MP के इस गांव में खेत बना कोबरा का घर, 50 से ज्यादा सांप रेस्क्यू कर जंगल में छोड़े गए
मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के साबाखेड़ा गांव में एक खेत की झोपड़ी से अचानक 50 से ज्यादा कोबरा सांप निकलने से हड़कंप मच गया. हालांकि समय रहते रेस्क्यू होने से बड़ा हादसा टल गया.
मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के साबाखेड़ा गांव में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब एक खेत की झोपड़ी से अचानक बड़ी संख्या में कोबरा सांप निकलने लगे. खेत मालिक को पहले कुछ सांपों के मुंह दिखाई दिए, लेकिन जब गड्ढे में पानी डाला गया तो एक के बाद एक करीब 60 कोबरा बाहर निकल आए. इसके बाद सर्प मित्र की मदद से सभी सांपों को सुरक्षित रेस्क्यू कर पास के जंगल में छोड़ा गया. घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो पूरे गांव में दहशत फैल गई.
गड्ढे से झांकते दिखे कोबरा के मुंह
मंदसौर के साबाखेड़ा गांव के रहने वाले गोपाल दायमा शुक्रवार को अपने खेत पर काम कर रहे थे. खेत में बनी एक झोपड़ी के पास जैसे ही उन्होंने नजर डाली, एक गड्ढे में उन्हें सांपों के मुंह दिखाई दिए. पहले तो उन्हें लगा कि शायद दो-तीन सांप होंगे, लेकिन जब उन्होंने सर्प मित्र दुर्गेश पाटीदार को बुलाया और गड्ढे में पानी डाला गया तो नजारा चौंकाने वाला था. एक के बाद एक कोबरा निकलते चले गए. रेस्क्यू के दौरान कुल 50 से 60 सांपों को पकड़ा गया, जिन्हें बाद में जंगल में छोड़ दिया गया.
MP के इस खेत में झोपड़ी से निकले 60 से ज्यादा कोबरा
वीडियो की वजह से गांव में फैली दहशत
प्रसार भारती के मुताबिक, जैसे ही रेस्क्यू का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया, पूरे इलाके में दहशत फैल गई. ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कभी एक साथ इतने सांप नहीं देखे थे. वहीं, खेत मालिक राहुल दायमा का मानना है कि अगर समय रहते सांपों की मौजूदगी का पता न चलता तो बड़ा हादसा हो सकता था. खासकर बच्चों और पशुओं की जान को गंभीर खतरा था. रेस्क्यू ऑपरेशन के सफल होने के बाद गांव वालों ने राहत की सांस ली कि सभी सांपों को सुरक्षित पकड़कर जंगल में छोड़ दिया गया.
दुर्गेश पाटीदार, सर्प मित्र (नीले रंग की शर्ट में), राहुल दायमा, खेत मालिक (ब्लैक टीशर्ट में)
DFO ने बताया कोबरा कितना खतरनाक
मामले पर मंदसौर के डीएफओ संजय रायखेरे ने जानकारी देते हुए कहा कि कोबरा मध्य भारत के सबसे खतरनाक सांपों में से एक है. इसकी पहचान इसके फन और तेज जहर से होती है, जो इंसान की जान भी ले सकता है. उन्होंने बताया कि कोबरा की मादा आमतौर पर एक बार में 20 से 40 अंडे देती है. संभव है कि खेत में बनी झोपड़ी की गर्म और नम जगह को सांपों ने सुरक्षित ठिकाने के तौर पर चुना हो और वहीं से यह पूरा झुंड निकला हो.
सर्प मित्र की सूझबूझ से बची बड़ी अनहोनी
इस पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन में सर्प मित्र दुर्गेश पाटीदार की भूमिका सराहनीय रही. उन्होंने बिना घबराए एक-एक कर सभी सांपों को पकड़ा और सुरक्षित जंगल में छोड़ा. उनका कहना है कि गड्ढे से कुल करीब 100 सांप निकल सकते थे, जिनमें से 60 का रेस्क्यू किया गया है. उन्होंने ग्रामीणों से अपील की है कि बारिश के मौसम में खेतों और झोपड़ियों की नियमित जांच करें और सांप दिखे तो तुरंत विशेषज्ञों को बुलाएं.
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