हर दिन 8 किसानों के आत्महत्या वाले बयान पर बवाल, सोयाबीन और धान के बोनस पर सियासत गरमाई

विपक्षी नेता ने कहा कि बेमौसम बारिश से 28 जिले प्रभावित हुए हैं. हालांकि सरकार ने 31,000 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी, लेकिन किसानों को वादे से बहुत कम राशि मिली है. उन्होंने आरोप लगाया कि सूखा प्रभावित किसानों को 18,500 रुपये प्रति हेक्टेयर का आश्वासन दिया गया था, लेकिन उन्हें केवल लगभग 8,500 रुपये ही मिले.

नोएडा | Published: 14 Dec, 2025 | 01:54 PM

महाराष्ट्र में हर दिन औसतन 8 किसानों की आत्महत्या करने वाले बयान पर राज्य में सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने सामने आ गए हैं. राज्य के विधानसभा शीतकालीन सत्र में कांग्रेस विधायक ने कहा कि हर दिन किसान जान दे रहे हैं और इसके लिए महायुति सरकार जिम्मेदार है. कहा कि किसानों को सोयाबीन और धान का बोनस देने का वादा भी पूरा नहीं किया गया है. किसान भीषण आर्थिक संकट झेल रहे हैं. किसानों के मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र में सियासत गरमा गई है.

किसानों की आत्महत्याओं के लिए राज्य जिम्मेदार

कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने शनिवार को महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्याओं के लिए बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति सरकार को जिम्मेदार ठहराया. विधानसभा में अंतिम सप्ताह के प्रस्ताव पर बोलते हुए वडेट्टीवार ने कहा कि राज्य में हर दिन औसतन आठ किसान आत्महत्या कर रहे हैं. कांग्रेस नेता ने दावा किया कि सरकारी घोषणाएं ज्यादातर कागजो तक ही सीमित रही हैं.

सोयाबीन के लिए 2000 और धान के लिए 1000 रुपये बोनस दे सरकार

उन्होंने नीतिगत विफलता, अपर्याप्त राहत और कृषि क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप लगाया और सोयाबीन और धान के लिए बोनस की मांग की. उन्होंने सोयाबीन के लिए 2,000 रुपये प्रति क्विंटल और धान के लिए 1,000 रुपये प्रति क्विंटल बोनस की मांग की और विदर्भ में कृषि संकट को दूर करने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की.

सूखा पीड़ितों को 18500 रुपये मिलने थे पर मिले केवल 8500

उन्होंने कहा कि बेमौसम बारिश से 28 जिले प्रभावित हुए हैं. हालांकि सरकार ने 31,000 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी, लेकिन किसानों को वादे से बहुत कम राशि मिली है. उन्होंने आरोप लगाया कि सूखा प्रभावित किसानों को 18,500 रुपये प्रति हेक्टेयर का आश्वासन दिया गया था, लेकिन उन्हें केवल लगभग 8,500 रुपये ही मिले.

कांग्रेस नेता वडेट्टीवार ने कहा कि कृषि विभाग को 6,000 करोड़ रुपये की जरूरत थी, लेकिन सरकार ने केवल 616 करोड़ रुपये आवंटित किए और चार महीने पहले घोषित ‘कृषि समृद्धि’ योजना के लिए अब तक कोई फंड नहीं दिया गया है.

कृषि बजट का पैसा दबाए बैठी है राज्य सरकार

कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्य सरकार कृषि बजट का पैसा दबाए बैठी है. उन्होंने दावा किया कि वित्तीय वर्ष में मुश्किल से ढाई महीने बचे हैं, लेकिन कृषि बजट का केवल 34 फीसदी ही खर्च हुआ है. उन्होंने कहा कि बीज, उर्वरक और कीटनाशकों की इनपुट लागत बढ़ गई है और किसानों को सोयाबीन, कपास और धान के लिए लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहा है.

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