किसानों का खर्च बचाती है ये मटर किस्म, पाउडरी मिलड्यू रोग को पास फटकने नहीं देती

किसानों को किसी भी तरह की खेती करने में समस्या का सामना न करना पड़े, ये सुनिश्चित करने के लिए सरकार हर तरह से उन्हें मदद करने की कोशिश करती है. केंद्र और राज्य, दोनों ही सरकारें किसानों के हित के लिए कई तरह की योजनाएं चलाती हैं.

नोएडा | Published: 20 Aug, 2025 | 01:10 PM

कुछ ही दिनों में रबी सीजन की शुरुआत होने वाली है और किसान इस सीजन की फसलों की खेती की तैयारी करने में जुट जाएंगे. ऐसे में किसान खेती के लिए ऐसी फसलों का चुनाव करते हैं जिनसे उन्हें अच्छा उत्पादन मिलने के साथ कमाई भी अच्छी हो. इन्हीं फसलों में से एक है सब्जी मटर. सब्जी मटर एक शीतकालीन फसल है जिसकी मांग पूरी सर्दियों भर बाजार में रहती है, जिसके कारण इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है. यही कारण है कि किसान शीतकालीन फसलों में इसकी खेती पैमाने पर करते हैं. लेकिन इसकी फसल से अच्छी पैदावार और कमाई के लिए जरूरी है कि किसान इसकी उन्नत किस्मों का चुनाव करें. सब्जी मटर की ऐसी ही एक किस्म है PSM-3, जिसकी सबसे बड़ी खासियत है कि ये पाउडरी मिल्ड्यू रोग से लड़ने में सक्षम है और जल्दी तैयार हो जाती है.

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किसानों को किसी भी तरह की खेती करने में समस्या का सामना न करना पड़े, ये सुनिश्चित करने के लिए सरकार हर तरह से उन्हें मदद करने की कोशिश करती है. केंद्र और राज्य, दोनों ही सरकारें किसानों के हित के लिए कई तरह की योजनाएं चलाती हैं. इनमें  वित्तीय सहायता भी शामिल है. इसी कड़ी में राष्ट्रीय बीज निगम (National Seed Corporation) फसलों के बीज किसानों को बाजार से कम और किफायती दामों पर उपलब्ध कराता है. सब्जी मटर PSM-3 के 1 किलोग्राम के बीज का पैकेट बाजार में 300 रुपये में मिल रहा है जबकि बीज निगम यही पैकेट मात्र 190 रुपये में उपलब्ध करा रहा है. किसान चाहें तो इसके बीज ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं.

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क्या है इस किस्म की खासियत

सब्जी मटर की किस्म PSM-3 की सबसे बड़ी खासियत है कि ये किस्म पाउडरी मिल्ड्यू रोग से लड़ने में सक्षम है. ये मटर की एक जल्दी पकने वाली किस्म है. सब्जी मटर की इस किस्म को गोविंद बल्लभ पंत यूनिवर्सिटी, गुजरात द्वारा विकसित की गई है. इसकी फलियां लंबी, घुमावदार और 8 से 9 बीजों वाली होती हैं. मटर की ये किस्म बुवाई के करीब 65 से 75 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. बात करें इसकी फसल से होने वाली पैदावार की तो इसकी प्रति हेक्टेयर फसल से किसान औसतन करीब 9 टन तक पैदावार ले सकते हैं.

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