीब 3 लाख किसानों को इसमें जोड़ा गया. इन एफपीओ पर मैनेजमेंट कॉस्ट और इक्विटी ग्रांट के नाम पर करीब 78 करोड़ रुपये खर्च किए गए. हकीकत यह है कि इन एफपीओ में किसान सिर्फ कागजों पर डायरेक्टर या पार्टनर हैं. केंद्र सरकार ने तय किया था कि हर एफपीओ को तीन साल में 18 लाख रुपये प्रबंधन खर्च और किसानों के अंशदान के बराबर इक्विटी ग्रांट दी जाएगी. लेकिन यह पैसा सीधे किसानों तक पहुंचने की बजाय एफपीओ चलाने वाले लोगों की जेब में चला गया. इस पूरे घोटाले का खुलासा एक आरटीआई के जरिए हुआ, जिसमें एसएफएसी (Small Farmers’ Agri-Business Consortium) से इक्विटी फंड और किसानों को 45 दिन में शेयर बॉन्ड देने से जुड़ी जानकारी मांगी गई थी.

चित्रकूट से एफपीओ योजना की हुई शुरुआत

प्रधानमंत्री ने 29 फरवरी 2020 को चित्रकूट से एफपीओ योजना की शुरुआत की थी और इसके लिए 6800 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया था. योजना का मकसद था किसानों को सशक्त बनाना, लेकिन इसका फायदा असली किसानों को मिलने के बजाय माफिया उठा ले गए. इस योजना की नोडल एजेंसी एसएफएसी (स्मॉल फार्मर्स एग्री बिजनेस कंसोर्टियम) है. मध्यप्रदेश में इस योजना को लागू करने की जिम्मेदारी नाबार्ड, नैफेड, राष्ट्रीय आजीविका मिशन समेत सात से ज्यादा संस्थाओं को दी गई थी. लेकिन इन क्रियान्वयन एजेंसियों की लापरवाही और गड़बड़ियों की वजह से योजना का असली लाभ किसानों तक नहीं पहुंच सका.

Published: 19 Sep, 2025 | 03:32 PM

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