क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में कोई ऐसी जगह हो सकती है, जहां न तो एक भी सांप पाया जाता है और न ही कोई कुत्ता दिखता है? सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन ये सच है. भारत के दक्षिण-पश्चिम में स्थित छोटा सा द्वीपसमूह लक्षद्वीप ऐसी ही एक अनोखी जगह है. खूबसूरत समुद्र, नीला आसमान, सफेद रेत और शांत वातावरण-इन सबके बीच एक ऐसा जैविक संतुलन देखने को मिलता है जो देश में और कहीं नहीं. आइए जानते हैं क्या है इसकी खासियत और क्यों इसे ‘स्नेक फ्री’ और ‘डॉग फ्री’ टेरिटरी कहा जाता है.
स्नेक फ्री इलाका
लक्षद्वीप भारत का इकलौता केंद्र शासित प्रदेश है जहां एक भी सांप नहीं पाया जाता. ‘फ्लोरा एंड फौना ऑफ लक्षद्वीप’ के अनुसार, यहां किसी भी तरह की सांप की प्रजाति मौजूद नहीं है. इसके पीछे का मुख्य कारण है द्वीपों का समुद्र से घिरा और बाकी भूमि से पूरी तरह अलग-थलग होना. केरल जैसे पड़ोसी राज्य में जहां सैकड़ों सांपों की प्रजातियां मिलती हैं, वहीं लक्षद्वीप का प्राकृतिक परिवेश सांपों के अनुकूल नहीं है. इसका मतलब यह हुआ कि यहां लोगों को सांपों के काटने या उनके डर से कोई खतरा नहीं है.
कुत्तों पर सख्त पाबंदी, इसलिए रेबीज फ्री
लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार- आज भी रेबीज जैसी खतरनाक बीमारी से पूरी तरह मुक्त हैं. ये बात हाल ही में इंडियन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक रिपोर्ट में सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, इन द्वीपों में लंबे समय से रेबीज का कोई भी मामला सामने नहीं आया है. खासकर लक्षद्वीप में तो कुत्तों को लाने और पालने पर पूरी तरह रोक है, जिससे यहां संक्रमण का खतरा ही नहीं होता.
वैज्ञानिक पुष्टि के लिए 2017 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)-भारत ने एक स्टडी करवाई थी. इस स्टडी में विशेषज्ञों की टीम ने 2007 से 2017 तक के मानव और पशु रोग रिकॉर्ड की जांच की और कुछ कुत्तों व बिल्लियों के नमूने भी लिए गए. ये नमूने फ्लोरोसेंट एंटीबॉडी टेस्ट से जांचे गए और सभी रिपोर्ट नेगेटिव आईं.
बिल्लियों और चूहों की भरमार
कुत्तों की गैरमौजूदगी के कारण बिल्लियां और चूहे यहां आम तौर पर हर जगह नजर आते हैं. गलियों, घरों और रिसॉर्ट्स के आसपास बिल्लियां घूमती मिल जाती हैं. चूहे भी द्वीपों की पारिस्थितिकी का हिस्सा बन गए हैं. चूंकि कुत्ते प्राकृतिक रूप से बिल्लियों और चूहों पर नियंत्रण रखते हैं, उनकी अनुपस्थिति में इन जीवों की संख्या बढ़ना स्वाभाविक है. हालांकि, यह जैविक संतुलन अब लक्षद्वीप की पहचान बन चुका है.
पर्यटन, जैव विविधता और अनोखे जीव
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लक्षद्वीप में 600 से ज्यादा मछलियों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें सुंदर तितली मछली को राज्य पशु का दर्जा मिला है. इसके अलावा, यहां समुद्री गाय (Dugong) जैसी दुर्लभ और विलुप्तप्राय प्रजाति भी पाई जाती है. पर्यटकों के लिए यह द्वीपसमूह एक स्वर्ग है. नीले पानी, कोरल रीफ्स और शांत वातावरण की वजह से हजारों पर्यटक हर साल यहां घूमने आते हैं. कवाराट्टी, अगाट्टी, मिनिकॉय जैसे 10 द्वीपों पर ही लोग रहते हैं, जबकि बाकी द्वीप निर्जन हैं.