महाराष्ट्र में गन्ना पेराई जोरों पर, 147 मिलें चालू…कोल्हापुर बना पेराई का बादशाह

नवंबर मध्य तक पूरे महाराष्ट्र में 147 चीनी मिलें चालू हो चुकी हैं. इन मिलों ने अब तक करीब 117.27 लाख मीट्रिक टन गन्ने की पेराई पूरी की है. इसके साथ ही प्रदेश में 8.68 लाख टन चीनी उत्पादन भी दर्ज किया गया है, जबकि रिकवरी दर औसत 7.4 प्रतिशत रही है.

नई दिल्ली | Published: 21 Nov, 2025 | 08:08 AM

Maharashtra News: महाराष्ट्र में इस साल गन्ना पेराई का सीजन शुरू होते ही जोर पकड़ चुका है. खेतों में फैली मीठी खुशबू और मिलों की लगातार चल रही मशीनें इस बात का संकेत दे रही हैं कि 2025-26 का पेराई सीजन पिछले साल की तुलना में कहीं ज्यादा तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा है. किसानों के चेहरों पर उम्मीद है और मिलों में गन्ने की आवक इतनी बढ़ गई है कि कई जगह 24 घंटे काम चल रहा है. चीनी आयुक्त की ताजा रिपोर्ट बताती है कि इस बार का सीजन उद्योग और किसानों दोनों के लिए खास साबित हो सकता है.

पेराई सीजन की शुरुआत मजबूत

नवंबर मध्य तक पूरे महाराष्ट्र में 147 चीनी मिलें चालू हो चुकी हैं. इन मिलों ने अब तक करीब 117.27 लाख मीट्रिक टन गन्ने की पेराई पूरी की है. इसके साथ ही प्रदेश में 8.68 लाख टन चीनी उत्पादन भी दर्ज किया गया है, जबकि रिकवरी दर औसत 7.4 प्रतिशत रही है. यह आंकड़े बताते हैं कि इस बार पेराई सीजन ने पिछले साल के मुकाबले काफी अच्छी और मजबूत शुरुआत की है.

कोल्हापुर बना पेराई का हॉटस्पॉट

कोल्हापुर संभाग इस बार पूरे राज्य में सबसे आगे निकला है. यहां की 30 मिलों ने 29.61 लाख टन गन्ना पेर कर 25.32 लाख क्विंटल चीनी तैयार की है. सबसे खास बात यह है कि कोल्हापुर की रिकवरी दर 8.55 प्रतिशत रही, जो पूरे महाराष्ट्र में सबसे अधिक है. यही वजह है कि कोल्हापुर को इस बार पेराई का केंद्र माना जा रहा है.

इसके बाद पुणे संभाग का स्थान है, जहां 23 मिलों ने 27.57 लाख टन पेराई की और करीब 21.94 लाख क्विंटल चीनी बनाई. पुणे में रिकवरी दर 7.96 प्रतिशत दर्ज हुई. सोलापुर और अहिल्या नगर संभाग में भी पेराई तेज गति से जारी है, हालांकि रिकवरी दर इन क्षेत्रों में कोल्हापुर की तुलना में कम है.

पिछले सीजन से कई गुना बेहतर स्थिति

अगर पिछले साल के आंकड़ों पर नजर डालें, तो 2024-25 में इसी समय तक केवल 91 मिलें ही संचालन में थीं और गन्ने की पेराई मात्र 13.5 लाख टन हुई थी. इस बार गन्ने की फसल की अधिक उपलब्धता और अनुकूल मौसम ने पेराई सीजन को नई गति दी है. किसानों का कहना है कि फसल अच्छी होने से मिलों में आवक बढ़ी है और समय पर भुगतान मिलने से उम्मीदें भी बढ़ी हैं.

FRP के बकाये पर किसान चिंतित

हालांकि, सबकुछ सुचारू नहीं है. कई मिलें अब तक पूरी क्षमता से पेराई शुरू नहीं कर सकी हैं क्योंकि किसानों के फ्रैक्ट्री रेट (FRP) बकाये को लेकर विवाद जारी है. किसान संगठन लगातार सरकार और मिलों पर दबाव बनाए हुए हैं. जल्द ही इस मुद्दे पर चीनी आयुक्त और किसान प्रतिनिधियों के बीच बैठक होने की संभावना है.

चीनी के MSP बढ़ने की उम्मीदें मजबूत

चीनी उद्योग लंबे समय से चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी की मांग कर रहा है. 2019 से MSP 31 रुपये प्रति किलो तय है, जबकि उत्पादन लागत लगातार बढ़ रही है. अब केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रल्हाद जोशी द्वारा MSP संशोधन की मांग पर विचार करने के आश्वासन के बाद उद्योग और किसानों दोनों के बीच उम्मीदें बढ़ गहैं. यदि MSP बढ़कर 40 रुपये प्रति किलो होती है, तो इससे मिलों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी और किसानों को बेहतर भुगतान मिल सकेगा.

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