Malabar Black Pepper : जानें इस किंग ऑफ स्पाइसेज GI टैग वाली काली मिर्च का इतिहास और खासियत

मलाबार काली मिर्च अपने तीखे स्वाद, खुरदुरी बनावट और खास खुशबू के लिए जानी जाती है, और इसे 2008 में GI टैग से नवाजा गया है. यह काली मिर्च केरल की मिट्टी और मौसम में उगाई जाती है और इसकी मांग देश-विदेश में बढ़ रही है.

नोएडा | Updated On: 25 Jul, 2025 | 10:55 AM

जब बात भारतीय मसालों की होती है तो उनमें काली मिर्च (Black Pepper) का नाम सबसे ऊपर होता है, वहीं जब बात बेस्ट क्वालिटी के काली मिर्च की आती है तो मलाबार काली मिर्च (Malabar Black Pepper) को नजरअंदाज कर पान नामुमकिन हो जाता है. केरल की मिट्टी और मौसम ने इसे ऐसा स्वाद और सुगंध दी है कि यह न केवल भारत बल्कि देश विदेशों में भी इसकी मांगे बढ़ती जा रही है. बता दें कि मलाबार काली मिर्च को 2008 में भौगोलिक संकेत यानी (GI) टैग भी मिल चुका है. मालाबार काली मिर्च अपने तीखे स्वाद, खुरदुरी बनावट और खास खुशबू के लिए जानी जाती है. इसे ‘किंग ऑफ स्पाइसेज’ यानी मसालों का राजा भी कहा जाता है. इसका इस्तेमाल सिर्फ स्वाद बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि सेहत सुधारने के लिए भी किया जाता है. पुराने जमाने से ही यह हमारे किचन और आयुर्वेदिक दवाओं का हिस्सा भी रहा है.

मलाबार मिर्च का इतिहास

मलाबार मिर्च का पेपेर नाइग्रम (Piper nigrum) नामक पौधे वंशज है, जो एक लता यानी बेलो के रूप में उगता है. इस मिर्च का इतिहास भारत से भी बहुत पुराना है. माना जाता है कि 3000-2000 ईसा पूर्व, असीरियाई और बाबिलोनियाई सभ्यताओं ने मलाबार तट से मसालों का व्यापार करना शुरू किया था. समय के साथ, यह काली मिर्च पूरे विश्व में फैली और यूरोप, मिडल ईस्ट और उत्तर अफ्रीका के देशों में इसकी मांगे अधिक बढ़ गई.

मलाबार मिर्च का एक अहम इतिहास यह भी है की यह पोर्तुगीजों और डचों के द्वारा व्यापार पर नियंत्रण के समय 1498 में वास्को द गामा ने समुद्र मार्ग से भारत पहुंचकर मलाबार तट को यूरोपीय व्यापार के लिए खोला, और इसके बाद पुर्तगालियों ने मलाबार मिर्च के व्यापार में अपना दबदबा बना लिया. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के आने के बाद, मिर्च का व्यापार और भी बढ़ा और 17वीं सदी तक मलाबार मिर्च दुनिया भर में अपनी एक खास जगह बना ली.

मलाबार मिर्च का उत्पादन

मलाबार मिर्च की खेती मुख्य रूप से केरल, कर्नाटका और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में की जाती है. यह मिर्च एक गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छे से उगती है और इसके लिए उपजाऊ, अच्छी जलनिकासी वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है. मलाबार मिर्च की खेती के लिए, पेपर पौधे को दूसरे वृक्षों के सहारे चढ़ाया जाता है, ताकि यह अच्छी तरह से विकसित हो सके. यह पौधे तीसरे या चौथे साल से फल देने लगते हैं और आमतौर पर सात साल तक फल देते हैं.

वहीं मलाबार मिर्च को दो मुख्य श्रेणियों में बांटा जाता है. पहला गर्बल (Garbled) और दूसरा अंगर्बल (Ungarbled). गर्बल मिर्च का आकार गोल, काले रंग का और इसकी सतह में गहरी झुर्रियां होती हैं. वहीं, अंगर्बल मिर्च की सतह भी झुर्रीदार होती है, लेकिन इसका रंग काले से लेकर गहरे भूरे तक हो सकता है. इसके साथ ही बता दें कि मलाबार दुनिया की कुल काली मिर्च आपूर्ति का एक चौथाई हिस्सा प्रदान करती है. केरल में मलाबार मिर्च का उत्पादन इतना प्रसिद्ध और गुणवत्ता में बेहतरीन है कि इसे वैश्विक स्तर पर सबसे बेहतरीन काली मिर्च माना जाता है. यह विश्व बाजार में उच्च कीमतों पर बिकती है, और व्यापारियों के लिए एक मुनाफे का सौदा बनता है.

Published: 25 Jul, 2025 | 06:45 AM