कर्नाटक में सुपारी पर सड़न रोग का कहर, 50 फीसदी फसल बर्बाद
सड़न रोग के मुख्य लक्षणों में सुपारी के फल का गलना और बड़े पैमाने पर गिरना शामिल है. लगातार बारिश, कम तापमान और अधिक नमी इस रोग के फैलाव को तेजी से बढ़ाते हैं.
कर्नाटक के सुपारी उत्पादक किसानों के लिए यह साल बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है. लगातार भारी बारिश और सड़न रोग (Fruit Rot Disease) के कारण दक्षिण कन्नड़ जिले के सुल्लिया तालुक सहित राज्य के कई सुपारी उत्पादक क्षेत्रों में फसल की लगभग आधी पैदावार बर्बाद हो गई है. किसानों की साल भर की मेहनत और आर्थिक निवेश पर यह संकट भारी पड़ रहा है. चलिए जानते हैं पूरी रिपोर्ट.
सर्वे में खुलासा: 95 फीसदी किसान प्रभावित
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, ऑल इंडिया एरेकनट ग्रोअर्स एसोसिएशन द्वारा किए गए सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ कि लगभग 95 फीसदी किसानों की सुपारी की फसल सड़न रोग से प्रभावित हुई है. इस रोग के चलते सुपारी के छोटे-छोटे फल गलकर गिर जाते हैं और फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों प्रभावित होती हैं. भारी बारिश के कारण कई किसानों ने Fungicide का छिड़काव नहीं कर पाए, जिससे फसल की हानि और बढ़ गई.
उत्पादन और आर्थिक नुकसान
कर्नाटक में 2023-24 में सुपारी का उत्पादन 10.32 लाख टन और क्षेत्रफल 6.77 लाख हेक्टेयर था. भारत में कुल सुपारी उत्पादन 14.11 लाख टन था, जिसमें कर्नाटक का योगदान लगभग 73 फीसदी था. सुपारी की यह फसल कई परिवारों की आजीविका का मुख्य स्रोत है, इसलिए नुकसान का असर सीधे ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है.
किसानों की मांग: मुआवजा और बीमा भुगतान
इस संकट के मद्देनजर, किसानों ने सरकार से मुआवजा जारी करने और फसल बीमा योजना के तहत भुगतान तुरंत करने की मांग की है. हाल ही में, CAMPCO ने भी कर्नाटक सरकार से प्रभावित किसानों के लिए मुआवजे की घोषणा करने का आग्रह किया है. मानसून वर्षा औसत से बहुत अधिक रही, जिसके कारण सड़न रोग व्यापक स्तर पर फैल गया.
सड़न रोग के कारण और नियंत्रण
सड़न रोग के मुख्य लक्षणों में सुपारी के फल का गलना और बड़े पैमाने पर गिरना शामिल है. लगातार बारिश, कम तापमान और अधिक नमी इस रोग के फैलाव को तेजी से बढ़ाते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि रोग पर नियंत्रण पाने के लिए एरेकनट की शाखाओं पर 1 फीसदी Bordeaux मिश्रण का छिड़काव करना जरूरी है. Bordeaux मिश्रण तांबा सल्फेट (Copper Sulphate) और कैल्शियम ऑक्साइड (Calcium Oxide) को पानी में मिलाकर तैयार किया जाता है.
भविष्य के लिए समाधान
किसानों का मानना है कि यदि सरकार समय पर मुआवजा और बीमा भुगतान जारी करती है, तो उन्हें इस आपदा से उबरने में मदद मिलेगी. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, फसल की सुरक्षा और रोग नियंत्रण के उपायों को अपनाना भविष्य में नुकसान कम करने में सहायक साबित होगा.